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Wednesday, April 24, 2024

भई वाह ! सरकार कहती है ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई…

भई वाह ! सरकार कहती है ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई…

# माना कि आपने कहा है इसलिए “सब मुमकिन है” आखिर ये तस्वीरें क्या कह रही हैं?

स्पेशल डेस्क।
रवि शंकर वर्मा
तहलका 24×7
                    केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में एक जानकारी देकर खलबली सी मचा दी। सरकार ने बताया कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते एक भी मौत दर्ज नहीं की गई। राज्य स्वास्थ्य मंत्री भारती प्रवीण पवार के इस बयान ने विपक्ष को सवाल उठाने का मौका तो दिया ही है, आम आदमी और भाजपा समर्थकों को भी हैरान कर दिया। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान एक समय में ऑक्सीजन की किल्लत से पूरा देश जूझ रहा था। ऊपर दिखाई गईं दोनों तस्वीरें उसी दौर की हैं। एक तस्वीर उत्तर प्रदेश के आगरा की है तो दूसरी बहराइच की।
आगरा की रेनू सिंघल अपने पति को बचाने के लिए अस्पताल-अस्पताल भटकी थीं। लेकिन ऑक्सीजन और बेड की कमी के चलते उनके पति की जान चली गई। रेनू एसएन अस्पताल पहुंचीं तो वहां 20 मिनट तक उनके पति को कोई ऑटो से उतारने तक नहीं आया। इमरजेंसी के गेट पर मेरे पति के मुंह से जीभ बाहर निकल आई। ऐसे में रेनू बदहवास हो गईं और अपनी जान खतरे में डालते हुए मुंह से सांस दी। रेनू ने कहा था, ‘मैं अपनी जान देकर भी उन्हें बचा लेती लेकिन सिस्टम से हार गई। मैं कितनी अभागी हूं जो मेरे पति ने मेरी गोद में दम तोड़ दिया…। उस दिन अगर उन्हें ऑक्सीजन मिल जाती तो आज वो जीवित होते।’
वहीं, बहराइच जिले की तस्वीर की कहानी भी झकझोर देने वाली है। यहां के जिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती महिला को ऑक्सीजन की जरूरत थी लेकिन, उसी की किल्लत थी और प्रशासन ने भी हाथ खड़े कर लिए थे। ऐसे में महिला की दो बेटियों ने बारी-बारी से मुंह से मां को ऑक्सीजन देना शुरू कर दिया था। बाद में इस महिला की भी मौत हो गई थी। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। ऐसी कई तस्वीरें केंद्र की मोदी सरकार से सवाल पूछती हैं कि क्या अपने आंकड़े सुधारने के लिए हमें भी झूठा करार दे दिया जाएगा, क्या हमारी भावनाओं की कोई कीमत नहीं?
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के सवाल के जवाब में कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है। पवार से पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है। उन्होंने यह भी बताया कि बहरहाल, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी। पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई।
उधर, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी की वजह से किसी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई है। हमने इस बारे में अदालत में एक शपथपत्र भी जारी किया है। हमने औद्योगिक उपयोग के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति 100 फीसदी बंद करके केवल चिकित्सकीय उद्देश्य के लिए कर दी थी।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी बुधवार को दावा किया कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कमी के कारण राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। मुख्यमंत्री रूपाणी ने जूनागढ़ में कहा, ‘गुजरात में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। दूसरी लहर के दौरान राज्य के अस्पतालों में 8.5 लाख से ज्यादा मरीजों का उपचार हुआ। इनमें 8.25 लाख मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं।’ रूपाणी ने कहा, ‘हमने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए कई अस्पताल निर्धारित किए। एक भी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत की सूचना नहीं है। हमने ऑक्सीजन की आपूर्ति के पर्याप्त इंतजाम किए थे। विपक्षी दल झूठे आरोप लगाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।’
मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई और इस संबंध में केंद्र द्वारा राज्य सभा में दिया गया बयान वास्तविकता है। तमिलनाडु के चिकित्सा एवं परिवार कल्याण मंत्री सुब्रमण्यम से मुलाकात करने के बाद यहां संवाददाताओं से बातचीत में सारंग ने ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के प्रयासों के लिए केंद्र को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “हमारे राज्य में ऑक्सीजन की कमी से कहीं कोई मौत नहीं हुई है। जैसा केंद्रीय मंत्री ने सदन में कहा, वह सच है।” 
वाह रे सिस्टम और सिस्टम के कारिंदे… जो पूरी बेब़ाकी से आंखों में आंखे डाल झूठ बोल रहे हैं कि आक्सीजन की कमी के चलते एक भी मौत नहीं हुई। आखिर वह कौन सी हवा चली थी जब सीएचसी, पीएचसी, जिला चिकित्सालयों में धड़ाधड़ आक्सीजन प्लांट की घोषणाएं कर जन प्रतिनिधि खबरों की सुर्खियां बटोर रहे थे, जन प्रतिनिधि, समाजसेवी धड़ाधड़ आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन बांट कर खबरों में छाए थे।
सरकार द्वारा चिन्हित कोविड हास्पिटलों में आक्सीजन सिलेंडर की किल्लत ना होने पाए इसके लिए एसडीएम/ तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को समीक्षा अधिकारी नियुक्त किया गया था जो उस आपातकाल में आक्सीजन की कालाबाजारी पर अंकुश लगा सके। उस आपाधापी में आक्सीजन आपूर्ति के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई गई थी, अरब देेशों से आये आक्सीजन के खेप पर काफी दिनों तक स्टीकर बदलने की खबरें लोगों में चर्चा का विषय थी। उस समय में हर गांव शहर में ज्यादातर खबरें आक्सीजन की कमी से मौत की ही छाई थी और आप कहते हैं कि आक्सीजन की कमी के चलते एक भी मौत नहीं हुई… बहरहाल आपने कहा है तो मुमकिन ही होगा ! 

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