तहलका 24×7 महाशिवरात्रि स्पेशल !
# महाशिवरात्रि का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व
स्पेशल डेस्क।
राजकुमार अश्क
तहलका 24×7
सर्वप्रथम तहलका 24×7 के सभी सुधी पाठकों को महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई… हिन्दू धर्म में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं, कुछ त्योहारों का धार्मिक महत्व होता है तो कुछ का आध्यात्मिक तो वहीं कुछ का वैज्ञानिक…. सभी त्योहारों का अपना अपना महत्व होता है उन्ही त्योहारों में एक त्योहार महाशिवरात्रि का भी है। महाशिवरात्रि रात्रि के समय मनाया जाता है इसका भी एक कारण है। भगवान शिव को तमोगुण को हरने वाला माना जाता है उन्हें सत्यम् शिवम् सुन्दरम् के रूप में पूजा है, इस कारण यह त्योहार रात्रि में मनाया जाता है।
वैसे तो पूरे एक वर्ष में बारह शिवरात्रि पड़ती है मगर यह शिवरात्रि न होकर महाशिवरात्रि होती है कि क्योंकि इस दिन भगवान आशुतोष माता पार्वती के साथ परिणय सुत्र में बंधे थे। कहीं कहीं तो भक्त इतने धूमधाम से भगवान शिव की बारात निकालते हैं कि यह समझना मुश्किल हो जाता है कि यह बारात भगवान की है या किसी इन्सान की। महाशिवरात्रि पर्व की एक विशेषता है कि सनातन धर्म को मानने वाले सभी धर्म प्रेमी इस त्योहार को बडे़ ही धुमधाम से मनाते।
महाशिवरात्रि के दिन सभी भक्त व्रत रखते हैं, जप तप दान का विशेष महत्व होता है भक्त शिवलिंग के दर्शन पूजन करते समय शिवलिंग पर बेलपत्र, धतुरा, दूध, दही, शहद आदि से शिव जी का अभिषेक करते हैं। हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के व्रत को रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नही रहता है उसकी सभी मनोकामना भगवान शिव अवश्य पूरी करते हैं।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि होने के मध्य की अवधि यानि कि सूर्यास्त होने के बाद 2 घण्टा 24 मिनट का जो समय होता है प्रदोष काल का समय माना जाता है और इसी समय भगवान आशुतोष और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे।मान्यता यह भी है कि इसी प्रदोष काल में ही बारहों ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव भी हुआ था। धार्मिक आधार पर यदि इसे देखा जाए तो इसी दिन भगवान शिव ने वैरागी का जीवन त्याग कर सासांरिक यानि गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था और दुनिया को एक संदेश भी दिया था कि पुरुष और स्त्री एक दूसरे के पूरक है, एक के बिना दूसरा अधूरा है।इस रात्रि को माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हुए व्यतीत करनी चाहिए, इस रात्रि को सोना नहीं चाहिए।
वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो महाशिवरात्रि की रात बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस रात ग्रहों का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर की समस्त ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की तरफ उठने लगती है यानि प्रकृति खुद मनुष्य को आध्यात्मिक शिखर तक पहुँचाने में मदद करने लगतीं है इस कारण इस रात्रि को सोना नहीं चाहिए बल्कि सच्चे और शुद्ध मन से भजन कीर्तन करते हुए भगवान भोलेनाथ तथा माता पार्वती की आराधना करनी चाहिए।
Mar 10, 2021