जौनपुर पुलिस की संदिग्ध कार्यशैली: तीन महीने से पत्रकार खुर्शीद जान बचाने को लगाते रहे गुहार, पुलिस कांग्रेस नेता के पैसे पर दौड़ती रही!
# कलमकार खुर्शीद ने कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक नदीम जावेद के एक सियासी ड्रामे, घड़ियाली आंसू पर 12 सितम्बर 2024 को लिखा व्यंग्य, यहीं से पत्रकार पर शुरु हुआ जानलेवा हमला।
कैलाश सिंह
जौनपुर।
तहलका 24×7
कलम के खिलाफ इस खूनी जंग की पटकथा 12 सितम्बर 2024 से तब शुरु हुई जब कथित पुलिस एनकाउंटर में मारे गए मंगेश यादव के जौनपुर स्थित सिकरारा वाला घर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के लिए वोट बैंक की मुख्य शाखा नजर आने लगाl यहां मंगेश यादव के परिजनों को आर्थिक सहायता देते हुए नदीम जावेद के फूट-फूटकर रोने वाले सियासी ड्रामे को खुर्शीद अनवर खान ने सोशल मीडिया पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कलमबद्ध किया, जो कांग्रेस नेता के दिल में सीधे घुस गया, इसके बाद उसी तारीख की रात लगभग 8.30 बजे उनके इशारे पर उन्हीं के गुर्गों ने पत्रकार पर जानलेवा हमला कर दिया और मोबाइल फोन भी छीन लिया।

इसके बाद एसपी डॉ. अजय पाल शर्मा के आदेश पर 13 को दिए गए शिकायती पत्र पर शहर कोतवाली पुलिस ने 14 सितम्बर को पूर्व विधायक नदीम जावेद सहित उनके गुर्गे दीपक व तीन अज्ञात लोगों पर मारपीट व डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ। यहीं से कांग्रेस नेता के पैसे पर पुलिस के बीच गठबंधन शुरु हो गया।पत्रकार खुर्शीद पर ये पहला हमला शहर के शकरमण्डी चौराहे के पास हुआ।अपने खिलाफ मारपीट और डकैती के मुकदमे से बौखलाए कांग्रेस नेता खुर्शीद की जान के दुश्मन बन गए।

वह अपने गुर्गों के जरिए मुकदमा वापस लेने की धमकी देने लगे। यहां तक कि अंडरवर्ल्ड डान अबू सलेम के भाई और उसके गुर्गों ने जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद पत्रकार खुर्शीद ने 24 सितम्बर 2024 को खेतासराय थाने में कांग्रेस नेता नदीम जावेद समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी।

अब पुलिस की भूमिका पर सवाल यहीं से उठने लगे? क्योंकि दो हफ़्ते में दो बड़ी घटनाओं का मुकदमा जिले के दो थानों में दर्ज होने के बावजूद किसी की न गिरफ्तारी हुई और न ही किसी के घर पुलिस गई तो कांग्रेस नेता और उनके गुर्गों के हौसले इतने बढ़ गए कि पत्रकार के खोआ मण्डी वाले आवास को 19 नवम्बर की रात में करीब ढाई दर्जन असलहाधारी बदमाशों ने घेर लिया। बताया जाता है कि उनका मकसद खुर्शीद के अपहरण और हत्या का था।पुलिसिया कार्यशैली से निराश खुर्शीद ने उसी दौरान सोशल मीडिया पर लिखा कि मेरे घर को बदमाशों ने घेर रखा है।

ये सभी कांग्रेस नेता के गुंडे हैं। यदि मेरी जान जाती है तो उसके जिम्मेदार नदीम जावेद होंगे। इस पोस्ट ने पुलिस से हजारगुना तेज काम किया और लोगों को आता देख बदमाश भाग निकले। इसके बाद भी सिलसिला नहीं थमा। खुद के साथ किसी बड़ी अनहोनी घटना से डरे खुर्शीद 20 नवम्बर की सुबह अपने गांव पारा कमाल चले गए। फिर भी काग्रेस नेता और उनके गुर्गों ने पीछा नहीं छोड़ा।

20 की ही रात डेढ़ दर्जन असलहाधारियों ने खुर्शीद के पैतृक आवास को भी घेर लिया, इसकी सूचना उन्होंने पुलिस की मोबाइल टीम 112 नम्बर और खेतासराय थाने को भी दी। अगले दिन 21 नवम्बर को खुर्शीद थाने पहुंचे और थाना इंचार्ज से मिलकर उन्हें मामले की गंभीरता से अवगत कराया तो थानेदार का जवाब था कि इतने बड़े आदमी से टकराने की बजाय मुकदमा वापस लेकर चैन से रहो।

उधर कोतवाली पुलिस ने 14 सितम्बर को दर्ज हुए मुकदमे की चार्ज शीट में लीपापोती करते हुए गम्भीर धाराओं और कांग्रेस नेता नदीम जावेद का नाम निकाल दिया। खुर्शीद के मुताबिक इसके लिए पुलिस ने पांच लाख से अधिक रकम ली।पुलिस की इसी शिथिल कार्यशैली का ही नतीजा रही 22 नवम्बर 2024 की घटना। हौसलाबुलंद बदमाशों ने पत्रकार खुर्शीद अनवर खान को मार-पीटकर मरा समझकर नाले में फेंक दिया था।

एक तरफ लोग खुर्शीद की जान बचाने को अस्पतालों तक दौड़ रहे थे, दूसरी ओर खेतासराय पुलिस ने उनके वृद्ध पिता फैयाज अहमद से जबरन तहरीर लेकर अज्ञात के खिलाफ सामान्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया, जबकि खुर्शीद ने घटना के बाद पुलिस और मीडिया को बयान दिया कि इस घटना को कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक नदीम जावेद और उनकी पत्नी आसमा नदीम के इशारे पर उनके गुर्गों ने अंजाम दिया है।








