महाराष्ट्र सरकार ने त्रिभाषा नीति पर आदेश लिया वापस, सीएम फडणवीस ने की नई समिति की घोषणा
मुंबई।
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महाराष्ट्र में हिंदी विवाद के बीच राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी पढ़ाने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच, राज्य सरकार ने त्रिभाषा नीति लागू करने के संबंध में दो जीआर (सरकारी आदेश) वापस ले लिया। राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकारी आदेश वापस लेने के फैसले की जानकारी दी।

मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिक्षाविद् डॉ. नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक समिति के गठन की भी घोषणा की, जो भाषा नीति के आगे के रास्ते और कार्यान्वयन का सुझाव देगी। फडणवीस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक तीन-भाषा नीति शुरू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था और नीति के लागू करने पर एक समिति गठित की थी। सीएम फडणवीस ने कहा, राज्य मंत्रिमंडल ने कक्षा एक से तीन-भाषा नीति के लागू करने के संबंध में अप्रैल और जून में जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को वापस लेने का फैसला किया है।

तीन-भाषा फॉर्मूले के कार्यान्वयन की सिफारिश करने के लिए डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी।महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल को एक जीआर जारी किया था, जिसमें अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाया गया था। लेकिन इसका विरोध शुरू होने के बाद सरकार ने 17 जून को संशोधित जीआर जारी किया, जिसमें हिंदी को वैकल्पिक भाषा बनाया गया था।

राज्य सरकार के जीआर वापस लेने के फैसले के बाद शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि हिंदी और राज्य के स्कूलों के लिए तीन-भाषा नीति पर जीआर वापस लेने के बाद 5 जुलाई को उनकी पार्टी और मनसे के प्रस्तावित संयुक्त विरोध प्रदर्शन को रद्द कर दिया गया है। राउत ने कहा, सरकार ने हिंदी को अनिवार्य बनाने वाले जीआर को वापस ले लिया है। यह मराठी एकता और ठाकरे बंधुओं के एक साथ आने के डर की जीत है।

5 जुलाई का विरोध मार्च अब नहीं होगा, यह ब्रांड ठाकरे है।गौरतलब है कि महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा 1 से हिंदी पढ़ाने को लेकर राज्य में फिर से विवाद शुरू हो गया है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। ठाकरे बंधुओं ने सरकार के फैसले के खिलाफ 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त मार्च निकालने की घोषणा की थी।