आसमान से बरसती आग में 44 दिन चुनाव, जलकर मरते रहे मतदान में लगे कर्मचारी
# नैतिकता की मिसाल थे लाल बहादुर शास्त्री जिन्होंने रेल यात्रियों को लग रही गर्मी देख मथुरा में अपने कोच से हटवा दिया था कूलर, आज के नेता चुनावी सभाओं में अपने मंच पर लगवाते हैं एसी, पब्लिक खुद के पसीने से बुझाती है प्यास।
# आज देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने आम चुनाव को 7 फेज़ में 44 दिन खींचा तो तापमान ने इनके मुकाबले में चुनौती देते हुए अपना पारा 52 डिग्री के ऊपर पहुंचा दिया। हर फेज़ के मतदान में दम तोड़ रहे मतदान कर्मचारी और आम नागरिक।
# पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री कहते थे की हम उतनी ही सुविधा का उपभोग करेंगे जितना हर आम नागरिक को मुहैया होगी, क्योंकि पैसा उनका है, आज पीएम नरेंद्र मोदी मेडिटेशन के नाम पर कन्या कुमारी में तपस्या कर रहे लग्जरी स्टूडियो में।
वाराणसी/नई दिल्ली/लखनऊl
कैलाश सिंह/अशोक सिंह/एखलाक खान
सलाहकार सम्पादक
तहलका 24×7
देश का आम चुनाव सात फेज़ में 44 दिन चला। एक जून को मतदान का अंतिम चरण समाप्त हो गया। इस बीच वोट प्रतिशत कम या बेसी और दोनों गठबंधन एनडीए-इंडिया अपने घटक दलों को लेकर एक-दूसरे से अधिक सीटें हासिल करने को हर स्तर पर उपाय किए। आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर चला। लेकिन, मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद निर्वाचन कार्य इतना लम्बा खींचने पर क्यों विचार नहीं किया गया?

आज चुनाव के हर फेज़ में तपती गर्मी में सैकड़ों परिवारों के लोग मतदान कार्य में लगे अपनों को खोते रहे। बढ़ते तापमान के साथ मृतकों की बढ़ती संख्या कर्मचारियों के परिजनों के रोंगटे खड़ी करती रही। अखिर इन मौतों की जिम्मेदारी कौन लेगा? इन सवालों का जवाब कार्यवाहक सरकार और मुख्य निर्वाचन आयोग के पास भी शायद नहीं है। ऐसे में नेताओं से नैतिकता की उम्मीद बेमानी होगी।

देश का प्रथम आम चुनाव 13 मई 1952 हुआ, जाहिर है गर्मी का ही सीजन था। तब जनता के जेहन में ऐसे सवाल नहीं कौंधते थे, क्योंकि देश के आजादी की खुमारी में भी नेताओं में नैतिकता परवान पर होती थी। हर आमजन खुद को मालिक समझता था। तब के नेता की एक वाकए के बहाने बानगी देखिए : पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पं. जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में रेल मन्त्री थे। वह मुंबई (बंबई) की यात्रा पर थे।

आज की तरह तपती गर्मी में जब वह अपने कोच में पहुंचे तो राहत भरी ठंड महसूस हुई। उन्होंने अपने पीए से पूछा बाहर गर्मी, भीतर ठंड कैसे? जवाब मिला कि कूलर लगा है, वह बहुत खुश हुए, फिर कहा की सभी यात्रियों को राहत मिलेगी? तब पीए ने बताया की केवल आपके कोच में यह व्यवस्था है। इसके बाद उनके गुस्से का तापमान 52 डिग्री पार कर गया। उन्होंने मथुरा स्टेशन पर अपने कोच से कूलर निकलवा दिया।

कहा कि हम जिसके पैसे का उपभोग कर रहे हैं, उसी को यदि सुविधा नहीं मिले तो हम कैसे लेंगे? यह नैतिकता के परे है।आज सात फेज में हो रहे चुनाव का अंतिम दिन है और गर्मी की ऊंचाई 52 डिग्री से आगे बढ़ते हुए तापमान आसमान की परवाज़ कर रहा है। देशभर में हर फेज़ के चुनाव प्रचार के दौरान सभाओं में तेज़ गर्मी देख अपने नेताओं के लिए आयोजकों ने मंचों पर एसी, कार, हेलिकॉप्टर, जहाज सब वतानुकूलित, लेकिन जुटाई गई भीड़ के लिए तो तमाम जगहों पर पेयजल की व्यवस्था नाकाफ़ी होने पर बिलबिलाते लोग प्यास बुझाने को खुद के होंठ गीला करते नजर आये।

भीषण गर्मी में चुनाव को लम्बा खींचने पर कार्यवाहक सरकार और निर्वाचन आयोग को आमजन के साथ चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी कोसते रहे।तमाम पार्टियों के कार्यकर्ता “जान है तो जहान है” के फार्मूले पर अमल करते हुए खड़ी दोपहरी घरों में गुजार लिए, लेकिन चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को तीन दिन प्रशिक्षण के बाद मतदान से एक दिन पूर्व बूथों पर जाने के लिए कागज लेने और फिर वोटिंग के दिन देर रात ड्यूटी करके लौटे तो घर वालों को उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। कोई लू की चपेट में था, तो किसी का शरीर निर्जलीकरण की गिरफ्त में।

विगत एक हफ्ते से गर्मी से मरने वालों की संख्या में ज्यादा इजाफा हुआ। हालांकि, इसका सिलसिला पांचवे फेज़ से शुरू हो गया था। अंतिम फेज़ से दो दिन पूर्व से सभी राज्यों से मरने वालों के आंकड़े बढ़ने लगे। तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही वोट डालने वालों की घटी संख्या ने ही मतदान प्रतिशत को घटाने में अहम भूमिका निभाई। अब मतगणना 4 जून के बाद चुनाव में लगे लोगों की हुई मौत के मुआवजे का भी सवाल खड़ा होगा?