पुलवामा दिवस पर तहलका 24×7 विशेष
# देश 40 जवानों की शहादत को कर रहा है याद
# केराकत के जवानों ने भी इतिहास के पन्नों में दर्ज कराई स्वर्णिम अक्षरों में शहादत
केराकत।
विनोद कुमार
तहलका 24×7
देश आज पुलवामा शहादत दिवस मना रहा है देश के हर कोने में शहीद स्थल सहित देश के कोने कोने में शहीदों को अपने-अपने तरीकों से याद किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में स्थित अवंतीपोटा इलाके में विगत 14 फरवरी 2019 दिन गुरुवार की अपराह्न आतंकियों ने सीआरपीएफ जवानों के एक काफिले पर बड़ा हमला किया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए और कई अन्य घायल हो गए थे। वारदात के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
आपको बता दें कि पाकिस्तान ने हमले के लिए एक स्थानीय युवक आदिल अहमद डार का इस्तेमाल किया था इसी शख़्स ने सीआरपीएफ के काफिले पर विस्फोटक कार से हमला किया विस्फोट इतना भयानक था कि मौके पर ही 40 जवान शहीद हो गए व पीछे से आ रही बस में सवार जवान घायल हो गए। जिस एसयूवी कार से यह हमला किया गया वह लोकल नंबर की कार थी। अफसोस होता है कि एक कार में 350 किलो विस्फोटक सामान से भरी एसयूवी कार हाईवे पर पूरी रात छिपा रहा और हाइवे पर घूम रही है पर सुरक्षा कर्मियों की नजर में क्यों नहीं आई। काश.. सीआरपीएफ के काफिले पर विस्फोट होने से पहले अगर सुरक्षा कर्मियों की नजर में आ जाता तो शायद इतनी बड़ी वारदात होने से पहले पकड़ा जाता। इस कायराना आतंकी हमले से एक ओर जहां देश गुस्से में था वहीं सीआरपीएफ के जवानों के शहादत का बदला लेने के लिये जवानों में आक्रोश था। आखिरकार वह दिन भी आया जिस दिन का इंतजार हर देशवासी को था। 26 फरवरी को जब देश चैन से सो रहा था तो हिंदुस्तान से 50 किलोमीटर दूर बालाकोट में भारतीय जवानों ने ऐयर स्ट्राइक कर आंतकी ठिकानों को तबाह कर लगभग 350 से ज्यादा आंतकियों को ढेर कर सकुशल वतन वापसी की।
आपको बता दें कि अब तक केराकत क्षेत्र के लगभग दस जवानों ने अपनी शहादत देकर इतिहास के पन्नो में अपनी उपस्थिति को दर्ज कराई पर अफसोस की बात है कि राज्य सरकार की बेरुखी से शहीद परिवारों में रोष का माहौल है। आज सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर जनप्रतिनिधि ऐसे वादे ही क्यों करते जिसे पूरा ही नहीं किया जा सकता हो सरकार शहीद हुई जवानों को लेकर बड़े बड़े वादे करती है पर कम ही शहीद परिवारों को सौभाग्य मिल पाता है।
ग्राम भौरा निवासी शहीद संजय की वीरांगना नीतू सिंह ने कहा कि पुलवामा शहीद दिवस की बरसी पर उन शहीदों को सलाम जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। “शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले” यह पंक्ति किसी शहीद के स्मारक को देखकर साकार हो उठती हैं पर आज के परिवेश में शायद सरकार ने इसको यही तक सीमित कर दिया है। क्या शहीद की शहादत उनकी बरसी पर ही याद की जानी चाहिए जिन्होंने इस देश के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया। अब समय आ गया है कि शहादत का सम्मान सरकारे करे और उनकी शहादत को बेकार न जाने दे जिससे आने वाली पीढ़ी को देश के कुछ करने की प्रेरणा मिल सके।
वहीं तेजपुर गांव निवासी शहीद धीरेंद्र प्रताप के भाई त्रिभुवन यादव ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किये गये वादे तो पूरे हुए पर राज्य सरकार के द्वारा किये गए वादे केवल फाइलों में दर्ज होकर रह गयी। शहीद धीरेंद्र यादव का बेटा अब बड़ा हो गया है ऐसे में सरकार को अपना वादा शहीद के बेटे को नौकरी देकर अपनी पुरानी भूल सुधारने की कोशिश करना चाहिए जिससे शहीद धीरेंद्र यादव की आत्मा को संतुष्टि मिल सके।
वहीं केराकत नरहन निवासी शहीद जावेद खान के भाई रिटायर्ड फौजी असफाक खान ने कहा कि मेरा छोटा भाई देश के लिये शहीद हुए गर्व की बात है हमारे भाई ने तीन आतंकियों को मुठभेड़ में मारने के बाद शहीद हो गये। पूरे परिवार को दुख के साथ गर्व भी हुआ पर.. जब उनकी कब्रगाह को देखते है तो हमे व्यथित होना पड़ता हैं जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है हमारे परिवार को आज भी सरकार की नीतियां स्पष्ट नही हो पाती है।
Feb 14, 2021