टैरिफ का झटका: 17 हजार करोड़ के कालीन कारोबार पर संकट
# यूपी की 700 कंपनी और 80 हजार कारीगर मुसीबत में
मिर्जापुर।
तहलका 24×7
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने से कई उद्योगों पर असर पड़ रहा है। ट्रंप के टैरिफ का सबसे अधिक असर भारत के कालीन उद्योग पर पड़ेगा। क्योंकि भारत में बनने वाले कालीन का लगभग 80 फीसदी उत्पाद अमेरिका भेजा जाता है। भारत में बनने वाले कालीन का लगभग 60 उत्पाद उत्तर प्रदेश में बनता है। जिसमें मिर्जापुर, भदोही में सबसे अधिक कालीन बनाई जाती है। ट्रंप के टैरिफ से मिर्जापुर, भदोही कालीन का कारोबार चौपट होने की चिंता व्यापारियों को सता रही है।

क्योंकि मिर्जापुर भदोही का 80 प्रतिशत कालीन अमेरिका एक्सपोर्ट किया जाता है।कालीन कारोबारी मोहम्मद जावेद खान बताते हैं कि टैरिफ के कारण उनके गोदाम से लेकर मुंबई एयरपोर्ट तक कालीन डंप पड़े हुए हैं। देशभर में कालीन कारोबार 20 हजार करोड़ रुपए का होता है। जिसमें 17000 करोड़ की कालीन को अमेरिका भेजा जाता था।मिर्जापुर व भदोही से लगभग 10 से 11 हजार करोड़ का कारोबार अमेरिका से होता था। उन्होंने बताया कि देशभर में एक करोड़ स्किल्ड और अनस्किल्ड लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से इससे जुड़े हुए हैं।

मिर्जापुर, भदोही में 25 लाख लोग अनस्किल्ड हैं, जो कालीन कारोबार से जुड़े हैं। वहीं, काम कर रहे स्किल्ड मिलाकर बात किया जाए तो लगभग 45 लाख लोग इस कारोबार से जुड़े हैं, जो लोग प्रभावित होंगे। टैरिफ का असर इतना होगा कि यह सभी बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार को सब्सिडी देनी चाहिए और इस पर ध्यान नहीं दिया तो उद्योग पूरी तरह से बंद हो जाएगा।सीईपीसी के पूर्व अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि टैरिफ से कालीन 50 से 60 प्रतिशत असर पड़ेगा।

युद्ध के कारण एक्सपोर्ट में कमी आई थी। टैरिफ लगने के बाद 60 परसेंट इफेक्ट पड़ेगा। 8 से 9 हजार करोड़ नुकसान होने जा रहा है। सरकार को आगे आकर सपोर्ट करना चाहिए। 1990 के पहले 20 प्रतिशत नगद प्रोत्साहन राशि सरकार की तरफ से मिलती थी। इसके साथ ही इनकम टैक्स पर छूट था।बैंक ब्याज पर 3 से 4 प्रतिशत छूट मिलता था, जो खत्म कर दिए गए हैं। सरकार नहीं ध्यान दी तो आने वाले समय में कालीन कारोबार पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा।

मिर्जापुर संयुक्त उपायुक्त उद्योग अधिकारी वीरेंद्र कुमार का कहना है कि ट्रंप के द्वारा जो टैरिफ लगाया गया है, उसके कारण कालीन का आर्डर होल्ड हो गया है। उन्होंने कहा कि पहले अमेरिका में टैरिफ 2 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 52 प्रतिशत हो गया है। अमेरिका के जो बायर हैं, वह डिस्काउंट मांग रहे हैं। वह कह रहे हमें 25 से 30 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जाए, तब आर्डर लेंगे। ऐसे में पहले से तुर्की से कंपटीशन चल रहा है, तुर्की के रेट भी कम और मारजिंग पहले ही कम था। इस स्थिति में यहां के व्यवसायी नहीं हैं, कि इतने कम मर्जिंग में सप्लाई कर सकें।

अभी ऑर्डर होल्ड पर हैं, कोई पॉलिसी नहीं बनती है तो नुकसान होने की उम्मीद है।भदोही व मिर्जापुर मिलाकर 80 हजार कारीगर कालीन कारोबार में लगे हुए हैं। इसके अलावा 700 एक्सपोर्टर हैं, जिनका माल जाता है।सरकार इसको लेकर विश्लेषण कर रही है जल्द ही कोई रास्ता निकलेगा।बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 27 अगस्त से 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। अब जो वस्तुएं भारत की अमेरिका में 100 रुपये में बिकती थीं, उनकी कीमत 150 रुपये हो जाएगी। अब तक अमेरिका भारतीय कपड़ों पर सिर्फ 9 फीसदी टैरिफ लगता था, जो 59 प्रतिशत हो गया है।

वहीं, रेडीमेड कपड़ों पर 13.9 से बढ़कर 63.9 फीसदी हो गया। इसके अलावा स्टील, एल्यूमिनियम और कॉपर पर 1.7 प्रतिशत टैरिफ लगता था, जो आज से 51.7 फीसदी हो गया है। फर्नीचर और गद्दे पर पहले 2.3 फीसदी टैरिफ लगता था, जो अब 52.3 प्रतिशत हो गया है। कालीन पर पहले 2 फीसदी टैरिफ था, जो अब 52 फीसदी हो गया। कालीन निर्यात संबंधन परिषद (CEPC) के अनुसार भारत दुनिया के 70 से अधिक देशों को विभिन्न तरह के कालीन (कारपेट) निर्यात कर रहा है।

इनमें मुख्य रुप से अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, इटली, ब्राजील आदि हैं। भारतीय हस्तनिर्मित कालीन मूल्य और मात्रा दोनों ही दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रथम स्थान पर है। भारत अपने कुल उत्पादन का 85 से 90 प्रतिशत निर्यात करता है।

भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग अत्यधिक पारंपरिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से श्रमिकों/कारीगरों, विशेषकर महिलाओं को रोजगार प्रदान करता है। इसमें कार्यरत अधिकांश कारीगर/बुनकर समाज के कमजोर वर्ग से हैं। यह व्यापार किसानों और अन्य लोगों सहित उनके घरों में अतिरिक्त और वैकल्पिक रोजगार प्रदान करता है।







