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Friday, December 1, 2023

जौनपुर : पूर्व प्रधान आनन्द बरनवाल के प्रकरण में गुण्डा एक्ट के क्रियान्वयन पर रोक 

जौनपुर : पूर्व प्रधान आनन्द बरनवाल के प्रकरण में गुण्डा एक्ट के क्रियान्वयन पर रोक 

# सोशल मीडिया की अति चर्चित खबर का डीएम ने लिया संज्ञान

जौनपुर।
रवि शंकर वर्मा
तहलका 24×7
             एक पखवाड़े से सोशल मीडिया की अति चर्चित खबर “भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष आनंद बरनवाल पर लगा गुण्डा एक्ट” का संज्ञान जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने लिया था। डीएम ने संवेदनशीलता के साथ गत 24 मई को पीड़ित पूर्व प्रधान आनंद बरनवाल की पीड़ा को सुना और न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया था। जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रामप्रकाश ने आनंद बरनवाल की रिकाल एप्लीकेशन पर सुनवाई करते हुए 25 मई को गुंडा एक्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का आदेश पारित किया। जिससे पीड़ित समेत उनके तमाम शुभचिंतको ने राहत की सांस लेते हुए डीएम की संजीदगी का आभार व्यक्त किया।
बताते चलें कि खेतासराय थाना क्षेत्र गोरारी गांव के निवासी आनंद बरनवाल मौजूदा समय में खेतासराय मंडल के भाजपा के उपाध्यक्ष है वे अपने गांव के दो बार प्रधान भी रहे हैं जीवन यापन के लिए सोने चांदी की दूकान खेतासराय कस्बे में खोला है। बताया जाता है कि हे आनंद बरनवाल को 9 अक्टूबर 2016 को गोरारी गांव में हुए साम्प्रदायिक तनाव के मामले में आरोपी बनाया गया, दूसरा मामला 14 अप्रैल 2017 में हुए बवाल का आरोपी बनाते हुए उन पर भादवि की 147, 148, 149, 504, 506, 352, 427, 336, 452, 307, 425 व 7 CLA एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। इन्हीं दोनों मामले को आधार बनाते हुए खेतासराय पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट को अपनी रिपोर्ट देते हुए लिखा कि अभियुक्त क्षेत्र का शातिर कुख्यात अपराधी है। अपने उद्देश्य के लिए मारपीट करना व अवैध कार्य करके शांतिभंग करना मुख्य कार्य है, अपने भौतिक सुख एवं आर्थिक लाभ के लिए जनता को भयभीत करना मुख्य कार्य हो गया है। इसके विरुद्ध कोई भी व्यक्ति थाने पर सूचना देने व न्यायालय में गवाही देने का साहस नहीं करता है। पुलिस की इसी रिपोर्ट पर अपर जिला मजिस्ट्रेट ने आनंद बरनवाल पर गुण्डा एक्ट लगाते हुए छह माह तक सप्ताह के हर सोमवार को थाने पर हाजिरी देने का आदेश दिया था।
आंनद बरनवाल ने मीडिया के सम्मुख अपना पक्ष रखते हुए बताया था मेरे ऊपर जो दोनों आरोप लगा था वह बेबुनियाद था, जिस समय दोनों वारदातें हुई थी उस समय मैं अपनी दुकान पर था। दोनों विवाद की खबर मिलने पर मैंने सीधे एसपी को सूचना देने के बाद मौके पर पहुंचा था। दरअसल जब 9 अक्टूबर 2016 को गोरारी गांव में हुए साम्प्रदायिक तनाव हुआ था मौके पर एसपी अतुल सक्सेना आये हुए थे मेरे द्वारा उन्हें बताया गया कि मोहर्रम का जुलुस उस समय कोई पुलिस कर्मी मौजूद नहीं था, अगर पुलिस होती तो यह वारदात नहीं होता जिस पर थानेदार को एसपी ने मौके पर ही कड़ी फटकार लगाई थी। उसी कारण से थानाध्यक्ष ने मुझे उस मुकदमे आरोपी बना दिया दूसरे वारदात में भी मुझे इसी खुन्नस के कारण आरोपी बनाया गया था।

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