जौनपुर : नियमित दिनचर्या व पढ़ाई से तनावमुक्त हो सकते हैं छात्र
केराकत।
विनोद कुमार
तहलका 24×7
आगामी बोर्ड परीक्षा के तनाव के कारण बच्चों में भूलने, चिड़चिड़ापन, घबराहट जैसी समस्या आम है, ऐसे में बच्चों को नियमित दिनचर्या व नियमित पढ़ाई से इन समस्याओं से बच सकते हैं, जहां तक तनाव की बात है तो बच्चे अब तक जितना पढ़ पाए हैं, उसके बाद बिना तनाव मेहनत करके पढ़ेंगे तो और बेहतर परीक्षा दे पाएंगे, अगर तनाव में आ गए तो पहले का पढ़ा भी भूल सकते हैं इसलिए तनाव में न आते हुए बचे हुए सब्जेक्ट की नियमित तैयारी करें।

बच्चे अक्सर न्यूमेरिकल (संख्यात्मक) सवालों को छोड़ते हुए ज्यादा अंक मिलने वाले सवालों को तवज्जो देते हैं, ऐसे में न्यूमेरिकल छूट जाता है जिससे बच्चों के अंक कम आ सकते हैं, इसके लिए बच्चों को सबसे पहले न्यूमेरिकल सवालों का जवाब देने के बाद ही ज्यादा अंक के बड़े सवालों के जवाब को लिखना बेहतर तरीका हो सकता है। पब्लिक इंटर कॉलेज केराकत के भौतिक विज्ञान (फिजिक्स) के प्रवक्ता देवेंद्र कुमार सागर ने कहा कि सबसे पहले बच्चों को न्यूमेरिकल सवालों के जवाब लिखने चाहिए। बड़े सवालों का जवाब बाद में लिखना चाहिए इससे ज्यादा नम्बर मिलने की उम्मीद रहती है, और न्यूमेरिकल में राइटिंग नम्बर भी नहीं कटने की पूरी सम्भावना रहती है, वहीं बड़े सवालों के जवाब में समय ज्यादा चला जाता है व राइटिंग में भी नम्बर कटता है, व कहा कि बच्चों को एक दो नम्बर के सवालो को उतना ही तवज्जो देनी चाहिए जितना ज्यादा नम्बर के सवालों को तवज्जो देते हैं। अध्यापकों को बच्चों को परीक्षा से पहले महत्वपूर्ण सवालो का नोट्स तैयार करवाना चाहिए।

बच्चों को याद करने का सबसे सही तरीका है याद करने के दौरान उसे लिखने से अच्छे से याद हो जाएगा, और जो महत्वपूर्ण या परीक्षा में आने लायक सवाल लगें उसका एक अलग से नोट्स तैयार करे इससे कम समय में परीक्षा से एक दो दिन पहले उसको पढ़ लेंगे तो बहुत अच्छा होगा। जो महत्वपूर्ण फार्मूला है बच्चे उसे जरूर याद करले, और बच्चों को रोज हर सब्जेक्ट के लिए एक या दो घण्टे जो पढ़ सकता है उसका समय निर्धारण करते हुए नियमित रुप से सब्जेक्ट को जरूर पढना चाहिए, अगर बच्चा एक या दो दिन के अंतर के बाद कोई सब्जेक्ट पड़ता है तो उसका मन पढ़ने में नही लग पाता, परीक्षा से पहले हर सब्जेक्ट के पिछले साल का पेपर देख लेना चाहिए इससे उसको ये पता चल जाएगा कि किस तरह के सवाल आ सकते हैं।

जनता महाविद्यालय के प्राचार्य व मनोवैज्ञानिक के प्रवक्ता डॉ. आशुतोष कुमार त्रिपाठी का कहना है कि बच्चों को परीक्षा का चिंतन व पढ़ाई करनी चाहिए चिंता न करें इससे पढ़ाई नही हो पाती है, और अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें उनको दबाव न दे कि आपको इतने नम्बर या प्रतिशत लाना ही होगा नहीं तो बच्चों को तनाव होना आम बात है। और बच्चों को पढ़ाई की एक दिनचर्या तय कर लेनी चाहिए उनको कब किस सब्जेक्ट को कितना समय पढ़ना है इसे तय कर लेना अति आवश्यक होता है। तनाव में वही बच्चे आएंगे जो अपनी दिनचर्या तय किये बिना पढ़ाई करते हैं, और कहा कि जो बच्चे पूरे साल नही पढ़ें है अगर वो परीक्षा के समय पूरा दबाव झेलकर पढ़ने का प्रयास करेंगे तो तनाव आना स्वभाविक है इसके लिए बच्चों नियमित रूप से पढ़ाई करना आवश्यक है, जिन बच्चों को एक डर और फोबिया बैठ गया है परीक्षा का उन्हें थोड़ा योग व प्रणायाम का सहारा लेना चाहिए इससे तनाव में कमी होगी व दिमाग सन्तुलित रहेगा। बच्चों को परीक्षा के समय अभिभावक ध्यान दे कि बच्चा तनाव में न होने पाए नहीं तो कभी कभी बच्चों को जिस सवाल का जवाब आता है तनाव के कारण परीक्षा कक्ष में वो भूल जाता है इसलिए अभिभावकों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजकऱ अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण न समझे स्कूल से आने के बाद या परीक्षा के समय प्रेरित करे दबाव न दे।