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Tuesday, November 11, 2025

योगी सरकार से नाराज चल रहे हैं बिजली विभाग कर्मचारी

योगी सरकार से नाराज चल रहे हैं बिजली विभाग कर्मचारी

# विधान सभा के मानसून सत्र के पहले निजीकरण के विरोध में संघर्ष समिति ने प्रदेश के सभी सांसदों और विधायकों को भेजा पत्र, निजीकरण की पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में, निजीकरण का दस्तावेज सार्वजनिक करने की मांग

वाराणासी।
तहलका 24×7
               विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के समस्त अभियंता, अवर अभियंता, नियमित और संविदाकर्मी अपने कार्यालय पर बिजली के निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करेंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति प्रदेश के समस्त सांसदों, विधायकों को पत्र भेजकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त कराने की मांग करेगी।
     
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि निजीकरण की प्रक्रिया अपारदर्शी है और संदेह के घेरे में है। संघर्ष समिति ने निजीकरण के लिए तैयार किये दस्तावेज को सार्वजनिक करने की मांग की है।समिति द्वारा प्रदेश के सांसदों और विधायकों को प्रेषित पत्र में आंकड़े देकर बताया गया है कि घाटे के नाम पर  पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को बेचा जा रहा है, किन्तु वास्तव में यह दोनों विद्युत वितरण निगम घाटे में नहीं हैं। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन सब्सिडी की धनराशि और सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया घाटे के मद में दिखा रहा है।
सब्सिडी और सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया जोड़ने के बाद दोनों निगम मुनाफे में हैं। वर्ष 2024 -25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम 2253 करोड़ रुपए के मुनाफे में है और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम 3011 करोड़ रुपए के मुनाफे में है।संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि निजीकरण के लिए तैयार किए गए दस्तावेज के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को मात्र 6500 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस के आधार पर बेचा जा रहा है, जबकि इन दोनों विद्युत वितरण निगमों की परिसंपत्तियों का मूल्य लगभग एक लाख करोड रुपए है।
कितनी विडंबना है कि वर्ष 2024 -25 में इन दोनों निगम ने कुल 5264 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है और इन्हें मात्र 6500 करोड रुपए की रिजर्व प्राइस पर बेचने की साजिश है।  इन दोनों निगमों की 42 जनपदों की अरबों खरबों रुपए की जमीन मात्र एक रुपए की लीज पर निजी घरानों को सौंपी जायेगी।पत्र में लिखा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 131 के अनुसार सरकारी क्षेत्र के विद्युत वितरण निगम को किसी निजी क्षेत्र को बेचने के पहले उसकी परिसंपत्तियों का सही मूल्यांकन किया जाना और उसका रेवेन्यू पोटेंशियल निकाला जाना जरुरी है।
संघर्ष समिति ने कहा है कि इन दोनों विद्युत वितरण निगमों की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किये बिना इन निगमों को बेचने के लिये किस आधार पर 6500 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस तय की गई है?समिति ने निजीकरण के पीछे मेगा लूट का आरोप लगाते हुए मांग की है कि निजीकरण का पूरा दस्तावेज सार्वजनिक किया जाय। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण जिस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 के आधार पर किया जा रहा है, वह ड्राफ्ट आज तक पब्लिक डोमेन में नहीं है।
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने ड्राफ्ट स्टैंडर्ड  बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 को न तो अपनी वेबसाइट पर डाला है और न ही इसे राज्य सरकारों और राज्य के विद्युत वितरण निगमों को आज तक सर्कुलेट किया है। समिति ने मांग की है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए आधार बनाए जाने वाले ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 को सार्वजनिक किया जाए।संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ से ही विवादास्पद रही है।
निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की निविदा प्रक्रिया में हितों के टकराव के प्रावधान को हटाया जाना ही भ्रष्टाचार की शुरुआत है। मेसर्स ग्रांट थॉर्टन को ट्रांजैक्शन कंसलटेंट बनाया गया है जो एक दागी कंपनी है और इस कंपनी पर अमेरिका में 40000 डॉलर का जुर्माना लगाया गया है।यह कम्पनी अदानी पॉवर के लिये भी कंसल्टेंट का काम कर रही है। समिति ने पत्र में कहा है कि निजीकरण होने के बाद बिजली की कीमतों में दो से तीन गुना तक का इजाफा होगा।
संघर्ष समिति ने उदाहरण देते हुए कहा कि मुंबई में निजी क्षेत्र में बिजली की दरों 15 रुपए 71 पैसे प्रति यूनिट है जबकि उत्तर प्रदेश में घरेलू बिजली की अधिकतम दरें 06 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट है।समिति ने प्रदेश के सभी सांसदों और विधायकों से अपील की है कि वह अपने पद का सदुपयोग करते हुए प्रभावी पहल करने की कृपा करें, जिससे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय व्यापक जनहित में निरस्त किया जा सके।

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