जौनपुर सीट पर बसपा ने किया बड़ा खेल, श्रीकला धनंजय मैदान में
# बाहरी बनाम घर का उम्मीदवार होगा मुख्य मुद्दा
जौनपुर।
एखलाक खान
समाचार संपादक
तहलका 24×7
दो बाहरी नेताओं के बीच बहुजन समाज पार्टी ने अपने पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी और वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर बड़ा खेल खेलते हुए अपनी जीत को बरकरार रखने की भरसक कोशिश की है। यहां श्रीकला की बात की जाए तो जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए भी बेदाग छवि और उनके विकास के काम को देखा जा सकता है। पति धनंजय सिंह की सियासत का श्रीकला के काम में कोई हस्ताक्षेप भी दिखाई अथवा सुनाई नहीं दिया।

73 लोकसभा जौनपुर में सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी ने मुंबई के बड़े कारोबारी और कभी कांग्रेस पार्टी से महाराष्ट्र की सियासत के कद्दावर नेता पूर्व गृह राज्यमंत्री को उम्मीदवार बनाकर विपक्षी दलों के सामने चुनाव से पहले बड़ी दे दी थी। हालांकि, भाजपा में टिकट के दावेदार स्थानीय नेताओं की लम्बी फेहरिस्त को नकारकर पार्टी के जिम्मेदारों ने अपने नेताओं के बीच भी नाराजगी मोल लिया, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

समाजवादी पार्टी में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। यहां पर टिकट के दावेदारों में पूर्व मंत्री शैलेन्द्र यादव ललई, पूर्व विधायक लाल बहादुर यादव, लाले यादव, डाॅ. सूर्यभान यादव, पूर्व विधायक मो. अरशद खान, विधायक लकी यादव आदि की लंबी कतार के बावजूद पार्टी मुखिया ने बसपा सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा पर दांव लगाया है। अंदरखाने से मिल रही सूचना के अनुसार यहां भी सबकुछ सही नहीं कहा जा सकता।

फिलहाल समावादी पार्टी में स्थानीय नेता तो मौन साधे हुए हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं की नाराजगी सड़क पर देखी जा रही है। सदर विधानसभा के करंजाकला क्षेत्र में नाराज कार्यकर्ताओं ने घोषित प्रत्याशी का सांकेतिक पुतला दहन कर पार्टी मुखिया तक प्रत्याशी बदलने की बात पहुंचाने की कोशिश की है।बताते चलें कि धनंजय सिंह “जीतेगा जौनपुर, जीतेंगे हम” और “मैं भी धनंजय” के नारे के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी पूरी कर चुके थे। इसी बीच एक मामले में सात साल की सजा होने पर उन्हें जेल जाना पड़ा।

धनंजय के जेल जाते ही उनके समर्थकों में जहां निराशा दिखी वहीं सरकार के प्रति गुस्सा भी। लोकसभा के सभी विधानसभा क्षेत्र में धनंजय के अपने मजबूत वोट हैं, जिसके चलते जिले की सियासी जमीन पर में वो बाहुबली कम और कद्दावर नेता के रूप में अधिक जाने जाते हैं। चुनाव से हटकर हर समय वो गरीबों के मददगार साबित होते रहे हैं। कोरोनाकाल में पूरे जिले में उनके द्वारा भेजी गई मदद आज भी लोगों को याद है। जिसका सीधा फायदा भी बसपा के खाते में होगा।