भारत के संविधान में क्लाइमेट जस्टिस के हैं विशेष प्राविधान- अजित
जौनपुर।
आनन्द देव
तहलका 24×7
उत्तर प्रदेश डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट की ओर से विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर मछलीशहर विकास खण्ड के विभिन्न गांवों में पौधरोपण किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने वर्तमान पर्यावरणीय मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त करने के साथ पर्यावरण संरक्षण हेतु संविधान प्रदत्त अधिकारों एवं कानूनों पर चर्चा की।
सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता अजित यादव ने कहा कि भारत में पर्यावरण जीवन की एक शैली है। पेड़ पौधों की रक्षा के लिए लोगों ने अपने जीवन दान किए हैं। लेकिन वक्त के साथ लोगों की प्राथमिकता बदलने लगी है और आधुनिक युग में उपभोक्तावाद से लोग प्रभावित हुए हैं। जहां एक तरफ बढ़ती जनसंख्या गरीबी को बढ़ा रही है वहीं दूसरी तरफ अमीरों का लालच बढ़ता जा रहा है और वन्य जीवन को नष्ट किया जा रहा है। जंगलों को समाप्त किया जा रहा है। पारंपरिक पौधों के स्थान पर आज सजावटी पौधों को स्थापित करके जैव विविधता को नष्ट किया जा रहा है। भूमि, जल तथा वायु प्रदूषित हो रहे हैं। अब इस बात की आवश्यकता महसूस हो रही है कि इसके संरक्षण के संदर्भ में काम किया जाए।
भारत का संविधान विश्व का ऐसा पहला संविधान है जिसमें पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। भारतीय संविधान में निहित समाजवादी विचारधारा का प्रमुख लक्ष्य सभी को जीवन को सुखद वस्त्र उपलब्ध करवाना है। यह केवल पर्यावरण प्रदूषण मुक्त से ही संभव है। सौहार्द फेलो सिकंदर बहादुर मौर्य ने कहा कि संघीय और राज्य पर्यावरण नियमों में वायु गुणवत्ता, जल गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन, भूमि संरक्षण, रसायन और तेल रिसाव, पीने के पानी की गुणवत्ता शामिल हैं। कुछ पर्यावरण नीतियां निजी व्यक्तियों, संगठनों या व्यवसायों के कार्यों को नियंत्रित करती हैं।
सौहार्द फेलो प्रकाश चंद्र ने कहा कि अनुच्छेद 51ए (जी) विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में मौलिक कर्तव्य से संबंधित है। वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक-पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा। सौहार्द फेलो राजबहादुर समाजसेवी ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में जीवन के अधिकार तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। जिसकी विस्तृत व्याख्या न्यायपालिका द्वारा की गई। जिसमें स्वच्छ पर्यावरण को मूलभूत अधिकार में शामिल किया गया है। इस अवसर पर क्षेत्र के 6 गांवों में 50 से ज्यादा स्थानों पर फलदार एवं छायादार पौधे लगाने और उसके संरक्षण का संकल्प लिया गया।