विश्वविद्यालय की उदासीनता के चलते अंकपत्र में संशोधन प्रक्रिया बंद
जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की लापरवाही का खामियाजा पांच जनपदों के छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। कई लोगों को नौकरी तो मिल गई है लेकिन सत्यापन के चलते उनकी जिंदगी अधर में अटकी है। ऐसे छात्रों का समाधान विश्वविद्यालय की तरफ से नहीं किया जा रहा है। छात्र हर रोज विश्वविद्यालय का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन विश्वविद्यालय परीक्षा समिति के फैसले का हवाला देकर उन्हें वापस कर दे रहा है।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, हड़िया एवं प्रयागराज जिले के विभिन्न महाविद्यालय के छात्रों को संसोधन के लिए विश्वविद्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है। नौकरी के लिए उनको सत्यापन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें कुछ के अंकपत्र में माता-पिता तो कुछ के नाम में गड़बड़ी है। कुछ ऐसे भी छात्र हैं जिनके अंकपत्र में अंको के औसत के कुल योग में कमी है। लेकिन पूर्वांचल विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से छात्रों के अंकपत्र की गड़बड़ी में किसी प्रकार का सुधार नहीं किया जा रहा है।
अलग-अलग जनपदों से विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय के छात्रों की शिकायत है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के चलते किसी के नाम में त्रुटि है तो किसी में टाइटल नहीं लगा हुआ है। छात्रों का तो कई पेपर का अंक ही नहीं चढ़ा है, यह समस्या कोरोना संक्रमण काल के दौरान आई थी विश्वविद्यालय बंद होने की वजह से छात्र अपनी समस्या ठीक नहीं करवा सके थे।स्थिति सामान्य होने के बाद त्रुटि ठीक करने के लिए छात्रों में विश्वविद्यालय में प्रार्थना पत्र के साथ शुल्क भी जमा कर दिया था। शुल्क रसीद प्राप्त होने के बाद भी विश्वविद्यालय में त्रुटि नहीं सही की। विश्वविद्यालय का परीक्षा विभाग छात्रों को यह कह कर वापस कर दे रहा है, कि संशोधन की प्रक्रिया छह माह की होती है। जबकि जिम्मेदार लोगों का कहना है कि अधिकारियों की तरफ से संशोधन प्रक्रिया में रोक लगा दी गई है जब तक रोक नहीं हटेगी तब तक किसी भी छात्रों के समस्या का समाधान कर्मचारियों के स्तर पर करना नामुमकिन है। वहीं कई छात्रों की नौकरी लग चुकी है लेकिन सत्यापन के चलते उनकी जिंदगी दांव पर लगी है।
इस मामले में शुक्रवार को जानकारी देते हुए अजीत सिंह सहायक कुलसचिव परीक्षा ने बताया कि परीक्षा समिति के निर्णय के बाद संशोधन प्रक्रिया बंद हो गई थी। जब भी परीक्षा समिति की बैठक होगी इस मामले को वहां रखा जाएगा। और इस पर विचार किया जाएगा।