शिक्षक भर्ती घोटाला: मुश्किल में ममता के भतीजे
# 15 करोड़ रुपये मांगने की ऑडियो क्लिप लगी सीबीआई के हाथ
कोलकाता।
तहलका 24×7
सीबीआई ने दावा किया है कि बंगाल में साल 2017 में शिक्षकों की अवैध नियुक्तियों के लिए अभिषेक बनर्जी ने घोटाले के एक प्रमुख आरोपित सुजयकृष्ण भद्र से 15 करोड़ रुपये की मांग की थी। सीबीआई ने यह दावा प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले में सुजयकृष्ण के खिलाफ दायर आरोपपत्र में एक आडियो क्लिप के आधार पर किया है। हालांकि इस अभिषेक बनर्जी की पहचान और पूरा परिचय नहीं दिया गया है।

सुजयकृष्ण का परिचय लिप्स एंड बाउंड्स (अभिषेक बनर्जी की कंपनी) के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी के रूप में दिया गया है।सीबीआई ने 21 फरवरी को प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले में 28 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया है। सीबीआई के हाथ लगी आडियो क्लिप में सुजयकृष्ण भद्र की पूर्व टीएमसी नेता कुंतल घोष और शांतनु बनर्जी के साथ बातचीत शामिल है।

क्लिप में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, टीएमसी विधायक और प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य के नाम का भी जिक्र है। आडियो में सुजयकृष्ण को यह कहते सुना जा सकता है कि अभिषेक बनर्जी ने अवैध नियुक्तियों के लिए 15 करोड़ मांगे हैं। आडियो में सुजयकृष्ण ने कहा कि वह पैसा देने में असमर्थ हैं, क्योंकि प्रत्येक अभ्यर्थी से 6.5 लाख रुपये पहले ही लिए जा चुके हैं। सुजयकृष्ण के अनुसार इसके बाद अभिषेक ने अभ्यर्थियों की भर्ती रोकने को कहा। ऐसा नहीं करने पर उन अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा या फिर कहीं दूर नियुक्त कर दिया जाएगा।

सीबीआइ ने आडियो क्लिप को सत्यापित करने के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेज दिया है। इसके अलावा सुजयकृष्ण, कुंतल और शांतनु की आवाज के नमूने भी दिल्ली भेजे गए हैं, ताकि इनकी तुलना की जा सके। सीबीआई सूत्रों के अनुसार कुछ गवाहों ने इस आडियो की सत्यता को स्वीकार किया है।

सुजयकृष्ण, कुंतल और शांतनु ने 2000 और अभ्यर्थियों से 100 करोड़ रुपये वसूलने की योजना बनाई थी। इसमें से पार्थ, मानिक और अभिषेक को 20-20 करोड़ रुपये देने की बात थी, जबकि शेष 40 करोड़ रुपये आपस में बांटे जाने थे। सीबीआई ने यह भी कहा है कि अवैध नियुक्तियों को लेकर पार्थ का अभिषेक के साथ मनमुटाव चल रहा था। अभिषेक बनर्जी के वकील संजय बसु ने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया है और कहा कि उनके मुवक्किल को बदनाम करने की सोची-समझी साजिश है। वहीं तृणमूल ने सीबीआई पर पार्टी महासचिव की छवि खराब करने का आरोप लगाया है।








