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Saturday, April 20, 2024

जौनपुर : बहुत कठिन डगर है शाहगंज सीट पर सपा के जीत की….

जौनपुर : बहुत कठिन डगर है शाहगंज सीट पर सपा के जीत की….

# क्षत्रपों की कारगुजारियों का असर दिखेगा 2022 चुनाव में..

शाहगंज।
रवि शंकर वर्मा
तहलका 24×7
                       2002 से समाजवादी पार्टी के कब्जे में रही शाहगंज विधानसभा की सीट पर अब सपा के जीत की डगर बहुत कठिन हो गयी है। इसकी आधारशिला सोंधी ब्लाक की अप्रत्याशित हार ने रखी है जिसमें अगड़ी व पिछड़ी जाति ने एक ऐसा तानाबाना बुना कि 40 वर्षों से काबिज विधायक शैलेंद्र यादव ललई को हार का मुंह देखना पड़ा।
सियासी पंडितों की मानें तो पंचायत चुनाव में अपने प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और ब्लाक प्रमुख को जिताने के लिए जिस तरह से विधायक शैलेंद्र यादव ललई ने खुलकर साम-दाम-दंड-भेद का इस्तेमाल किया उसका परिणाम विधायक ललई के लिए भयावह निकला। वर्तमान समय में शाहगंज विधानसभा के हर क्षेत्र, हरेक गांव में दो भाग हो चुका है। एक भाग खुलकर पक्ष रखता है तो दूसरा भाग खुलकर विपक्ष… हालात यह हैं कि विपक्ष हाबी हुआ और 40 वर्षों से कब्जे की ब्लाक प्रमुखी की सीट मुट्ठी में बंद रेत के माफिक हाथों से फिसल गई। विधायक ललई के ज्यादातर प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनाव हार चुके हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जीत की डगर में मुश्किलें पैदा करने में काफी है।

# क्षत्रपों की कारगुजारियों का भी असर दिखेगा 2022 चुनाव में

गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और सुभासपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी राणा अजीत प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया गया था जिससे शाहगंज के भाजपा मतदाताओं में सीट के गठबंधन में जाने से नाराजगी थी। इसीलिए भाजपा के भीतर अंदरूनी कलह बढ़ता गया और भाजपाइयों ने साजिश के तहत संयुक्त प्रत्याशी राणा अजीत सिंह को हराने का प्लान बनाया और इसी बीच निषाद पार्टी से भोजन भरी थाली लेकर डॉ सूर्यभान यादव भी चुनावी मैदान में कूद पड़े और 21446 मत पाकर शैलेंद्र यादव ललई के जीत का मार्ग प्रशस्त कर दिया तब जाकर शैलेंद्र यादव ललई विधायक चुने गए और तब तक तो विधायक ललई सहज सुलभ थे आमजन जब चाहे उनसे मिलकर अपना दुखड़ा सुना सकता था लेकिन मोदी लहर में जीत ने काफी बदलाव किया।

मोदी लहर के बावजूद जीत मिलने पर एक बड़ा बदलाव देखने को मिला कि शैलेंद्र यादव ललई के आस-पास चाटुकारों की संख्या में इस कदर वृद्धि हुई कि आमजन के लिए सुलभ और सहज रहने वाला विधायक लोगों से दूर होता गया। रही सही कसर वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी कर दी। कोरोना काल में अंडरग्राउंड हुए विधायक ने शाहगंज विधानसभा क्षेत्र के हरेक गांव, बाजार और कस्बे में अपने क्षत्रप स्थापित कर दिए जो अब तक राजपाट सम्भाल रहे हैं। क्षत्रप ही अब आमजन की समस्या सुन रहे हैं और मुनासिब समझने पर ही विधायक ललई तक बात पहुंचाते हैं जिसका परिणाम यह हुआ कि सबके लिए सहज सुलभ रहने वाले विधायक अब आम जनता के लिए दूर की कौड़ी हो चले हैं। क्षत्रपों की कारगुजारियों की कीमत आखिरकार विधायक ललई को आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में चुकानी पड़ेगी ऐसा सियासी पंडितों का मानना है.. सपा की जीत के डगर में बड़ी मुश्किलें पैदा करने में क्षत्रपों का फैक्टर भी अहम भूमिका निभाएगा।
फिलहाल टकराव और बिखराव का अंदेशा विधायक शैलेंद्र यादव ललई को पंचायत चुनाव के उपरांत हो चला है और तभी से विधायक ललई के चाणक्य भाई एडवोकेट संजय यादव, पुत्र शिवेंद्र यादव समेत पूरी टीम डैमेज कन्ट्रोल में लग चुकी है और पूरी शिद्दत से क्षेत्र में लूप प्वाइंट को सुधारा जा रहा है इस जी-तोड़ मेहनत का परिणाम विधानसभा चुनाव के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। बरवक्त कहा जा सकता है कि बहुत कठिन डगर है शाहगंज सीट पर सपा के जीत की….

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