जौनपुर : भागवत का मुख्य विषय है निष्काम भक्ति- अवधेशानंद जी महाराज
खेतासराय।
अज़ीम सिद्दीकी
तहलका 24×7
क्षेत्र के पोरई कलां ग्राम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन अयोध्या धाम से पधारे संत श्री अवधेशानंद जी महाराज ने कथा में कहा कि जहां भोग इच्छा है वहां भक्ति नहीं होती।भोग के लिए की गई भक्ति से भगवान प्रसन्न नहीं होते। भोग के लिए भक्ति करने वाले को संसार प्यारा है लेकिन भगवान के लिए ही भक्ति ही प्यारी है। भक्ति का फल भगवान होना चाहिए सांसारिक सुख नहीं.. भगवान का जो आश्रय लेता है वह निष्काम बनता है और परमात्मा से मिलने की आतुरता के कारण ही संत का मिलन होता है। जीव जब परमात्मा से मिलने के लिए आतुर होता है तो परमात्मा की कृपा से संत मिलते हैं।
श्रवण के तीन प्रधान अंग हैं श्रद्धा, श्रोताओं को चाहिए कि वे मन को एकाग्र करके श्रद्धा से कथा सुनें। जिज्ञासा श्रोता को जिज्ञासु होना चाहिए जिज्ञासा के अभाव में मन एकाग्र नहीं होगा और कथा का कोई असर भी नहीं होगा। बहुत कुछ जानने की जिज्ञासा होगी तो कथा श्रवण से विशेष लाभ होगा निर्मत्सरता, श्रोताओं के मन में जगत के किसी भी जीव के प्रति मत्सर नहीं होना चाहिए कथा में दीन और विनम्र होकर जाना चाहिए। आपको छोड़कर भगवान से मिलने की तीव्रता की भावना से कथा श्रवण करोगे तो भगवान के दर्शन होंगे। इस अवसर पर प्रमुख रूप से सहयोगी तुलसी महाराज, राजेश सिंह, उपेंद्र मिश्रा, रमेश सिंह, नितेश यादव, बेला बिंद, हनुमान चौरसिया, शिवाकांत चौरसिया आदि शामिल रहे।
Mar 07, 2021