मोबाइल… आंखों के साथ साथ कान को भी करता है क्षतिग्रस्त- डॉ अखिलेश्वर शुक्ला
# छात्र-छात्राएं, नौजवान हो जायें सतर्क
जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर के प्राचार्य कैप्टन डॉ अखिलेश्वर शुक्ला ने भारत के भविष्य निर्माता छात्र-छात्राओं एवं नौजवानों से एक मार्मिक अपील करते हुए कहा है कि वर्तमान परिस्थिति एवं हालात को देखते हुए यदि युवा पीढ़ी सतर्क नहीं हुआ तो भारत का भविष्य हीं नहीं नौजवानों का भविष्य भी अंधकारमय हो जायेगा। विगत दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें डाक्टरों द्वारा आंखों की रोशनी कम व क्षतिग्रस्त होने का कारण मोबाइल को बताया जा रहा है। इलाज के नाम पर इसे एक असामान्य बीमारी बताई जा रही है।

हाल-फिलहाल कुछ ऐसी घटनाएं भी घटी हैं.. जो दिल दहला देने वाली हैं। ऐसी ही एक घटना जौनपुर जनपद के उमरपुर निवासी जयंती टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी के संचालक रामकृष्ण उर्फ बबलू दुबे के साथ घटित हुई है। कुछ महीनों से कम सुनाई देना, कान में दर्द के कारण रात में नींद न आने के कारण परेशान थे। जौनपुर के डाक्टर ने कान के नस सुख जाने की बात बताई। प्रयागराज एवं लखनऊ तक के इलाज से यह स्पष्ट हो गया कि कान का पर्दा एवं पर्दे के पीछे की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई है।
जिसका कारण मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग करना है। इसका इलाज केवल ऑपरेशन द्वारा ही संभव है। संयोग से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के नाक कान गला विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार ने अपने अति व्यस्त समय का ढाई घंटे में आपात रोगी बबलू दुबे का आपरेशन करके बताया कि पर्दे के सड़ने, हड्डी के गलने के पश्चात अब मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता था। ऐसे में मोबाइल पर बातें आवश्यक होने पर ही कम-से-कम समय (संक्षिप्त) किये जाने की हिदायत दिया।

ऐसी ही एक घटना बलिया जनपद निवासी सिविल इंजीनियर अशोक कुमार के साथ भी हुआ है। जिन्हें लखनऊ तक के डाक्टरों ने आपरेशन करने से इंकार कर दिया तो गुड़गांव के नामी-गिरामी अस्पताल में आपरेशन कराने के बावजूद भी पूरी तरह से ठीक हो गये हैं ऐसा नहीं कहा जा सकता। व्यक्तिगत जानकारी के पश्चात यह आवश्यक समझा कि छात्र-छात्राओं एवं युवाओं को केवल शैक्षणिक व आवश्यक कार्यों को छोड़कर अनावश्यक मोबाइल का प्रयोग न करें। साथ ही चीन निर्मित मोबाइल से बचें।
विज्ञान के विद्यार्थी इस तरह के ज्वलंत समस्याओं पर चिंतन एवं शोध करें। पश्चिमी अंधानुकरण, विकास के नाम पर भटकाव से बचें। ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप ने सामाजिक, राजनीतिक, व्यक्तिगत जीवन को इतना प्रभावित किया है कि हम लगातार दलगत, जातिगत, क्षेत्रगत विचारों के घरौंदे में घिरते जा रहे हैं। व्यापक की जगह सीमित, सकारात्मक की जगह नकारात्मक सोंच के शिकार होते जा रहे हैं।











