भू-माफ़िया: सूदखोर भी निकला कपड़ा व्यापारी, दो लाख का मांग रहा 38 लाख या पूरी जमीन!
# जौनपुर के डीएम को दिए आवेदन में बसीरपुर गांव निवासी कारपेंटर लालजी विश्वकर्मा ने दो लाख का 38 लाख मांगने वाले कपड़ा व्यापारी पर धमकाने का भी आरोप लगाया, अब प्रशासन से निष्पक्ष न्याय की है उम्मीद, यहां से निराशा मिली तो मुख्यमन्त्री दरबार पहुंचेगा पीड़ित।
कैलाश सिंह
लखनऊ/वाराणसी।
तहलका 24×7 विशेष
वर्ष 2020 के मई महीने में जब कोरोना रुपी आपदा से समूची दुनिया के लोग सहमे थे तब गरीबों की बढ़ती दुर्दशा के मद्देनजर पीएम मोदी के साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने खान पान के साथ दवाओं के मुफ्त वितरण व इलाज की व्यवस्था पर पूरा ध्यान रखा। बावजूद इसके तमाम मध्यम व गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को अपने जेवर और जमीन तक बेचनी पड़ी थी।
उसी दौरान जौनपुर शहर से सटे बसीरपुर गांव निवासी लालजी विश्वकर्मा भी अपनी छोटी बेटी के इलाज के लिए जिस कपड़ा व्यापारी से दो लाख ब्याज पर लिए उसने इनसे पांच विस्वा जमीन के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करा लिए। इसी के साथ लालजी विश्वकर्मा ‘भू-माफ़िया और सूदखोर’ के जबड़े में फंस गए। जौनपुर की यह बानगी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिलों में मिलेगी।
इसमें दिलचस्प लेकिन गंभीर पहलू ये है कि आपदा काल में कारपेंटर को दो लाख देकर मौके पर मदद तो कर दी, लेकिन उसकी नीयत का पता तब लगा जब पीड़ित के बेटे उसे दो लाख के बदले चार लाख या पांच लाख तक देने पहुंचे।
कपड़ा व्यापारी ने एग्रीमेंट (मोहायदा) में दो लाख नकद और 75 हजार बकाया दिखाने के साथ यह भी दर्ज कराया कि इसी पौने तीन लाख में 35 लाख की पांच विस्वा जमीन बैनामा करनी होगी। इस तरह उसने लम्बा हाथ फेर दिया। दरअसल सात लाख रुपये प्रति विस्वा का रेट वहां रेल विभाग उन्हें मुआवजा दिया जिनकी जमीन विभाग ने ली। वर्तमान में इस गांव की जमीन की खरीद फरोख्त आठ लाख प्रति विस्वा चल रही है। इसी बिंदु पर कपड़ा व्यापारी भू माफ़िया की कतार में खड़ा नजर आया।
वह कारपेंटर की पूरी पांच विस्वा जमीन हड़पने की नीयत से ही एग्रीमेंट बनाया, जबकि 2020 में प्रति विस्वा वहां पांच लाख से अधिक कीमत थी। लेकिन कोरोना के चलते खरीददार नहीं थे।
# भू-माफ़िया, सूदाखोर से मिलने पहुंचे डीएम के मातहत! ये है पैसे की ताकत
दूसरा और प्रमुख बिंदु ये है कि पीड़ित कारपेंटर लालजी विश्वकर्मा और उनके परिवार से कपड़ा व्यापारी ने चार साल में दो लाख का ब्याज समेत 38 लाख की मांग का हिसाब लगाकर एक पर्चे पर दिया। इस बिंदु पर वह ‘सूदखोर’ साबित होता नज़र आया। उसके द्वारा दी जाने वाली धमकी में साफ कहा जा रहा है कि या तो जमीन बैनामा करके बाकी 75 हजार ले लो या फिर ब्याज के लगभग 38 लाख दे दो।अधिकारियों या पुलिस के पास जाओगे तो तुम्हारी नहीं सुनी जाएगी।
उसकी यह धमकी 28 अक्टूबर को तब कुछ हद तक सही महसूस हुई जब जिलाधिकारी ने 29 अक्टूबर को जमीन व एग्रीमेंट की नकल के साथ फिर मिलने को कहा। दो घंटे बाद जब पीड़ित का पुत्र नकल जमा कराने दफ्तर पहुंचा तब डीएम तो नहीं थे लेकिन उनके दफ्तर के कुछ मातहत कपड़ा व्यापारी की तरफ से समझौते की सिफारिश करने लगे। उन्होंने पीड़ित से ही विपक्षी का फोन नम्बर लिया और बातचीत के दौरान कहा कि हम शाम को मिलने आपकी दुकान पर आएंगे। यह जानकारी पीड़ित ने मीडिया को दी। ये है भू माफ़िया और सूदखोरों की ताकत है।
क्रमशः………..