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Saturday, October 11, 2025

छात्रा से दुराचार मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी एसीपी की गिरफ्तारी पर लगाई रोक

छात्रा से दुराचार मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी एसीपी की गिरफ्तारी पर लगाई रोक                       

कानपुर। 
तहलका 24×7 
              आईआईटी की छात्रा के साथ रेप के आरोपों में घिरे कलेक्टरगंज के एसीपी रहे मोहसिन खान को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने मोहसिन खान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही उनके खिलाफ चल ही जांच भी रोक दी। पिछले कुछ दिनों से शहर में पुलिस अफसर मोहसिन खान और आईआईटी छात्रा का मामला चर्चा में है।
बताते चलें कि बीते 12 दिसंबर को आईआईटी कानपुर की छात्रा ने एसीपी मोहसिन खान पर दुराचार का मुकदमा दर्ज कराया था। कल्याणपुर थाने में एआफईआर दर्ज होने के बाद मोहसिन को लखनऊ मुख्यालय से अटैच कर दिया गया। पुलिस कमिश्नर ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए एसआईटी गठित कर दी।
बताया जाता है कि मोहसिन खान आईआईटी कानपुर से साइबर क्राइम और क्रिमिनोलॉजी की पढ़ाई कर रहे हैं। इस दौरान छात्रा से उनकी नजदीकी बढ़ गई थी। छात्रा का आरोप है कि एसीपी ने उसे अपने प्यार के जाल फंसाकर रेप किया। एसीपी के शादीशुदा होने की जानकारी जैसे ही हुई तो उसने इसकी शिकायत पुलिस कमिश्नर से की।
छात्रा ने कोर्ट में जो अपने बयान दर्ज कराए थे, उसमें ठोस दावा किया था कि आरोपी एसीपी की वीडियो व कॉल डिटेल्स तक उसके पास है।हालांकि, इस पूरे मामले में गुरुवार को अचानक से एक नया मोड़ उस समय आ गया जब मोहसिन के अधिवक्ता गौरव दीक्षित ने बताया कि हाईकोर्ट ने एसीपी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अधिवक्ता का कहना है कि उनके पास हाईकोर्ट का आदेश है।
कहा कि छात्रा इस बात को जानती थी आरोपी एसीपी शादीशुदा हैं और उनके एक बच्चा भी है। बावजूद इसके कल्याणपुर थाने में एसीपी के खिलाफ झूठी एफआईआर पंजीकृत करा दी। अधिवक्ता ने कहा कि आईआईटी छात्रा खुद शादीशुदा हैं। यह बात उन्होंने सभी से छिपाई। जबकि उन्होंने अपनी ओर से मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर रखा था। आवेदन तभी मान्य होता है, जब आप शादी कर चुके हों।
इधर आईआईटी कानपुर में इस मामले को लेकर बुधवार तक कई छात्र-छात्राएं पीड़ित छात्रा के समर्थन में थे। गुुरुवार को हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी मिलने के बाद से कयासों का दौर एक बार फिर से शुरु हो गया है। इस बारे में एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडेय का कहना है कि अगर मामले में हाईकोर्ट का आदेश आ गया है तो एसआईटी की अब कोई भूमिका नहीं बचती। अब जो निर्णय होना होगा, वह हाईकोर्ट के स्तर से ही संभव है।

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