कहीं अयोध्या का दूसरा एपिशोड संभल तो नहीं होने जा रहा!
# संभल की ‘शाही जामा मस्जिद और कथित हरि मन्दिर’ के बहाने कांग्रेस और सपा में मुस्लिम वोट बैंक के लिए लगी होड़।
# कुंदरकी विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत से राहुल व अखिलेश को मुस्लिम वोट बैंक में लगी सेंध ने विचलित कर दिया।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/शाहजहांपुर
तहलका 24×7 विशेष
संभल दंगे में पांच लोगों की मौत के बाद वहां की स्थिति भयावह हो गई है, क्योंकि मृतकों के शरीर में लगी गोली के खोखे पाकिस्तान की आडिनेंस फैक्ट्री निर्मित कारतूस थे, ऐसा साबित हुआ है पोस्टमार्टम रिपोर्ट में। इससे अंतर्राष्ट्रीय साजिश की तरफ साफ संकेत भी मिल रहा है और यूपी पुलिस की गोली से किसी की मौत नहीं हुई, यह भी साबित हो रहा है। रहा सवाल संभल में हुई घटना में मौतों और जेल गए लोगों से मिलने जाने वाले विपक्षी नेताओं पर रोक का तो यह कोई नई परंपरा नहीं है।
देश की आजादी के बाद से जब भी कोई विपक्षी नेता ऐसे घटना स्थल पर जाने का ऐलान करते रहे हैं तब स्थानीय प्रशासन स्थिति सामान्य होने के बाद ही आने देता है। संवेदनशील माहौल में कोई भी राजनीतिक बयान सुलगती आग में पेट्रोल का काम कर सकता है!
कांग्रेस के सूत्रों पर गौर करें तो जब राहुल और प्रियंका गांधी को यूपी-दिल्ली की सीमा गाजीपुर में रोका गया तो देशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं को गोपनीय संदेश मिला कि सभी अपने जिलों में कैंडिल मार्च निकालें, इस सूचना ने एलआईयू को सतर्क कर दिया और कांग्रेस कार्यकर्ता ऐसे किसी भी कार्यक्रम से इनकार करते रहे।
दूसरी ओर यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में सपा को सात सीटों पर हार मिली लेकिन इस दल के मुखिया अखिलेश यादव को सबसे ज्यादा कुंदरकी सीट पर मिली मात ने विचलित कर दिया, क्योंकि यहां की कुल मतदाता संख्या में 65 फीसदी मुस्लिम हैं। इनमें सर्वाधिक अशराफिया वोट बैंक भाजपा की तरफ चला गया, परिणाम स्वरूप इस पार्टी का प्रत्याशी एक लाख 44 हजार वोटों से जीत गया। अशराफिया मतलब खान-पठान आदि।
इस घटनाक्रम के मद्देनजर अयोध्या मामलों के अगुआ रहे पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने ‘तहलका 24×7’ से खास बातचीत में संभल के उपद्रव को कुंदरकी में सपा की हार का नतीजा माना। कांग्रेस और सपा का गठबंधन पहले से है, लेकिन उप चुनाव में प्रत्याशी सपा ने उतारे थे। मुस्लिम वोट बैंक को दोनों दल अपना मानते हैं, इसीलिए दोनों में होड़ मची है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जुबान से हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर एक बोल तक नहीं फूटे।
बांग्लादेश में पांच अगस्त 2024 को हुए तख्ता पलट से हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं, महिलाओं से रेप, मन्दिरों को पाकिस्तान परस्त आतताइयों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। इस्कान मन्दिर के महंत की गिरफ्तारी भी बड़ी घटना है, इसे लेकर दुनिया भर में हिन्दूवादी संगठन विरोध में सड़क पर उतर गए हैं, फिर भी भारत का विपक्षी दल चुप्पी साधे है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से रेप और उसकी हत्या को लेकर भी इनकी जुबान नहीं खुली। संभल में हुए दंगे को लेकर कांग्रेस और सपा का आगे आना साबित करता है कि दोनों दलों की सियासत केवल मुस्लिम वोट बैंक को लेकर है। इसे दोनों नेता अपने पक्ष में खींचने की फिराक में होड़ मचाये हैं।
स्वामी चिन्मयानंद तो यहां तक कहते हैं कि कांग्रेस और सपा नेता ‘संभल को दूसरी अयोध्या’ बनाने में लगे हैं। दिलचस्प पहलू तो ये है कि सिविल कोर्ट द्वारा संभल की शाही जामा मस्जिद जिसे हिन्दू पक्ष ने पौराणिक ग्रंथों के हवाले से हरि मन्दिर बताया है, उसी के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। इसके विरोध में मुस्लिम समुदाय ने देश में पहली बार कोर्ट की अवमानना करते हुए उपद्रव का रास्ता अख्तियार किया जो संभल को बारूद का ढेर बना दिया। एएसआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि जामा मस्जिद में किए गए निर्माण के बाबजूद मन्दिर के अवशेष मौजूद हैं। उपद्रव के दौरान पुलिस ने फायरिंग नहीं की है। सवाल यह खड़ा हुआ कि आखिर गोली किसने चलाई? मिले कारतूस के खोखे पाकिस्तान की आडिनेंस फैक्ट्री निर्मित हैं तो इसे कौन लेकर आया? इसके बारे में जांच की मांग भी विपक्षी नहीं कर रहे। 23 नवम्बर को विधानसभा के उप चुनाव के नतीजे आये और 24 नवम्बर को दंगा हो गया। दोनों विपक्षी नेता दंगाइयों अथवा इसके दोषियों की बजाय दंगे को नियंत्रित करने में लगे पुलिस, प्रशासनिक अफसरों को हटाने की ही मांग क्यों कर रहे हैं?
संभल की घटना को जोड़कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को अयोध्या में दर्शन पूजन व रामकथा पार्क में रामायण मेले के उद्घाटन समारोह में साफ कहा कि 500 साल पूर्व जिस तरह बाबर ने हिंदुओं पर अत्याचार किया था वही सम्भल और बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहा है। हिन्दू चेतना को लेकर बेहिचक स्पष्ट बोलने वाले योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को ‘बाबर’ की संस्कृति से जोड़ते हुए इन्हें बांटने, काटने और कटवाने का इंतजामिया बताया और इनके डीएनए को बाबर से जोड़ दिया। इस तरह सम्भल की गंभीर स्थिति भी दूसरी अयोध्या की तरफ इशारा कर रही है।