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Tuesday, December 5, 2023

जौनपुर : स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान का हो रहा घोर अपमान

जौनपुर : स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान का हो रहा घोर अपमान

# शहीद स्मारक की दुर्दशा एंव शिलापट्ट पर शहीदों का नाम मिटना प्रशासनिक अनदेखी का प्रमाण

केराकत।
विनोद कुमार
तहलका 24×7
             स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अंकित 8 अगस्त 1942 यानी 79 साल पहले जब दुनिया जबरदस्त बदलाव के दौर से गुजर रही थीं और पश्चिम में द्वितीय विश्वयुद्ध लगातार जारी था और पूर्व में साम्राज्य के खिलाफ आंदोलन तेज हो रहा था। ऐसे में भारत महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आजादी के सपनों को बुन रहा था। महात्मा गांधी के अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन देश भर में नई क्रांति की इबादत लिखने को बेताब हो उठी।
ऐसे में जौनपुर जिले के केराकत तहसील के शूरवीरों ने भी भारत माँ को आजाद कराने के लिए “भारत छोड़ो आंदोलन” में कूद पड़े। जालिम अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिया था ततपश्चात अंग्रेजों के गोली कांड में शहीद होकर इतिहास के पन्नों में अपनी उपस्थिति को दर्ज कराऐ। उनकी याद में केराकत नगर के नार्मल मैदान में बना शहीद स्मारक सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है। जिन्होंने अपने प्राणों को हँसते हँसते देश के नाम कुर्बान कर दिए ऐसे वीर सपूतों के बलिदान को जीर्ण-शीर्ण शिलापट्ट पर अंकित होकर अपमानित होना पड़ रहा जो शर्मनाक है।

# दुःखद : 11 वीर सपूतों ने देश के लिए दिए थे अपने प्राणदान

शहीद स्तम्भ की स्थिति को देखकर दिल सिहर उठता है मन में एक ही सवाल पैदा होता हैं कि क्या देश के लिये शहीद होने वाले वीर सपूतों को आजाद देश द्वारा यही सम्मान मिलता है? जबकि साल में दो बार 15अगस्त व 26जनवरी को शहीद स्तम्भ पर ध्वजारोहण उपजिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की मौजूदगी में किया जाता है। क्या उनकी निगाह उपेक्षित पड़े शहीद स्तम्भ पर नहीं पड़ती हैं ? क्या जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि जानबूझकर कर उपेक्षित पड़े शहीद स्मारक को नजरअंदाज करते है?
क्या सेनापुर शहीद स्मारक की तरह नार्मल मैदान में स्थित शहीद स्मारक का जीर्णोद्धार नहीं किया जा सकता? कब तक अपने ही देश में शहीद व शहीद परिवारों को शहादत का अपमान झेलना पड़ेगा ? शहीद स्तम्भ पर अंकित शहीदों के नाम भी पूरी तरह मिट जाना अपने आप मे बड़ा सवाल है।पर यह सवाल पूछे तो किससे पूछे ? शिलापट्ट पर अंकित शहीदों के नाम जनोहर सिंह हैदरपुर बक्सा (धनिया मऊ गोली कांड), राम अधौर सिंह, राम महिपाल सिंह, राम निहोर कहार, नंदलाल (अधौरा गोली कांड), महावीर सिंह, विजेंद्र सिंह, माता प्रसाद शुक्ल (मछलीशहर गोली कांड), राम दुलार सिंह, रामनन्द (अमरौरा गोली कांड) व राधुराई (बक्सा) है।

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