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Saturday, April 20, 2024

शिक्षा, विरासत और तहजीब का संगम है शिराजे ए हिंद- निर्मला मौर्या

शिक्षा, विरासत और तहजीब का संगम है शिराजे ए हिंद- निर्मला मौर्या

# हाजी जियाउद्दीन की पुस्तक “असारे-ए-शिराजे-ए- हिंद” का हुआ भव्य विमोचन 

जौनपुर।
रविशंकर वर्मा 
तहलका 24×7 
           मोहम्मद हसन पीजी कॉलेज के सौदागर हाल में बुधवार को हाजी जियाउद्दीन की पुस्तक असारे-ए-शिराजे-ए- हिंद का विमोचन भव्यता के साथ किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट जेड के. फैजान किया।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर डॉ निर्मला एस. मौर्य रहीं। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डॉ अलाउद्दीन, इंकलाब उर्दू रिजीडेन्ट एडिटर जिलानी खान डॉ पीसी विश्वकर्मा रहे।अतिथियों का पुष्प एवं बुके देकर प्राचार्य डॉ अब्दुल कादिर खान ने स्वागत एवं अभिनंदन किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुलपति डॉ निर्मला मौर्य ने अपने संबोधन में कहा कि जौनपुर संस्कृति विरासत तहजीब एवं शिक्षा की एक मिसाल के रूप में देश में जाना जाता है। हाजी जियाउद्दीन की पुस्तक से जौनपुर में बड़े से बड़े ऐतिहासिक स्थल, जौनपुर की धरोहर एवं विलुप्त खेलों एवं स्मारकों की पहचान जिंदा हुई है। मेरे सहयोग से इस किताब का हिन्दी अनुवाद जल्द जारी किया जाएगा। हिंदी अनुवाद होने के बाद इस किताब का हिंदी विमोचन पूर्वांचल विश्वविद्यालय में मेरे द्वारा किया जाएगा ताकि जौनपुर के जनता इस किताब से अपनी धरोहर एवं विरासत की पहचान को जान सकें। प्राचार्य डॉ अब्दुल कादिर खान ने अपने संबोधन में कहा कि इस किताब ने जौनपुर की तमाम धरोहर को संजोने का काम किया है। जौनपुर हमेशा में एक ऐतिहासिक दृष्टि से जाना एवं पहचाना जाता है। हाजी जियाउद्दीन की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है जिन्होंने जौनपुर के इतिहास के साथ अपनी कलम को भी जिंदा रखा जो आने वाली नस्लों के लिए नजीर होगा। इंकलाब उर्दू एडिटर वादुद साजिद ने जौनपुर के कुछ ऐतिहासिक हिस्सों पर रोशनी डाली।विशिष्ट अतिथि रिजीडेन्ट एडिटर जिलानी खान ने अपने संबोधन में कहा जौनपुर देश में ऐतिहासिक रूप में जाना जाता हैं। विशिष्ट अतिथि अलाउद्दीन ने जौनपुर के इतिहास के बारे में बातें साझा की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट जेड के. फैज़ान ने अपने संबोधन में कहा कि जौनपुर तहजीब का मरकज है। जौनपुर एक समय में देश की राजधानी हुआ करता था। जौनपुर की जमीन पर अनेकों शायर एवं इतिहासकारों की जिंदगी गुजरी है जो आज के समय में जानने और पहचानने की जरूरत है जिसको जीवंत रखने के लिए हाजी जियाउद्दीन ने इस किताब को शब्दों में पिरोया है।
अंत में आए हुए सभी अतिथियों का स्मृति चिन्ह एवं बुके देकर प्राचार्य के द्वारा सम्मान किया गया। इस मौके पर जौनपुर की बुद्धिजीवी शख्सियत, इंकलाब उर्दू का परिवार, जागरण ब्यूरो चीफ आनंद चतुर्वेदी, समाजसेवी जितेंद्र यादव, न्यूज एडिटर शाह आलम, लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार अशफ़ाक अहमद, डॉ जियाउद्दीन प्रधान, डॉ विजय सिंह, नोमान खान, डॉ कमरुद्दीन शेख, डॉ ममता सिंह, डॉ निलेश सिंह, प्रवीण यादव, एख़लाक खान, अज़ीम सिद्दीकी, एड. सारिक खान, राहिल अब्दुल्ला, डॉ तबरेज खान, शाहिद नईम समेत सैकड़ों लोगों ने उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का संयुक्त संचालन आरिफ सिद्दीकी एवं अहमद अब्बास खान ने किया।

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