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Wednesday, February 19, 2025

पराली वायु प्रदूषण का नियंत्रण नैनो कंपोजिट से संभव : प्रो. अवनीश

 पराली वायु प्रदूषण का नियंत्रण नैनो कंपोजिट से संभव : प्रो. अवनीश

नैनो-कण चुंबकत्व दवाओं के लिए महत्त्वपूर्ण : प्रो. अंजन

जौनपुर। 
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव 
तहलका 24×7 
            वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन प्रथम सत्र में चार मुख्य व दो विस्तृत व्याख्यान हुए।प्रथम वार्ता के क्रम में उन्नत पदार्थ तथा प्रक्रम अनुसंधान संस्थान, एम्प्री, सीएसआईआर भोपाल के निदेशक प्रो.अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने सतत प्रौद्योगिकी और चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए सामग्री विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
उन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि दिल्ली व हरियाणा जैसे प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पराली से होने वाले वायु प्रदूषण का नियंत्रण अब संभव है। कृषि अपशिष्ट पराली से नैनो कंपोजिट का उपयोग कर प्लाईवुड का निर्माण पारंपरिक विधि से बने हुए प्लाईवुड की अपेक्षा 40 प्रतिशत सस्ता और 20 प्रतिशत अधिक मजबूत है। पराली का यह पर्यावरण अनुकूल समाधान है। उन्होंने बताया एल्युमिनियम उद्योग से निकलने वाले अपशिष्ट का प्रयोग एक्स-रे अवशोषित करने वाले टाइल्स के निर्माण में किया जा रहा है। एम्प्री, सीएसआईआर भोपाल व जॉनसन कंपनी संयुक्त रूप से इसका निर्माण कर रही हैं। इस विधि से बने टाइल्स का प्रयोग चिकित्सा केंद्रों, अस्पतालों अनुसंधान प्रयोगशालाओं व निदान केंद्रों में किया जाता है। यह टाइल्स लेड फ्री होती है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
व्याख्यान की द्वितीय चरण में आईआईटी कानपुर के प्रो. अंजन कुमार गुप्ता ने माइक्रोन आकार के सुपर कंडक्टिंग क्वांटम हस्तक्षेप उपकरणों का उपयोग करके एकल नैनो-कण चुंबकत्व विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बताया कि नैनो कणों का सटीक स्थानीयकरण उन्हें कैंसर कोशिका को लक्षित करने के लिए उपयोगी बनाता है।विस्तृत व्याख्यान के तृतीय क्रम में पूर्वांचल विश्विद्यालय जौनपुर के जैवप्रौद्योगिकी विभाग की प्रो. वंदना राय ने मानव स्वास्थ्य, रोग जोखिम और दवा वितरण में फोलेट की भूमिका विषय पर अपना व्याख्यान प्रतिभागियों के मध्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि डीएनए संश्लेषण, डीएनए मरम्मत और कई अन्य कार्यों के लिए फोलेट की आवश्यकता होती है। फोलेट की कमी से कैंसर, न्यूरल टब डिफेक्ट, मिर्गी जैसी विभिन्न बीमारियां हो सकती हैं।
भविष्य में दवा वितरण प्रणाली के रूप में फोलेट संयुग्मित नैनो वहन किया जाता है। यूके द्वारा फोलिक एसिड की कमी को रोकने के लिए ब्रेड और अन्य खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन किया जा सकता है।इस अवसर प्रो. देवराज सिंह, प्रो. मिथिलेश सिंह, प्रो. प्रदीप कुमार, डॉ. गिरधर मिश्रा, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. मिथिलेश यादव, डॉ. पुनीत धवन, डॉ. दिनेश वर्मा, डॉ. अजीत सिंह, डॉ. श्याम कन्हैया सिंह, डॉ. शशिकांत यादव, डॉ. नीरज अवस्थी, डॉ. सुजीत कुमार चौरसिया, डॉ. काजल कुमार डे, डॉ. धीरेंद्र चौधरी समेत बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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