वृंदावन : गिरता जा रहा है समाज का बौद्धिक स्तर- प्रेमानंदजी महराज
# आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे प्रेमानंदजी महराज के दरबार में
वृंदावन।
तहलका 24×7
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की है। प्रेमानंद महाराज से मोहन भागवत ने आशीर्वाद लिया। सोशल मीडिया पर दोनों के बीच हुए संवाद का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में मोहन भागवत ने प्रेमानंद महाराज से कहा, बस आपके दर्शन करने थे। आपकी बात वीडियो में सुनी तो लगा कि आपसे मिलना चाहिए।
वीडियो की शुरुआत में प्रेमानंद महाराज के सामने मोहन भागवत खड़े दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद प्रेमानंद महाराज के एक भक्त ने परिचय देते हुए कहा, ‘महाराज जी ये मोहन भागवत जी हैं, जो आरएसएस के मौजूदा प्रमुख हैं। इसके बाद प्रेमानंद महाराज ने कुर्सी मंगवाई और उस पर आसन लगाने के लिए कहा। वहां मौजूद अन्य लोगों से भी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर आप लोगों को कुर्सी चाहिए तो ले लीजिये।
# गिरता जा रहा है समाज का ‘बौद्धिक स्तर’
मोहन भागवत से बात करते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर भारत वासियों को परमसुखी करना चाहते हैं तो तो केवल वस्तु और व्यवस्था से नहीं कर सकते। उनका बौद्धिक स्तर सुधरना चाहिए। आज हमारे समाज का बौद्धिक स्तर गिरता जा रहा है, जो चिंता का विषय है। हमारा देश धार्मिक देश है, धर्म की प्रधानता है, हमारी जो नई पीढ़ी है, इन्हीं में राष्ट्र की रक्षा करने वाले लोग निकलते हैं। प्रेमानंदजी महाराज ने आगे कहा, ‘हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? हमें जितना भगवान राम, भगवान कृष्ण प्रिय हैं… उतना ही भारत देश भी प्रिय है। जिस तरीके से राम भक्त और कृष्ण भक्त हैं, उसी तरीके से भारत का हर भक्त वंदनीय है, लेकिन अब जो मानसिकता बन रही है, वह हमारे धर्म और देश के लिए लाभदायक नहीं है। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि इस समय आवश्यकता विचार शुद्ध करने की है, आचरण और आहार शुद्ध करने की है। प्रेमानंद महाराज ने कहा, ”हमारा तिरंगा, हमारा राष्ट्र, हमारा भगवान है। आप तप के द्वारा, भजन के द्वारा लाखों की बुद्धि को शुद्ध कर सकते हैं।
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि आज हम चरित्र पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे चरित्रहीन हो रहे हैं। हमारा देश संकट में आ जाएगा अगर हमारे बच्चे व्यवस्थित नहीं हुए, उनकी बुद्धि शुद्धि नहीं हुई। मोहन भागवत ने कहा कि मुझे भी एक भाषण देना था, मैंने यही बात रखी थी। चिंता यह होती है कि हम सब यह करते जा रहे हैं लेकिन होगा क्या? यही सवाल मन में आता है। इसके जवाब में प्रेमानंद ने कहा कि इसका जवाब सीधा है कि हम श्रीकृष्ण पर भरोसा नहीं करते क्या? अगर भरोसा दृढ़ है तो सब मंगलमय होगा।