पुरोहित गैंग का नया आइटम है सैंडविच मसाज, नगर निकाय को लगा चुका है 36 लाख का चूना!
# थाईलैंड और बैंकाक की मसाज वाली सुविधा जौनपुर में देने वाला पुरोहित गैंग का चेयरमैन पेशे से बेसिक शिक्षक और कथित पत्रकार है। लेकिन ग़ैरनामी धंधे में इसने नगर पालिका को टेंडर के एक फ्राड में चार साल में लगाया 36 लाख से अधिक रकम की चपत।
# शिक्षा विभाग: परिषदीय विद्यालय में शिक्षक के तौर पर दो दशक में पांच से अधिक बार खुद को निलम्बित और संबद्ध कराके प्रदेश सरकार को लाखों की राजस्व क्षति पहुंचाई, हालांकि इसमें हिस्सेदार जिले के विभागीय अफ़सर भी रहे हैं।
कैलाश सिंह
विशेष संवाददाता
जौनपुर/लखनऊ।
तहलका 24×7
डान एक्सप्रेस
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग और नगर निकाय में बड़े पैमाने पर होने वाले भ्रष्टाचार की बानगी है जौनपुर का पुरोहित गैंग। चूंकि ये गैंग चौतरफा पैसा कमाने के फेर में पूजा पाठ से लेकर देह व्यापार के सहारे राजनीति का शौक रखने वालों को ‘हनी ट्रैप’ करता है। इसलिए उसे अपने मसाज पार्लर में विदेशी सुविधा भी रखनी पड़ती है।पुरोहित गैंग के मसाज पार्लर में इन दिनों बैंकाक और थाईलैंड की तर्ज पर ‘सैंडविच मसाज’ की सुविधा शुरु हो गई है।
इस गैंग के लीडर का एक मेंबर जो स्कूल भी चलाता है वह काल गर्ल की व्यवस्था करता है और दूसरा मेंबर चौकी और थानों से सेटिंग करता है। इस धंधे का पहला नियम है पुलिस की सेटिंग, तभी तो ‘कवि चकाचक बनारसी’ ने दशकों पूर्व लिखा था कि ‘जुआ खेलावे के होखे त पुलिसन के साट ला, चकला चलावे के होखे त पुलिसन के साट ला, येही बदे एनहन क रतियय में गश्त हौ, पटक के मारा जे कहे 15 अगस्त हौ’।दिलचस्प पहलू तो ये है कि इस गैंग का लीडर वर्ष 1999 से प्राथमिक विद्यालय का शिक्षक है और एक न्यूज एजेंसी का कथित पत्रकार भी है।
वह तो खुद चार साल से पांचवीं बार निलम्बित होकर धर्मापुर ब्लॉक के ‘चौकिया होला’ के विद्यालय में संबद्ध है और फर्जी हलफनामे से बिना स्कूल गए आधा वेतन ले रहा है। इसमें इसका सहयोग खंड शिक्षा अधिकारी कर रहा है, क्योंकि वही पे रोल बनवा रहा है। इसके घर की एक महिला मेंबर भी बिना स्कूल गए वेतन उठा रही है।जौनपुर में ऐसे शिक्षा माफिया केवल प्राथमिक शिक्षक के रुप में डेढ़ सौ से अधिक हैं जो विद्यालय जाने की बजाय अपने रसूख का इस्तेमाल करके दूसरे धंधे करते हैं।
इनके मामलों में सम्बन्धित खंड शिक्षा अधिकारी विभाग के अन्य अफ़सर तक आरोपों के कटघरे में नजर आते हैं। इसी तर्ज पर एक बड़े अखबार में जो कथित स्ट्रिंगर पत्रकार है वह विकास भवन में दलाली वर्षों से कर रहा है और खुद शिक्षक के रुप में तैनात है, सिरकोनी ब्लॉक में जहां वह कभी नहीं जाता है। इस तरह के तमाम शिक्षा माफ़िया हैं जो अपने रसूख का इस्तेमाल करके दूसरे धंधे करते हैं, इनके मामलों में विस्तृत अगली कड़ियों में शिक्षा माफ़िया शीर्षक से मिलेगा।अब फिर पुरोहित गैंग पर गौर कीजिए। इनके लिए कोई दीन धर्म नहीं है।
इस गैंग के मेंबर समाज में बगुला सरीखे रहते हैं और इनकी नजर मछली की तरह केवल पैसे पर होती है।ये उसी रकम के बल पर सरकारी अफ़सरों को अपने शीशे में उतार लेते हैं। मसाज पार्लर में हर नई सुविधा का उद्घाटन ‘हमजातीय’ पुलिस प्रशासनिक अफ़सर और कथित माननीय भी करते हैं। इनके लिए मुफ्त सुविधा मसाज पार्लर के ही कैम्पस में दी जाती है। बाकी अगली कड़ी में मिलेगा। नगर पालिका जौनपुर में एक साल के लिए 33 साइट पर होर्डिंग लगाने के लिए इसने कागज़ी खेल से 11 साल बना दिया।
इस स्कैम की शुरुआत चार साल पूर्व यानी कोरोना के दौरान हुई। इस मामले की जांच रिपोर्ट वर्तमान डीएम के पास है, क्योंकि जांच कमेटी गठित करने के बाद तत्कालीन डीएम का ताबादला हो गया। जब रिपोर्ट आई तब नए डीएम के पास पुरोहित गैंग के वीआईपी मेंबर एक हमजातीय कथित माननीय बचाव के लिए पैरवी में लग गए। अब गौर कीजिए इसने सरकार को कितनी राजस्व क्षति पहुंचाई है। स्कैम करने वाला पुरोहित गैंग का यह लीडर चार वर्ष में कुल 33 साइट से 36 लाख 96 हजार की चपत लगा चुका है।
इसके प्रति स्पर्धा में शामिल शिकायत कर्ताओं के मुताबिक एक होर्डिंग साइट का वार्षिक राजस्व 28 हजार होता है। 33 साइट का हुआ 9 लाख 24 हजार और चार वर्ष का हुआ कुल 36 लाख 96 हजार रुपये। अब दिलचस्प ये होगा कि यह हर्जाना किस धनिक के हवाले से भरा जाता है। इसके अलावा एक साल के टेंडर को 11 साल करने और कराने वालों को जेल भी जाना पड़ सकता है!
क्रमशः……………