भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर संजय जोशी या शिवराज सिंह में किसी एक नाम पर फैसला शीघ्र!
# बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अगले महीने के पहले हफ्ते में हिंदूवादी संगठनों का शांतिपूर्ण विरोध मार्च राष्ट्रीय स्तर पर होगा, लेकिन मांग रहेगी दुनिया भर के हिन्दू अपनी सुरक्षा को लेकर एकजुट हों: स्वामी चिन्मयानंद
# भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नए नाम की घोषणा के लिए पार्टी हाई कमान ने संघ से मांगा था हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड के विस चुनाव और यूपी की नौ सीटों समेत सभी उप चुनाव तक के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक से मांगा था समय।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/नागपुर/शाहजहाँपुर।
तहलका 24×7 विशेष
हरियाणा विधानसभा चुनाव से पूर्व केरल के पलक्कड़ में हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की बैठक के दौरान संघ के सभी पदाधिकारियों की सहमति के बाद भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री संजय जोशी का नाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक गालियारे में इतनी तेजी से गूंजा कि सरकार ने उन्हें सुरक्षा व्यवस्था तक मुहैया करा दी।उनसे मिलने वालों का सिलसिला जो शुरु हुआ वह आज भी कायम है।
वह संघ से ही भाजपा में आये थे और फिर वहीं लौट गए थे। उनकी संगठनात्मक क्षमता को देखते हुए ही संघ ने उनके नाम को आगे बढ़ाया था, लेकिन पार्टी हाई कमान ने हरियाणा, महाराष्ट्र,झारखण्ड आदि राज्यों और यूपी समेत अन्य प्रांतों में उप चुनावों के मद्देनजर समय मांगा था।संघ सूत्रों की मानें तो चुनावों में भाजपा हाई कमान ने अपनी योजना और संघ के सहयोग से सफलता हासिल करने का दावा किया था।
यूपी में लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई 10 में से नौ सीटों को लेकर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की परीक्षा लेने के लिए उनपर ही उप चुनाव की जिम्मेदारी छोड़ दी थी। भाजपा को हरियाणा में मिली अभूतपूर्व सफलता से जहां कांग्रेस हैरान रह गई वहीं महाराष्ट्र में भाजपा और उसके गठबंधन महायुति को मिली प्रचंड जीत और यूपी की नौ में से सात सीटों पर मिली सफलता ने जहां संघ और बीजेपी में समनव्य के मजबूती का प्रमाण दिया, वहीं यह भी स्पष्ट संकेत मिल गया कि ‘यूपी मिशन 2027’ में फतह योगी आदित्यनाथ के बगैर सम्भव नहीं होगा।
दरअसल ये विवरण इसलिए देना पड़ा क्योंकि इसी परिणामों में छिपा है वह नाम जिसपर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए मुहर लगनी है। योगी अपनी अग्नि परीक्षा में सफलता के साथ कुंदरकी विधानसभा के उप चुनाव में जीत के साथ उसे रोल मॉडल भी बना दिये। यहां से संघ के धर्म रक्षा विभाग को पुनर्धामांतरण के लिए नया और ठोस रास्ता भी मिल गया है। क्योंकि कुंदरकी ऐसी सीट है जहां मुस्लिम वोटर 65 फीसदी हैं। करीब 35 साल बाद भाजपा को वहां 1.44 लाख से जीत इस बात पर मिली क्योंकि पार्टी और संघ स्वयं सेवक राजपूतों से खान, पठान बने लोगों को उनके पूर्वजों के सनातन संस्कृति से जुड़े होने का एहसास कराया।
इस बात को अयोध्या मामलों में अगुआ रहे पूर्व गृह राज्यमन्त्री स्वामी चिन्मयानंद ने भी स्वीकार किया।
स्वामी चिन्मयानंद ने ‘तहलका संवाद’ से बातचीत में कहा कि कुंदरकी विधानसभा में मिली जीत और मुस्लिम वोटरों में अशराफिया के सहयोग ने सनातन संस्कृति को धर्मांतरण कर चुके मुस्लिमों में पुनर्जीवित कर दिया। अब चार दिसम्बर को बांग्लादेश में हिंदुओं समेत बंगला भाषियों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में शांतिपूर्ण मार्च निकलेगा।
इसका उद्देश्य दुनियाभर में हिंदुओं की एकजुटता और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को ताकत का एहसास कराना है। इधर भाजपा में महाराष्ट्र के सीएम पद को लेकर थोड़ी कशमकश है लेकिन देवेंद्र फडणवीस का नाम फाइनल माना जा रहा है। इससे जहिर है कि अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर शीर्ष पर जो दो नाम हैं, इनमें संघ की ओर से संजय जोशी और भाजपा की तरफ से एमपी के पूर्व सीएम और केंद्रीय कृषि मन्त्री शिवराज सिंह चौहान हैं। बाकी अन्य नामों में फेरबदल चल रहा है।