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Monday, April 28, 2025

गौ आधारित प्राकृतिक खेती से होगा कृषि का विकास

गौ आधारित प्राकृतिक खेती से होगा कृषि का विकास

खुटहन, जौनपुर।
मुलायम सोनी
तहलका 24×7.                                                             कृषि विभाग द्वारा शुक्रवार को ब्लाक सभागार में कृषि सूचना तन्त्र के सुदृढ़ीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम, आत्मा योजना अंतर्गत खरीफ उत्पादकता गोष्ठी, कृषि निवेश मेला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसानों को गौ आधारित शून्य बजट की प्राकृतिक खेती, फरीफ फसलों की उन्नति तकनीक, किसान कार्ड, फसल बीमा, पौधरोपण आदि की जानकारी दी गई। बतौर मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख बृजेश यादव ने कहा कि सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है, उसका लाभ लेकर किसान समृद्धि कर सकते हैं।

उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से की जाने वाली खेती को जैविक खेती कहा जाता है। जैविक खेती केवल फसल उत्पादन तक सीमित नहीं है। पशुपालन में भी यदि पशुओं को भोजन और दवाइयां इत्यादि प्राकृतिक रूप से उपलब्ध संसाधनों से प्रदान किए जाएं तो ऐसे पशुओं के उत्पाद भी जैविक पशु उत्पाद कहलाते हैं।

जब जैविक कृषि उत्पादन की बात करते हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि कृषि उत्पादन के लिए जिन संसाधनों खाद, कीटनाशक इत्यादि का उपयोग हो वे सभी प्राकृतिक रूप से ही बने होनी चाहिए। इसके लिए गर्मी में गहरी जुताई, बीज शोधन, खरपतवार नियंत्रण, मल्चिंग, पौधों को पोषण, गोबर की खाद, हरी खाद, वर्मी कंपोस्ट, पीएसबी कल्चर, माइकोराइजा, राइजोबियम, फसल चक्र का पालन, कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए जैविक रोगनाशक, कीटनाशक ट्राइकोडर्मा, ब्यूवेरिया बेसियाना का प्रयोग करें।

बीजामृत तैयार करने की विधि पांच किलो ताजा गाय का गोबर लेकर एक कपड़े की थैली में रखकर एक पात्र में रख दें और पात्र को पानी से भर दे इससे गोबर में विद्यमान सारे तत्व छनकर पानी में आ जाएंगे। दूसरे पात्र में 50 ग्राम चूना लेकर एक लीटर पानी में मिलाएं। 12 से 16 घंटे बाद कपड़े की थैली को दबाकर निचोड़ लें और गोबर अंक के साथ पांच लीटर गोमूत्र मिला दे, 50 ग्राम जंगल की शुद्ध मिट्टी, चूने का पानी और 20 लीटर सादा पानी भी मिला दें।

8 से 12 घंटों तक इस मिश्रण को छोड़ दीजिए, इसके पश्चात पूरा मिश्रण छान लें। छना हुआ मिश्रण बीज उपचार के लिए उपयोग करें।वहीं जीवामृत तैयार करने के लिए दस किग्रा गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 2 किग्रा. गुण और एक किग्रा किसी दाल का आटा, एक किग्रा जीवंत मृदा को 200 लीटर जल में मिलाकर पांच से सात दिन तक सड़ने दें। नियमित रूप से दिन में तीन बार मिश्रण को हिलाते रहें। एक एकड़ क्षेत्र में सिंचाई जल के साथ प्रयोग करें।

अध्यक्षता भाजपा मंडल अध्यक्ष बंश बहादुर पाल व संचालन एडीओ एग्रीकल्चर विकास सिंह ने किया। इस मौके पर अपर जिला कृषि अधिकारी रविन्द्र कुमार, अवर अभियंता पीयूष कांत मौर्य, प्राविधिक सहायक शेषनाथ बिन्द, राजेन्द्र पाल, ममता सिंह यादव, सुभाष उपाध्याय, हीरालाल, रामधनी, अखिलेश पाठक, शशांक तिवारी आदि किसान मौजूद रहे।

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