सनातन संस्कृति और हिंदुत्व के लिए सकारात्मक सोच बना योगी का दिया मूल मंत्र
# 1980 के दशक में विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख अशोक सिंघल ने नारा दिया था ‘जय श्री राम’ आज भी जन-जन की जुबान पर है। अब चार दशक बाद योगी आदित्यनाथ का मूल मन्त्र ‘बंटोगे तो कटोगे’ बना दूसरा ‘नारा’ जो जनसाधारण की जुबान पर है।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/नई दिल्ली।
तहलका 24×7 विशेष
गोरक्ष पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ लगभग ढाई दशक से सक्रिय राजनीति में हैं। इस दौरान वह ‘राजनीति और संन्यास’ के बीच तालमेल रखते हुए हिंदुत्व का बड़ा चेहरा बनकर उभरे तो उनकी जुबान से स्वतः स्फूर्त निकला दो वाक्य का मूल मन्त्र ‘एक रहोगे तो नेक बनोगे, बंटोगे तो कटोगे’ देशभर में जन साधारण की जुबां पर ही नहीं गूंज रहा है, बल्कि इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनाया जाने लगा है। इसे अपनाया है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प ने।
इसी पांच नवम्बर को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान है। भारतीय मूल के हिन्दू वोटरों की बहुतायत संख्या को रिझाने के लिए उन्होंने नारा दिया है कि अमेरिका और दुनिया भर के हिंदुओं की सुरक्षा की जाएगी। ट्रम्प का दावा है कि यदि जनता ने उन्हें दोबारा मौका दिया तो विश्वभर में रह रहे हिंदुओं को किसी से भयभीत नहीं होने देंगे। इससे पूर्व योगी के मूल मंत्र को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में शामिल करते हुए कहा कि ‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे’। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तो इसे पूरी सहजता से आत्मसात कर लिया।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस मूल मंत्र ने भाजपा को सत्ता में लाकर यह संकेत दे दिया है कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में भी विपक्षी दलों को इसकी काट ढूंढने में मुश्किल होगी।दरअसल बीएचपी नेता अशोक सिंघल का अस्सी के दशक में दिया नारा ‘जय श्री राम’ को पूर्णता राम मन्दिर बन जाने पर मिल गई, लेकिन यह आमजन की जुबान से अयोध्या आंदोलन के दौरान सुर्खियों में आया जो आज भी कायम है।
इसी तरह सीएम योगी आदित्यनाथ का यह मूल मंत्र तब स्वतः सामने आया जब पांच अगस्त 2024 को बांग्लादेश में तख्ता पलट हुआ और मोदी सरकार ने वहां की प्रधानमन्त्री शेख हसीना को भारत लाकर सुरक्षित कर लिया। इसी दौरान वहां के अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के नरसंहार, उनके मन्दिरों को मिटाने और महिलाओं से दुराचार का सिलसिला शुरु हुआ तो हिंदुओं ने एकता के साथ इसका विरोध शुरु कर दिया। उनकी इसी एकता ने सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण और हिंदुत्व की चेतना को झंकृत करते हुए ठोस आधार दे दिया।
योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में एक समारोह के दौरान दो वाक्य का यह मूल मंत्र दिया जो आज अंतर्राष्ट्रीय फ़लक पर छा गया है।वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार सांसद बने और 2005 में उनसे एक प्रकरण में फोन पर मेरी बात हुई तब महसूस हुआ कि सनातन संस्कृति को लेकर उनका नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है। इसे वह राजनीति से अलग रखते हैं। राजनीति के लिए तुष्टिकरण बिल्कुल नहीं करते हैं। आज वही योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व का बड़ा चेहरा बन चुके हैं।