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Wednesday, April 24, 2024

आज के दौर में ए-दोस्त वफ़ा की कीमत, नाप कर मिलती है टूटे हुए पैमाने से- अली

आज के दौर में ए-दोस्त वफ़ा की कीमत, नाप कर मिलती है टूटे हुए पैमाने से- अली

# शायर जफर शिराजी की स्मृति मे 17वां मुशायरा व कवि सम्मेलन सम्पन्न 

खेतासराय। 
अज़ीम सिद्दीकी 
तहलका 24×7
                  बीती रात नगर के विद्यापीठ परिसर में शायर जफर शिराजी की स्मृति मे आयोजित 17वें मुशायरे व कवि सम्मेलन में गजल और गीत के साथ हास्य-व्यंग्य के कवियों ने खूब वाह वाही बटोरी। रात दो बजे बारिश हो जाने के कारण आयोजकों को मुशायरे का समापन करना पड़ा।
मुशायरा का प्रारम्भ शायरा शाइस्ता सना ने कौमी एकजहती गीत से ‘जिस्म है तो हिंदुस्तानी लेकिन जान तो हिंदुस्तानी है पढ़ कर किया,। इसके बाद हारून आज़मी ने दिल से जो बात निकलती है निकल जानें दो सुर्ख होठों को दोआओं से जल जानें दो गजल पढ़ा। सुलतान जहां ने गजल पढ़ा बेवजह बेसबब वो रुलाता रहा फिर भी उस पर प्यार आता रहा तथा अली बाराबंकी ने शेर पढ़ा नाजिश मेहर व मेहताब है तू वाह किस दर्जा लाजवाब है तू। इसके अलावा अजम शाकिरी ने  ग़ज़ल पढ़ा बड़ी सर्द हवाएं है शबे गम पिघल रही है वो धुआं सा उठ रहा है कोई शाख जल रही है। ग़ज़ल और गीत के अलावा डंडा बनारसी तथा अयूब वफा ने अपनी हास्य व्यंग्य कविताओं से श्रोताओं को लोट पोट कर दिया।
इसके पूर्व मुख्य अतिथि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने दीप प्रज्वलित कर मुशायरा का आरम्भ किया। पूर्व सांसद ने कहा कि इस तरह के आयोजनों के जहां लोगों ने सौहार्द बढ़ता है वहीं भागदौड़ की जिंदगी मे लोगों को तनाव से मुक्त मिलती है। मुशायरा का संचालन मारूफ देहलवी तथा अध्यक्षता नगर पंचायत अध्यक्ष वसीम अहमद ने किया।
इस अवसर पर मुख्य रुप से प्रबंधक विद्यापीठ अनिल कुमार उपाध्याय, डॉ एम एस खान, डॉ वकील, डॉ अनवर आलम, नजीर, मोहम्मद इश्तियाक प्रधान, अदनान खान, मो. फरहान, हम्माम वहीद आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम आयोजक खुर्शीद अनवर खां ने सभी का आभार ज्ञापित किया।

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