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Sunday, July 13, 2025

अखिलेश का मानसून ऑफर: सौ विधायक लाओ, सीएम बनो

अखिलेश का मानसून ऑफर: सौ विधायक लाओ, सीएम बनो

# शाह-योगी के बीच जारी शीत युद्ध 14 जुलाई को लखनऊ में हुई भाजपा कार्य समिति की बैठक में केशव मौर्य के चलते आमने-सामने हो गया, तब सपा सुप्रिमों ने ट्वीट करके मानसून धमाका कर दिया, भाजपा में चल रही उठापटक में श्री मौर्य के लिए चैलेंज ऑफर माना जा रहा।

# बैठक में योगी ने दो संकेत दिए थे, यूपी में भाजपा की हार पार्टी के अति आत्मविश्वास और राज्य सरकार की उपलब्धियों को आमजन तक न पहुंचाना, इसी संकेत के साथ उन्होंने पराजय का ठीकरा भी परे कर दिया। अब उनसे स्टेट का गृह मंत्रालय लेने की होगी अगली चाल!

कैलाश सिंह
लखनऊ
तहलका 24×7 विशेष.                                                            केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम पद से “डिप्टी” शब्द हटाने की आतुरता को देखते हुए अखिलेश यादव ने ‘ऑपरेशन साइकिल’ चला दिया। भाजपा में शाह और योगी के बीच जारी शीतयुद्ध के चलते प्रदेश में बढ़ी उठापटक के मद्देनजर सपा सुप्रिमों का ट्वीट : ‘सौ विधायक लाओ और मुख्यमन्त्री बन जाओ’।

राजनीतिक विश्लेषक इसके कई मायने निकाल रहे हैं। इनमें एक प्रमुख मायने यही है कि दिल्ली तक दौड़ने से पदनाम से ‘डिप्टी’ शब्द नहीं हटेगा। यदि जनाधार खुद के पास है तो सौ विधायक लेकर सपा में आओ हम सीएम बना देंगे। जाहिर है पिछड़ा, अति पिछड़ा के साथ कुछ दलित और सवर्ण वोटर भी लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की तरफ़ रुख कर गए थे, तभी भाजपा 64 से 33 सीट पर गिरकर अटक गई। इस ट्वीट के यह भी मायने निकल रहे हैं कि आपके पास पिछड़ा तो दूर हम जातीय वोटर भी नहीं हैं, यदि जनाधार की ताकत दिखानी है तो सौ विधायक लाकर सीएम बन जाओ, वरना दिल्ली दौड़ते रह जाओगे।

इस ट्वीट से एक और ध्वनि निकल रही है कि योगी जिस आत्मविश्वास से फैसले इन दिनों ले रहे हैं, जाहिर है उन्हें खुद के जनाधार पर भरोसा है, तभी तो दिल्ली हाईकमान उनके ‘सिर’ यूपी में हार का ठीकरा नहीं फोड़ पाया और केशव मौर्य मोहरा बनकर दौड़भाग में हांफ रहे हैं।भाजपा सूत्रों के मुताबिक इतना तो तय हो गया कि योगी आदित्यनाथ रबर स्टैम्प सीएम नहीं हो सकते, हां दबाव में काम एक सीमा तक कर सकते हैं जो उन्होंने सात साल करके दिखाया।

इस दौरान उन्हें कई बार अपमान के घूंट भी पीने पड़े जिसे प्रदेश की जनता ने भी राम मन्दिर से लेकर यूपी की विभिन्न सभाओं में देखा।चार जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद योगी अपने तेवर में आने लगे। अपने मन से ओएसडी तक रखने में पहले हिचक होती रही लेकिन उन्होंने 30 जून को अपने भरोसे के चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार सिंह को बनाकर यह बता दिया की अब तीन बार से एक्स्टेंशसन पाने वाले नौकरशाह को जाना ही पड़ेगा।

हालांकि फिर एक्स्टेंशसन न मिलने पर पुराने मुख्य सचिव ने दिल्ली में कैम्प कर दिया, यह भी हो सकता है कि उन्हें जितिन प्रसाद की खाली विधान परिषद की सीट से लाकर गुजरात लॉबी उन्हें प्रदेश के गृह मंत्रालय की कुर्सी दिलाने का प्रयास करे। क्योंकि, भाजपा हाई कमान के काबू में योगी नहीं आ पा रहे हैं।गुजरात लॉबी को ब्यूरोक्रेस् पहली पसन्द होते हैं। यह दीगर है कि योगी प्रदेश का गृह मंत्रालय छोड़ेंगे या नहीं!

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा शासित सभी राज्यों (यूपी को छोड़कर) में सीएम की कुर्सी पर एस मैन हैं। योगी ने पार्टी कार्य समिति की बैठक में हार का कारण बताकर यह साफ कर दिया कि यूपी में शिकस्त का ठीकरा उनके सिर पर नहीं फोड़ा जा सकता है। अब भाजपा हाई कमान पार्टी के ही किसी बड़े पदाधिकारी से कहेगा कि वह खुद अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानकर संगठन के पद से इस्तीफा दे दे!

उन्हें इसका पुरस्कार दूसरे रूप में मिलेगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि तीन महीने बाद कई राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं। अंदर से हाई कमान को पता है कि बीते लोकसभा चुनाव में चेहरे के साथ लहर और मुद्दे तक फेल हो गए। जाहिर है यही स्थिति दोबारा न आये, शायद इसीलिए हरियाणा में नायब सिंह सैनी और महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को सीएम चेहरा बनाकर पार्टी चुनाव लड़ेगी। जीते तो श्रेय हाई कमान को और हारे तो ठीकरा उन्हीं के सिर फूटेगा।

यूपी में कुल 10 सीटों पर उप चुनाव होना है। योगी ने दो-दो, तीन-तीन मन्त्रियों को एक-एक विधानसभा क्षेत्रों में लगाकर यह संदेश दे दिया कि हम मिशन 10 सीट को मिशन 2027 के मद्देनजर सेमी फाइनल मानकर यह उप चुनाव बहुमत से जीतेंगे। इस अभियान से भी दोनों डिप्टी सीएम नदारद रहे। दूसरी ओर भाजपा में केशव मौर्य के चलते हो रही उठापटक में उनकी ताकत आजमाने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ऑपरेशन साइकिल के तहत सौ विधायक लाओ, सीएम बन जाओ का ऑफर देकर केशव ही नहीं, दूसरे डिप्टी सीएम को भी मन बदलने का रास्ता खोल दिया है।

यह भी ध्यान रखने की बात होगी कि भाजपा हाई कमान को किसी भी राज्य में पार्टी का जनाधार वाला नेता नहीं चाहिए, रहा सवाल योगी का तो उनसे हाई कमान की कोई जाती अदावत नहीं है, बल्कि उनका बढ़ता राजनीतिक कद जो दिल्ली की गद्दी के काबिल हो गया है वही आंख में चुभ रहा है।

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