यूपी में पांच साल से दम तोड़ रहीं दो परियोजनाएं, जन-जीवन नर्क
लखनऊ/वाराणसी।
कैलाश सिंह/एके सिंह
टीम तहलका 24×7
अधूरी पड़ी नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवर लाइन व प्लांट के चलते शहरों के सीवर और गलियों तक की सड़कें क्षतिग्रस्त, गर्मी में धूल और बारिश में बन जाती हैं दलदली तालाब, गटर के पानी घरों में पलटकर आने से बढ़ती हैं संक्रामक बीमारियां। धूल से बढ़ने लगे दमा रोगी, प्रदेश में जौनपुर जनपद है इसका जीता जागता उदाहरण।
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इसी परियोजना के घटिया व मन्थर गति से चल रहे कार्य पर सवाल पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने खड़े किए तो उन्हें षड्यंत्र के तहत रंगादारी और अपहरण के केस में फंसाकर सत्ताधारी दल के एक मंत्री ने राजनीति से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया, आम आदमी कैसे करे सवाल? मंत्री पर 25 प्रतिशत कमीशन लेने की चर्चा आम।
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दूसरी परियोजना है ‘हर घर जल’ की, इसके चलते गांवों के खड़ंजे और सड़कों को रुई की तरह उधेड़ कर रख दिया गया, अधिकतर गांवों में बोरिंग करके छोड़ दिया गया, पानी की टंकियां अधूरी, पाइप लाइन घरों तक नहीं पहुंची, बढ़ती तपिश में इंसान के साथ पशु-पक्षियों के भी हलक सूखे पड़े। तमाम पुराने हैंडपंप फेल, कुएं रहे नहीं, कागजों में बने तालाब भी मुंह चिढ़ा रहे।
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खबर विस्तार से…
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लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद उसके कारणों की समीक्षा से आमजन की सरकार व पार्टी से बढ़ी दूरी में जहां एक मंत्री से लेकर प्रतिनिधि जिम्मेदार पाए जा रहे वहीं नौकरशाही इनसे ऊपरी पायदान पर खड़ी है। चुनावी नारों से अलग हटकर सीएम को मिलने वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि परियोजना के कार्य भले ही कोई एजेंसी करे लेकिन उसमें माननीय से लेकर अफसरों को भी कट-कमीशन देना पड़ता है।
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यह तो संयोग से मुख्यमन्त्री योगी ने अपराधियों की कमर तोड़ दी अन्यथा उन्हें भी रंगदारी कट देने के बाद निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी को अपनी बचत निकालकर मात्र 25 परसेंट बजट में 100 फीसदी काम करने पड़ते थे। यह रिपोर्ट दो परियोजना ‘नमामि गंगे’ और ‘हर घर जल’ योजना पर आधारित है।प्रदेश में चाहे जितनी योजना राजधानी से चले लेकिन वह अंतिम शहर-गांव तक पहुंचकर इसलिए दम तोड़ देती है क्योंकि उसके लिए दिए गए बजट पर माननीय व नौकरशाह गिद्ध की तरह झपट पड़ते हैं।
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प्रदेशभर के लिए ‘चावल के दाने की तरह’ जौनपुर में इसकी प्रत्यक्ष बानगी अधूरा मेडिकल कॉलेज, लुंबिनी-दुद्धी मार्ग पर ओवरब्रिज तो सपा सरकार के कार्यकाल से फंसे रहे और वर्तमान सरकार के लिए उपर्युक्त परियोजनाएं हैं। संयोग से सीएम योगी चुनाव के बाद बदहाल नौरशाही को दुरुस्त करने के साथ इन परियोजनाओं को लेकर भी सख्त हुए तो इनमें विलम्ब और घपलों की कलई उतर कर सामने आने लगी। अब इनमें दोषियों पर कार्रवाई के साथ प्रोजेक्ट भी जल्द पूरे होने की सम्भावना प्रबल है।
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प्रदेश के हर जिले की तरह जौनपुर में भी पांच साल पूर्व जब नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवर लाइन के लिए अमृत योजना पर काम शुरू हुआ तो उस समय इसी विभाग से जुड़े एक माननीय द्वारा सैकड़ों करोड़ कमीशन लिए जाने की चर्चा ‘आम’ हो गई। तीन साल पूर्व आमजन की शिकायत पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने प्रोजेक्ट मैनेजर को बुलाकर घटिया निर्माण और धीमी रफ्तार पर सवाल किए तो कमीशन ले चुके वही कथित मंत्री जिनपर पूर्व सांसद ने कमीशनखोरी के आरोप लगाए वही संरक्षण में खड़े हुए और उसी के जरिये मुकदमा करा दिए, बाद में आरोप लगाने वाला मुकर गया तो वह अपने प्रभाव से फिर विवेचना रिपोर्ट लगवाकर मामला आगे बढ़ा दिए। इसी मामले में सजायाफ्ता होने के बाद चुनाव से बाहर हो गए धनंजय सिंह।
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राजनीतिक द्वेष या साजिश से अलग हटकर देखें तो पांच साल में इस परियोजना की शुरुआत अगस्त 2019 में हुई और काम 2021 में पूरा हो जाना था। लेकिन, मौसम की तल्खी में उड़ती धूल से पिछले साल कई स्कूल कॉलेज में पढ़ाई तक प्रभावित हुई। आमजन को टूटी सड़कों और टूटी पाइप लाइन के चलते जल संकट से गुजरना पड़ रहा।
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बड़ी से बड़ी कालोनियों में जल निकासी को महज आठ इंच चौड़ी पाइप से कैसे सीवर बहेगा? इसका जादू प्रोजेक्ट पूरा होने पर लोगों के लिए कौतूहल का विषय होगा। यही पाइप डालने को मोहल्लों की सड़कों, नालियों, सीसी रोड काट दी गई तो उसे ठीक भी नहीं किया गया, केवल अफसरों के आवासों के आसपास सब अप-टू-डेट दिखता है। इसके प्रमाण सड़कों, गलियों में खुलेआम दिख रहे।
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अब बारिश सिर पर है, नाले सफाई को तरस रहे। घंटेभर जोरदार बारिश हुई तो शहर तैरता नजर आयेगा और थोड़ी कम वर्षा में यही सड़कें दलदली तालाब में तब्दील हो जाएंगी। इस दौरान फिर से लोग नर्क भोगने को विवश होंगे।
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इसी तरह हर घर जल योजना ग्रामीण इलाकों में दम तोड़ रही है। जल मिशन योजना के तहत 15 अगस्त 2019 में पूरे देश में इसकी शुरुआत हुई और इसी साल यानी 2024 तक इसे पूरा होना है। लेकिन काम बहुत बाकी है और गांवों की सड़कें, इंटर लाकिंग, खडंजा पाइप डालने में खोद दिया गया है। कहीं टंकी अधूरी है तो कहीं निर्माण ही नहीं हुआ। गांव के बाशिंदों का गला खुश्क रह गया और तल्ख मौसम की मार ऊपर से पड़ी। यह हाल केन्द्र और राज्य सरकार की संयुक्त योजनाओं का है।