ऑपरेशन यमराज: झोलाछाप डॉक्टर, नकली दवा की तस्करी और मरीजों पर दलालों का जाल
# झोलाछाप डॉक्टरों पर अंकुश लगाने में स्वास्थ्य महकमा फेल, इन्हें पकड़ने की जिसको जिम्मेदारी मिली है वही हफ़्ता, महीना के चक्कर में इन्हें बचने के बताते हैं अनेक तरीके।
# नकली दवाओं की तस्करी के गढ़ वाराणसी का संपर्क इसके केन्द्र आगरा से रहा जहां से दवा की पैकिंग कराके पश्चिम बंगाल भेजी जाती रही और उसका बिल वाराणसी के व्यापारी को भेजा जाता रहा।
कैलाश सिंह
विशेष संवाददाता
वाराणसी/जौनपुर/ लखनऊ।
तहलका 24×7 विशेष
उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने झोलाछाप चिकित्सकों पर सख्ती बरतने और नकली दवाओं की बिक्री पर रोक के लिए आदेश जारी किया। लेकिन पूर्वांचल समेत समूचे प्रदेश में इसका कोई खास असर नहीं पड़ता दिख रहा है। ऐसी तमाम बानगी जौनपुर में भरी पड़ी है। यहां बगैर डिग्री वाले ऑपरेशन थियेटर के तकनीशियन ‘सर्जन’ बनकर विभिन्न प्रकार के मरीजों के शरीर का चीर-फाड़ बेहिचक कर रहे हैं। डिग्रीधारी डॉक्टरों की ‘आर्थिक लाइफ लाइन’ झोलाछाप बने हैं जिनके सिर पर विभिन्न दलों के कथित नेताओं का हाथ है।
इस पूरे चक्रव्यूह की मास्टर चाबी स्वास्थ्य महकमे के उन लोगों के हाथ में है जिन्हें शासन या स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन ने निरीक्षण कर पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है। नकली या प्रतिबन्धित दवाओं की बिक्री हो या तस्करी, उसे रोकने की जिम्मेदारी निभाने वाले हफ्ते, महीने की बंधी रकम लेकर मगन हैं। कोई नया आदेश आते ही सख्ती के नाम पर रकम की राशि बढ़ा दी जाती है। परिणाम स्वरुप जेनरिक दवाएं भी खुलेआम चारगुना दाम पर बिक रही हैं।
इसी तरह झोलाछाप के बराबर तस्करों का स्लीपर सेल जो प्रत्यक्ष तौर पर मरीजों पर जाल फेंककर उन्हें फंसाता है और रेफर के नाम पर अपने उस निजी अस्पताल में भेजता है। जहां से उन्हें मोटा कमीशन मिलता है, साथ में नकली दवाएं भी आपूर्ति करता है। यदि मरीज आयुष्मान कार्ड धारक हुआ तो उनकी भी पौ बारह होती है।
एक बानगी देखिए: फैंसाड्रिल (phensedryl) कफ सिरप की खपत जब नशेड़ियों में बढ़ी तो कम्पनी ने इसमें से कोडिन की मात्रा नहीं के बराबर कर दी, लेकिन इसके पूर्व तक कथित रुप से सी एंड एफ बनारस से बिलिंग थोक व्यापारी को की जाती रही और दवा उस व्यापारी की बजाय पश्चिम बंगाल भेजकर बिल जिसके नाम बनता था उसे बनारस में ही भेजा जाता रहा। वह व्यापारी फुटकर दुकानदारों के नाम फर्जी बिल काटकर अपना स्टॉक बराबर कर लेता था। यही वह समय रहा जब जौनपुर के सिविल लाइन्स कचहरी में मालशॉप की तर्ज पर दुकान खोलने वाले भगोड़े ने प्रदेश में केवल जौनपुर के नाम पर रिकार्ड बनाया जहां हर दवा पर बीस प्रतिशत छूट दिया।
इसकी शुरुआत टीवी हॉस्पिटल के निकट से एक बड़े व्यापारी ने की। उसी की देखादेखी एक व्यक्ति जो अवैध रेल टिकट बेचता था वह भी इस मैदान में कूद पड़ा। उसका डिस्काउंट वाला धंधा अभी जारी है। ओलंदगंज बाज़ार में एक ऐसी दुकान है जिसमें दवा, किराना, कॉस्मेटिक और जनरल स्टोर के सामान हैं, उस फर्म में एक दवा तस्कर सहित बिजली विभाग के एक कर्मचारी का भी पैसा लगा है। यहां भी नकली दवाओं की भरमार है। लेकिन औषधि निरीक्षक को नजर नहीं आती, क्योंकि उन्हें यहां से मोटी रकम जो मिलती है। इस जिले में डेढ़ हजार से अधिक फुटकर मेडिकल स्टोर हैं जिनका ब्योरा झोलाछाप के साथ अगली कड़ियों में मिलता रहेगा, साथ में फर्जी डिग्री और बगैर डिग्री वाले यमराज बने चिकित्सकों की पड़ताल भी मिलेगी।
क्रमशः……………….