पुरोहित गैंग : फर्जीवाड़े में साथ पाने को माननीयों के आवास तक पहुंचती है “मसाज” सेवा
# इस गिरोह के शातिर लीडर का जोड़ीदार मसाज पार्लर संचालक की टैक्सी से ‘पुरुष मसाजिए माननीयों, अफ़सरों के घर भेजे जाते हैं, सेंटर में आने पर फीमेल सेविकाएं मिटाती हैं थकान।
# गैंग लीडर है तो कथित पत्रकार, लेकिन स्कूल गए बिना शिक्षक की नौकरी बचाने को विभागीय अधिकारी और नगर पालिका के टेंडर में हुए फर्जीवाड़े से बचने को माननीयों के पास मसाज सेवकों को लेकर दौड़ रहा।
कैलाश सिंह
विशेष संवाददाता
वाराणसी/जौनपुर।
तहलका 24×7 विशेष
प्रदेश के नगर निकाय में जौनपुर अजूबे घोटाले के चलते सुर्खियों में है। इसकी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी के पास हैl। इसने एक साल के लिए हथियाये फ्लैक्स विज्ञापनके टेंडर को 11 साल के लिए पक्का कर लिया। इसका विस्तृत पिछले एपिशोड में दिया जा चुका है, अब कार्रवाई की खबर का इंतज़ार कीजिए। इस तरह के फर्जीवाड़े से अजूबा स्कैम करने वाला कथित पुरोहित गैंग का यह लीडर प्राथमिक शिक्षक के रूप में पिछले चार साल से खुद को निलम्बित कराके एक विद्यालय में संबद्ध करा लिया है, लेकिन वह विद्यालय का गेट देखे बग़ैर आधा वेतन गुजारा भत्ता के रूप में ले रहा है।
बाद में बहाली कराके मिलने वाली रुकी मोटी रकम भी हासिल कर लेता रहा है। इस तरह वह शिक्षा विभाग के अफसर के साथ मिलकर ‘निलंबन और बहाली’ का खेल कैरम की तरह पिछले दो दशक से खेल रहा है।इस एपिशोड में शिक्षा विभाग के साथ खेले जा रहे उसके गेम के लिए विगत चार साल से जो एक विद्यालय कैंपस उसका मैदान बना है, यानी जहां वह संबद्ध है, उसके नाम और निलम्बन की तिथि का खुलासा किया जा रहा है।
यानी सारे दस्तावेज हमारी टीम के हाथ में उपलब्ध हैं। उस सहायक अध्यापक को तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा 20 नवम्बर 2020 को निलम्बित करके उसे केराकत ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय मल्लाह टोला से धर्मापुर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय चौकिया टोला में संबद्ध किया गया था।
इस निलम्बन आदेश में यह साफ लिखा है कि इस शिक्षक को गुजारा भत्ता (आधा वेतन) तभी देय होगा जब वह इस अवधि में किसी अन्य सेवायोजन या व्यवसाय में नहीं लगे होने का प्रमाण पत्र देगा, तभी हाफ़ सेलरी मिलेगी।
इस मामले में दिलचस्प पहलू ये है कि ये शिक्षक पुरोहित गैंग के जरिये अपने परिजन के नाम पर फ्लैक्स प्रिंटिंग कम्पनी पिछले एक दशक पूर्व से चला रहा है, मसाज पार्लर व अन्य अनगिनत धंधे भी बेनामी हैं। खास बात ये है कि यह एक न्यूज एजेंसी का संवाददाता का बोर्ड अपने घर पर लगाया है जिसमें उसे स्ट्रिंगर के तौर पर छोटा किंतु थैंकनेस एमाउंट भी मिलता है। मान्यता प्राप्त पत्रकार होने के लिए जिला सूचना विभाग में उस न्यूज एजेंसी से मानदेय उद्धरित पत्र जमा करना पड़ता है।
इसके अलावा यह एक पत्रकार संघ का जन्मजात महामंत्री भी है। उस संघ का अध्यक्ष भी कथित हिस्ट्रीशीटर है। वह भी पुरोहित गैंग का खास मेंबर है।
अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि उसके फर्जीवाड़े वाले प्रमाण पत्र को सही मानकर शिक्षा विभाग उसका आधा वेतन भी कैसे जारी कर रहा है? क्योंकि निलंबन-बहाली और सम्बद्धता का यह खेल वह दो दशक से खेल रहा है। क्या ये प्रमाण प्रशासन और शिक्षा विभाग के अफसरों को चश्मे के बाद भी नहीं दिख रहे हैं? जबकि पब्लिक सबकुछ देख रही है।
इसमें बचाव के लिए ‘हमजातीय’ संगठन के वे मेंबर कारगर काम करते हैं जो शिक्षा विभाग, प्रशासन और पुलिस में भी कार्यरत हैं। नगर निकाय में हुए फर्जीवाड़े में बचाव के लिए एक हमजातीय माननीय लगे हैं। यही कारण है कि उनके घर हफ़्ते में कम से कम तीन दिन शेविंग के नाम पर मसाज करने वाला पुरोहित की टैक्सी से जाता है। यही व्यवस्था वह अफसरों के लिए भी करता है।
बाकी टैक्सी एयरपोर्ट से मसाज केन्द्र और यहां से फिक्स होटलों तक काल गर्ल और ग्राहकों को ढोने में लगी रहती हैं। ध्यान रहे, इस मसाज पार्लर में वही ग्राहक आते हैं जो लाखों खर्च करने का माद्दा रखते हैं, क्योंकि उनका मसाज बैंकाक, थाईलैंड की तर्ज पर बाहर से आई कालगर्ल करती हैं। शॉपिंग के लिए खास दुकानें भी हैं। उन्हें सुरक्षा देने की व्यवस्था वे पुलिस अफसर करते हैं जो उस कथित गैंग के मेंबर होते हैं।आमदनी में सबको हिस्सा कमीशन के रूप में मिलता है।
क्रमशः……………..