महिला सुरक्षा मामलों में ममता बनर्जी व अखिलेश यादव घिरे
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/कोलकाता
तहलका 24×7 विशेष
# अयोध्या और कन्नौज में हुई बलात्कार की घटनाओं में आरोपी समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी और कोर वोटर निकले, इनके बचाव में अखिलेश यादव ने डीएनए जांच को मुद्दा बनाया जिसे सीएम योगी ने जांच का आदेश देकर फेल कर दिया।

# यूपी से बड़ा मुद्दा पश्चिम बंगाल की युवा प्रशिक्षु डॉक्टर से बलात्कार और हत्या का बन गया है। इस घटना में आरोपी के बचाव में ममता बनर्जी के आने पर कोलकाता हाईकोर्ट ने पूरे मामले की जांच सीबीआई को मय दस्तावेज सौंप दिया।

एक तरफ देश में महिला सुरक्षा और उनकी राजनीति में हिस्सेदारी बढ़ाकर 33 फीसदी करने की कवायद चल रही है, वहीं दूसरी ओर देश के दो बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के दो बड़े राजनीतिक दलों के मुखिया बलात्कारियों के बचाव में आकर आम जनता की निगाह में खुद को सवालों के घेरे में खड़े कर लिए हैं। स्पष्ट है, उन्होंने इन मामलों में वोटों के लिए तुष्टिकरणवादी तरीका अपनाया।

यूपी में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ अपराधियों के लिए ‘महाकाल’ बने हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी तो महिला होकर भी महिला सुरक्षा के मामले में खुद को वहां की आम जनता की नजर में संदिग्ध हो गईं हैं।यहां इस बार वह दिल्ली के निर्भया कांड जैसे बड़े मुद्दे में ‘जनता की अदालत’ वाले कटघरे फंसती दिख रही हैं। यहां ऐक्शन में आये कोलकाता उच्च न्यायालय ने पूरे मामले को सीबीआई को सौंपते समय कोर्ट में ही हादसे से जुड़े सारे सुबूत भी पुलिस से हस्तांतरित करा दिया।

सवाल ये है कि पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी आरोपी को क्यों बचाने में जुटी हैं? जवाब सीबीआई की जांच के बाद ही मिलने की संभावना है, लेकिन देश की आजादी की 78 वीं सालगिरह पर 15 अगस्त की मिड नाइट में विरोध प्रदर्शन भारत में पहली बार हो रहा है। इससे पहले अमेरिका के फिलाडेल्फिया में वर्ष 1975 में मिड नाइट प्रदर्शन हुआ था। पश्चिम बंगाल की तरह वहां भी एक युवा डॉक्टर की रात में चाकू घोपकर नृशंस हत्या की गई थी।

वोट के तुष्टिकरण ने राजनीतिक दलों को इतना बेशर्म बना दिया है कि उनके मुंह से इस घटना को लेकर बोल भी नहीं फूट रहे हैं। विलम्ब से ही सही, इसके विरोध में केवल कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शिवसेना के बयान आए हैं।यूपी में समाजवादी पार्टी और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकारों में कानून व्यवस्था को लेकर काफी समानता रही है। सपा सरकार जब भी गिरी है उसके मूल कारण में गिरती कानून व्यवस्था रही है।

अयोध्या की घटना में डीएनए जांच की मांग करने के बाद अखिलेश यादव से बसपा सुप्रीमों सुश्री मायावती ने पूछा कि वह अपनी सरकार के दौरान बलात्कार की कितनी घटनाओं में ऐसी जांच के आदेश दिए थे? इसका जवाब वह आज तक नहीं दे पाए, लेकिन इस मुद्दे को योगी आदित्यनाथ ने छीन लिया। उन्होंने अयोध्या और कन्नौज दोनों मामलों में डीएनए जांच के आदेश दे दिए। रहा सवाल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार का तो यह लगातार महिला सुरक्षा को लेकर फिसड्डी साबित हुई है।

ममता बनर्जी को फर्क नहीं पड़ता कि किसी महिला को निर्वस्त्र कर पीटा जा रहा है या दुष्कर्म हो रहा है, क्योंकि ऐसी घटनाओं की शिकार ज्यादतर हिन्दू महिलाएं होती हैं। वह भी सपा की तरह मुस्लिम वोट बैंक सुरक्षित करने में लगी रहती हैं। सोशल मीडिया के चलते हर मामले तेजी से पब्लिक तक पहुंचने लगे हैं। वहां के अधिकतर मामलों में एफआईआर और जांच हाईकोर्ट के दखल पर ही हुई है।

पश्चिम बंगाल के आर जीके मेडिकल कॉलेज व हास्पिटल में प्रशिक्षु युवा महिला डॉक्टर के रेप व हत्त्या का मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ने लगा है। मृतका के परिजनों को तीन घंटे तक शव नहीं देखने दिया गया। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया गया। घटना स्थल वाले आडिटोरियम में रेनोवेशन के नाम पर आनन-फानन में तोड़फोड़ करना भी संदेह को बढ़ाता है। पश्चिम बंगाल में अरसे बाद पहली बार क्रीमीलेयर कहें या प्रबुद्ध वर्ग, यह भी विरोध में आने लगा है। इस वर्ग का आगे आना इस प्रदेश में भी बड़े बदलाव का संकेत माना जा सकता है।








