14.1 C
Delhi
Tuesday, December 5, 2023

भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में बीबीसी शीर्ष पर, कोरोना पर पश्चिमी मीडिया की असलियत..

भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में बीबीसी शीर्ष पर, कोरोना पर पश्चिमी मीडिया की असलियत..

नई दिल्ली।
स्पेशल डेस्क
तहलका 24×7
              इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने भारत को बुरी तरह प्रभावित किया है। हालांकि इस दौरान संक्रमित मरीजों और होने वाली मौतों को लेकर पश्चिमी मीडिया ने जिस तरह हाय-तौबा मचाई, उसने उनके भारत विरोधी एजेंडे की पोल खोलकर रख दी। लेखक और पॉलिसी कमेंटेटर शांतनु गुप्ता के मुताबिक बीबीसी, वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स अपनी खबरों में भारत और देश के बड़े शहरों में संक्रमित मरीजों और होने वाली मौतों की बड़ी संख्या का बार-बार उल्लेख करते हैं, ताकि बाकी दुनिया को यह बताया जा सके कि भारत महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है। हालांकि पश्चिमी मीडिया प्रति दस लाख जनसंख्या पर ना तो कोरोना मरीजों की बात करता है और ना ही मृतकों का सही आंकड़ा बताता है। क्योंकि अगर इन आंकड़ों की बात करें तो भारत की स्थिति पश्चिमी देशों के मुकाबले बहुत बेहतर है। कोरोना महामारी को लेकर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की बात करें तो बीबीसी शीर्ष पर है।

समाचारों के पक्षपातपूर्ण शीर्षक में गार्जियन भी पीछे नहीं, समाचारों में दुर्भावनापूर्ण शीर्षक की बात करें तो बीबीसी शीर्ष पर है। पिछले 14 महीनों के दौरान उसने लोगों को डराने वाले, संदेहास्पद और सुर्खियां बटोरने वाले 176 शीर्षकों का प्रयोग किया। पक्षपात पूर्ण सुर्खियां लगाने में ब्रिटेन का गार्जियन अखबार भी पीछे नहीं रहा है। उसने भारत में कोरोना महामारी को लेकर जो लेख लिखे, उसमें 96 फीसद के शीर्षक भय पैदा करने वाले थे। वहीं अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स की बात करें तो दोनों के ही 88 फीसद शीर्षक (समाचारों की हेडिंग) दुर्भावनापूर्ण थे। शांतनु गुप्ता के मुताबिक पश्चिमी मीडिया भारत को लेकर तथ्यात्मक रिपोर्टिग में बहुत रुचि नहीं रखता है। उसकी कोशिश भारत सरकार के विरुद्ध एक विमर्श स्थापित करने की होती है। यही वजह है कि हमारे देश को लेकर वे लोग जो खबरें प्रकाशित करते हैं, उसमें से सिर्फ 22 फीसद समाचार ही तटस्थ रिपोर्टिग पर आधारित होते हैं।

550 से ज्यादा लेखों का विश्लेषण पिछले चौदह महीनों के दौरान भारत में कोरोना महामारी को लेकर पश्चिमी मीडिया की भूमिका का पता लगाने के लिए शांतनु गुप्ता ने एक विश्लेषण किया है। उन्होंने ब्रिटिश और अमेरिकी मीडिया से जुड़े शीर्ष समाचार पत्रों और चैनलों द्वारा लिखे और टीवी पर चलाए गए 550 से ज्यादा लेखों का अध्ययन किया, जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई। खास बात यह रही कि इन समाचारों का एक बड़ा हिस्सा ना सिर्फ लोगों में डर पैदा करता है बल्कि भ्रामक भी है।

पचास फीसद समाचार अकेले बीबीसी ने प्रसारित किए शांतनु ने चौदह महीनों की अवधि को दो हिस्सों में बांटा। एक हिस्सा संक्रमण की दूसरी लहर से पहले (मार्च 2020 से मार्च 2021) का था। वहीं दूसरा हिस्सा अप्रैल 2021 से आज तक का है। बीबीसी, द इकोनामिस्ट, द गार्जियन, वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयार्क टाइम्स और सीएनएन ने मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2021 के बीच 553 समाचार लेख लिखे और दिखाए। अकेले बीबीसी ने 275 समाचार दिखाए। न्यूयॉर्क टाइम्स ने जहां इस दौरान 91 आर्टिकल लिखे वहीं वाशिंगटन पोस्ट ने 69 समाचार और विचार संपादकीय के माध्यम से भारत में कोरोना महामारी को वीभत्स रूप में दिखाया।
सिर्फ दो फीसद शीर्षक में भारत सरकार के प्रयासों की सराहना पश्चिमी मीडिया ने भारत में कोरोना महामारी को लेकर जो समाचार दिखाए, उनमें से केवल दो फीसद में ही भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की गई थी। जबकि 76 फीसद समाचारों की हेडिंग डराने वाली और दुर्भावना से प्रेरित थी। अप्रैल 2021 से पहले बीबीसी की 60 फीसद हेडिंग भ्रामक थीं जबकि अप्रैल 2021 में इसकी संख्या 82 फीसद हो गई। वाशिंगटन पोस्ट और सीएनएन की बात करें तो अकेले इसी वर्ष अप्रैल में दोनों ने पचास फीसद से ज्यादा आर्टिकल में कोरोना महामारी को लेकर भारत सरकार की आलोचना की है।

तहलका संवाद के लिए नीचे क्लिक करे ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓

लाईव विजिटर्स

35812345
Total Visitors
194
Live visitors
Loading poll ...

Must Read

Tahalka24x7
Tahalka24x7
तहलका24x7 की मुहिम..."सांसे हो रही है कम, आओ मिलकर पेड़ लगाएं हम" से जुड़े और पर्यावरण संतुलन के लिए एक पौधा अवश्य लगाएं..... ?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हरदोई : विक्षिप्त पति का हाथ-पांव बंधवाकर पत्नी ने फेंका सड़क पर

हरदोई : विक्षिप्त पति का हाथ-पांव बंधवाकर पत्नी ने फेंका सड़क पर हरदोई, लखनऊ। तहलका 24x7            ...

More Articles Like This