सूदखोरी: ये अवैध कारोबारी पुलिस-प्रशासन से बचने के हर दांव में होते हैं सिद्धहस्त!
# तमाम प्राइवेट बैंक होने के बाबजूद आमजन के बीच रहने वाले ‘सूदखोर’ प्रत्यक्ष में दिखते हैं सफेदपोश, कोलकाता समेत बड़े महानगरों से चला यह धंधा आज भी देश-प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों में फलफूल रहा।
# कारपेंटर लालजी विश्वकर्मा को दो लाख के बदले चार साल में 38 लाख 49 हजार के सूद समेत रकम का ‘पुरजा’ कपड़ा व्यापारी हरिकेश चौरसिया ने थमाया तभी पीड़ित परिवार समझ गया कि वह सूदखोर के चंगुल में फंस गया है। इसके बाद डीएम के यहां शिकायती प्रार्थना पत्र दिया तो सूदाखोरों में हड़कम्प मच गया।
कैलाश सिंह
वाराणसी/लखनऊ।
तहलका 24×7 विशेष
यह वाकया चार साल पुराना यानी कोरोना काल में 20 मई 2020 का है लेकिन बसीरपुर जौनपुर निवासी लालजी विश्वकर्मा को मदद के तौर पर जिस पांच विस्वा जमीन का तीन साल के लिए एग्रीमेंट (मुहायदा) पौने तीन लाख में दो लाख नकद और 75 हजार बकाया दर्शाया गया था, वहीं से कपड़ा व्यापारी के मन में खोट था। यदि ऐसा नहीं होता तो ‘नियत’ अवधि में बैनामा क्यों नहीं कराया? क्योंकि यह रकम तत्कालीन समय में भी सर्किल रेट के हिसाब से कम थी, दूसरी ओर नकद दिये गए दो लाख के ब्याज (सूद) को पंख लग गए थे, वह दिन दूना-रात चौगुना बढ़ रहा था, तभी तो यह रकम दुनिया के हर सरकारी व निजी बैंक को मात करते हुए महज चार साल में पिछले महीने तक 38 लाख 49 हजार तक पहुंच गई।
दरअसल ‘सूदखोरों’ का यह धंधा ‘साइलेंट किलर’ सरीखा होता है। इस धंधे में लगे लोगों का दिखावे का कारोबार दूसरा होता है लेकिन असली कमाई ‘सूद’ के कारोबार से होती है। इसमें आयकर से लेकर जीएसटी समेत कोई भी टैक्स नहीं लगता है, ये लोग संगठित नहीं रहते लेकिन इनमें से किसी के भी जाल में फंसा शिकार यदि फड़फड़ाता है तो अन्य धंधेबाज उसे दबोचने में मददगार हो जाते हैं। ये लोग सूद के जाल में फंसे व्यक्ति की सारी सम्पति हड़प लेते हैं।
बसीरपुर निवासी लालजी विश्वकर्मा के साथ हुई घटना तब सतह पर आई जब उनके दोनों पुत्रों के हाथ में दो लाख के बदले 38 लाख 49 हजार का पुरजा आया, साथ ही उन्हें यह भी जानकारी हुई कि यहां की जमीन का सर्किल रेट से कई गुना कम रकम दी जा रही है। इसके बाद इन्होंने 28 अक्टूबर 2024 को डीएम जौनपुर को शिकायती प्रार्थना पत्र दिया। उसमें साफ लिखा कि उनके साथ न्याय किया जाए, न्याय की प्रक्रिया शुरु भी नहीं हुई कि डीएम दफ्तर से जुड़े लोग खुद लाइन बाजार निवासी कपड़ा व्यापारी हरिकेश चौरसिया के घर पहुंच गए।
यह जानकारी पीड़ित के पुत्र अजय विश्वकर्मा ने मीडिया को दी। उसने यह भी बताया कि हरिकेश ने फोन पर परिवार को धमकाया कि हम केवल 75 हजार बकाया देकर ही कोर्ट के जरिए जमीन बैनामा करा लेंगे या फिर 38 लाख 49 हजार देना पड़ेगा। इसी क्रम में अन्य सूदाखोर भी उसके समर्थन में आने लगे हैं। जबकि पीड़ित पक्ष को डीएम से न्याय नहीं मिला तो वह सीएम दरबार में जाने का मन बनाए हुए है।