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Monday, January 20, 2025

सर्पदंश मामलों में केंद्र का बड़ा फैसला, राज्यों से कहा इसे ‘अधिसूचित बीमारी’ घोषित करें

सर्पदंश मामलों में केंद्र का बड़ा फैसला, राज्यों से कहा इसे ‘अधिसूचित बीमारी’ घोषित करें

नई दिल्ली। 
तहलका 24×7 
               केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भारत में सांप के काटने के मामलों और इससे होने वाली मौतों को ‘अधिसूचित रोग’ घोषित करने का आग्रह किया है। सर्पदंश के मामलों और मौतों को अधिसूचित रोग घोषित कर दिया जाएगा, तो सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं (मेडिकल कॉलेजों सहित) के लिए सभी संदिग्ध, संभावित सर्पदंश के मामलों और मौतों की रिपोर्ट करना अनिवार्य हो जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिल श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिव और अतिरिक्त सचिव स्वास्थ्य को संबोधित एक पत्र में इस बात की जानकारी दी। उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा कि सांप के काटने से सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता होती है और कुछ मामलों में, वे लोगों के लिए मौतें, अस्वस्थता और विकलांगता का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि सर्पदंश का सबसे अधिक खतरा किसान, आदिवासी आबादी में है। इसमें सांप के काटने की समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने संबंधित मंत्रालयों और हितधारकों के परामर्श से 2030 तक भारत से सांप के काटने के जहर की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरु की है।
श्रीवास्तव ने कहा कि कार्य योजना का उद्देश्य वर्ष 2030 तक सांप के काटने से होने वाली मौतों को आधा करना है। योजना में सांप के काटने के प्रबंधन, नियंत्रण और रोकथाम में शामिल विभिन्न हितधारकों की रणनीतिक घटकों, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि एनएपीएसी के तहत प्रमुख उद्देश्यों में से एक भारत में सांप के काटने के मामलों और मौतों की निगरानी को मजबूत करना है। पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि सांप के काटने की घटनाओं और मौतों पर सटीक रुप से नजर रखने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली जरूरी है, जो इससे संबंधित महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव के अनुसार सांप के काटने की निगरानी को मज़बूत करने के लिए सभी सांप के काटने के मामलों और मौतों की अनिवार्य अधिसूचना की आवश्यकता है। श्रीवास्तव ने कहा कि इससे हितधारकों को सटीक बोझ, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों, सांप के काटने के पीड़ितों की मृत्यु के लिए ज़िम्मेदार कारकों आदि का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। जिसके परिणामस्वरूप सांप के काटने के पीड़ितों के बेहतर नैदानिक प्रबंधन में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, सांप के काटने के मामलों और मौतों की अधिसूचना से निजी स्वास्थ्य सुविधाओं से रिपोर्टिंग में भी सुधार होगा। श्रीवास्तव ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस संबंध में आगे की सहायता के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनआईसीडीसी), दिल्ली में सांप के काटने की रोकथाम नियंत्रण के संयुक्त निदेशक और नोडल अधिकारी डॉ. अजीत शेवाले से संपर्क करने को भी कहा है।स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश तेलंगाना, राजस्थान और गुजरात के घनी आबादी व कम ऊंचाई वाले और कृषि क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की 70 प्रतिशत मौतें होती हैं।
खासकर बरसात के मौसम में जब घर और बाहरी इलाकों में सांपों और इंसानों का सामना होता है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक व्यवस्थित साहित्य अध्ययन के अनुसार भारत में अनुमानित 3 से 4 मिलियन सांपों के काटने से सालाना लगभग 58 हजार मौतें होती हैं। जो वैश्विक स्तर पर सांप के काटने से होने वाली मौतों का आधा हिस्सा है। केंद्रीय स्वास्थ्य जांच ब्यूरो (सीबीएचआई) की रिपोर्ट 2016-2020 के अनुसार भारत में सांप काटने के मामलों की एवरेज एनुअल फ्रीक्वेंसी लगभग 3 लाख है और सांप के काटने के कारण लगभग 2000 मौतें होती हैं।

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