स्वयंभू विकास पुरुष ‘खेल मंत्री’ के हाथ कब लगा अलादीन का चिराग?
# इस एक सवाल की तलाश में जौनपुर के लोग हैं हलकान, शहर गड्ढों में तब्दील होता गया और मंत्री के महलों की मीनार ऊंचाई नापती रही, फिर भी दावा विकास पुरुष होने का
# अधिवक्ता रह चुके कथित विकास पुरुष ‘खेल मंत्री’ के निजी विकास की पोल उन्हीं के शिक्षक रहे प्रो. आशा राम यादव ने मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में खोलकर रख दिया
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
जौनपुर/लखनऊ।
तहलका 24×7 विशेष
जनपद जौनपुर के निवासी, शहर सीट से विधायक और 2017 में नगर विकास के मन्त्री बने गिरीश चंद्र यादव के साथ दूसरी बार 2022 में खेल मंत्रालय मिलने तक ‘खेल’ होता रहा लेकिन उन्होंने पहले पांच साल के कार्यकाल में ही ‘अलादीन का चिराग’ खोज लिया था। इसके जरिए उन्होंने प्रदेश का कितना विकास किया यह तो वहां के बाशिंदे भोग रहे हैं, जिसकी बानगी इनके गृह जनपद जौनपुर की गलियों में सड़कों पर बने गड्ढों में मौजूद हैं।
बीते चार सितम्बर को खेल मंत्री तब स्वयंभू विकास पुरुष के रुप में खुद को घोषित किए जब एसटीपी और चौकिया शीतला धाम के विकास में हो रहे विलम्ब और बजट के गोलमाल पर ‘आज तक’ टीवी चैनल के संवाददाता राजकुमार सिंह ने उनसे सवाल किया। उन्होंने अपनी सरकार के विकास कार्यों को गिनाते समय खुद को आगे कर दिया। सवाल में घपले की बात पर इतना तिलमिलाए कि पत्रकार की औकात नापते हुए धमकी दे डाली। उन्होंने जिले में विकास का दावा तो किया लेकिन उसे बता नहीं सके।
यह तमाशा भाजपा के महा सदस्यता अभियान के तहत बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुआ, जहां प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया के दर्जनों पत्रकार मौजूद थे। लेकिन मंत्री द्वारा साथी पत्रकार के साथ की गई अभद्रता का विरोध किसी ने नहीं किया जबकि मीडिया संघों के लोग भी उपस्थित थे। विरोध के स्वर शाहगंज व केराकत तहसीलों से उभरे जिसकी आंच प्रदेश की राजधानी तक पहुंचने लगी, जबकि इस घटना की खबर ने राष्ट्रीय पैमाने पर सुर्खियां हासिल की।
अब बात ‘अलादीन के चिराग’ की है जिसे लेकर खेल मंत्री के गृह जनपद जौनपुर के लोग वर्षों से हलकान हैं। इस उत्सुकता का जवाब शिक्षक दिवस पर खेल मंत्री के शिक्षक रह चुके अवकाश प्राप्त प्रो. आशाराम यादव की उस चिट्ठी से मिला जिसे उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा है। इसमें उन्होंने खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव की उन सम्पत्तियों के जांच की बात उठाई है जिसे वह 2017 से अब तक मंत्री रहते बनाई है।
यह भी लिखा गया है की शहरी निकाय मन्त्री बनते ही इन्होंने खुद बेनामी सम्पत्ति तो बनाई ही साथ में प्रदेशभर में अपने रिश्ते-नातेदारों को ठेकेदार बनाकर उन्होंने इतना कमवाया कि वह गरीबी रेखा से उठकर बड़े आयकर दाता की श्रेणी में आ गए, यह दीगर है कि वह टैक्स नहीं देते! उन्होंने सीएम योगी आदित्य नाथ से खेल मंत्री की आय से अधिक सम्पति की जांच कराने की मांग की है।
एसटीपी नमामि गंगे की अमृत योजना और सीवर लाइन दोनों मिलकर छह साल से गटर बनीं हैं, गर्मी में धूल और बारिश में दलदल तथा सर्दी में भी हादसों की प्रमुख वजह हैं। जिस मोहल्ले की सड़क उधेड़ दी जाती है वह वर्षों डेड बॉडी रखी जाने वाली मोर्चरी सरीखी हो जाती है। जहां लोग विवशता में जाते हैं। चौकिया शीतला धाम का विकास यानी सुंदरीकरण को दूसरी बार मिला करोड़ों का बजट भी पहले मिले बजट के साथ सत्तू में नमक की तरह मिलाकर डकारने की योजना पर अमल हो रहा है। रामघाट में प्रदूषण मुक्त शवदाह गृह लाखों खर्च कर सालभर पूर्व बनाया गया। लेकिन वह एक अदद ‘लाश’ के लिए तरस रहा है। ये है जौनपुर के विकास की कहानी………
क्रमशः