ढोल वादक के असामयिक निधन से संगीत प्रेमियों में शोक
शाहगंज, जौनपुर।
एखलाक खान
तहलका 24×7. दिव्यांगता को ताकत बना कर अपनी लगन और मेहनत से अलग पहचान बनाने वाले मशहूर ढोल वादक अमृत लाल चौहान (36) का असामयिक निधन हो गया। जिसकी खबर लगते ही संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके आवास पर पहुंचकर लोगों के शोक संवेदना व्यक्त करने का सिलसिला जारी है।
क्षेत्र के कोरवलिया भादी सेंट थॉमस रोड निवासी अमृत लाल के उंगलियों की थाप जब ढोलक पर पड़ती तो मानो वह खुद ही बजने बजने लगती थी। बचपन में ही पोलियो जैसी गंभीर बीमारी के कारण अपने दोनों पैर खो चुके इस शख्स ने दिव्यांगता को अपने पर कभी हावी नहीं होने दिया, बल्कि उसे अपनी ताकत बना कर विभिन्न संस्थानों से संगीत में विधिवत् शिक्षा ग्रहण कर ढोलक जैसे वाद्ययंत्र को जीवकोपार्जन का माध्यम बनाया। और संगीत के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई।
दिवंगत अमृतलाल के शिष्य करन पार्थ ने बताते हैं कि गुरू जी बाहर से जितने सख्त थे अंदर से उतनें ही कोमल स्वभाव के रहे। उनका इस तरह से छोड़ कर चले जाना बड़ी क्षति है।पिता विश्वनाथ चौहान आंसुओं को नही रोक पा रहे। उन्होंने बताया कि उसने कभी भी अपनी शारीरिक कमजोरी को कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाया। वह मेरा दाहिना हाथ था। अमृत लाल अपने पीछे अपनी पत्नी, बेटा ओम्कार (15) बेटी कुमकुम (17) को छोड़ गए हैं।