संघ ने यूं ही नहीं योगी को हिंदुत्व का चेहरा माना, लोकसभा में सत्ता पर भारी पड़ा विपक्ष
# एक दशक बाद हंग पार्लियामेंट आने पर लोकसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे पाया सत्ताधारी दल। इसी चुनाव में मोदी के मुद्दे और लहर का हुआ अवसान और राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के रूप में उभरे।
# संघ प्रमुख मोहन भागवत चुनाव परिणाम के ठीक बाद एक वक्तव्य में मोदी और भाजपा को संकेत में मणिपुर सहित विभिन्न मुद्दों पर किया था सचेत, धर्म को राजनीति में लपेटने का नतीजा अयोध्या में मिला।
कैलाश सिंह/एके सिंह
नई दिल्ली/लखनऊ
टीम तहलका 24×7
एक दशक बाद लोकसभा सभा में पहली बार विपक्ष की मौजूदगी का एहसास हुआ। देशव्यापी न्याय यात्रा में आमजन की पीड़ा को समझने वाले राहुल गांधी परिपक्व तो हो गए थे लेकिन उन्हें गोदी मीडिया के जरिए ‘पप्पू’ बनाने वाले सत्ताधारी दल के पीएम समेत कोई मंत्री भी नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनके सवालों का जवाब नहीं दे सके। यही वह दिन था जब मोदी के मुद्दे और लहर का अवसान और राहुल अपनी कौशल कला से राजनीतिक क्षितिज पर उभरे।
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लगातार दो बार चुनाव जीतकर सरकार बनाने वाले भाजपा हाई कमान को अपने पांव तले खिसक चुकी जमीन का एहसास ही नहीं हो पाया।जबकि उनके मुद्दों के साथ मोदी लहर भी समाप्त हो चुकी थी। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक वक्तव्य में हंग पार्लियामेंट आने के बाद सरकार गठन के समय ‘मणिपुर में अहंकार त्यागकर जाने और आमजन पर ध्यान देने की सलाह का संकेत दे दिया था। उन्होंने गोरखपुर प्रवास के दौरान योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व का बड़ा चेहरा माना।
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वहां से संकेत यह भी मिला कि यदि भाजपा हाई कमान योगी को कमजोर करने से बाज नहीं आया तो हिंदुत्व को क्षति जरूर होगी और साथ में यूपी भी हाथ से निकल सकता है। सर संघ चालक ने हाल ही में कहा कि जो लोग भारत में हैं, उसके खान-पान अलग भले हों, लेकिन डीएनए सभी के एक हैं। उनका यह संकेत मुस्लिमों के लिए माना जा रहा है। उन्होंने जनादेश का सम्मान करने के साथ उदारता की नीति अपनाने पर बल दिया। उन्होंने ही विपक्ष को प्रतिपक्ष मानने और चुनाव को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का नाम दिया।
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राहुल गांधी जब देशव्यापी न्याय यात्रा कर रहे थे तब उनसे हर जनसामान्य मिलकर अपनी पीड़ा बताता रहा। देश के अंतिम जिलों तक पहुंचे राहुल गांधी की बोल-चाल, भाषा और गोदी मीडिया द्वारा उड़ाए जा रहे उपहास को नजरंदाज करते हुए खुद को धैर्य की हांडी में जितना पकाया था, उसी से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनके भाषण में आया निखार यह संकेत दे दिया कि अब मोदी सरकार की मनमानी और डिक्टेटरशिप नहीं चलेगी।
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पहली बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल लगातार डेढ़ घण्टे तक मोदी और एनडीए सरकार पर पिछले दस साल में किए गए कार्यों जैसे नोटबन्दी, जीएसटी, महंगाई, बेरोजगारी, एमएसपी, मणिपुर में अग्नि तांडव, पेपर लीक, घोटालों, भ्रस्टाचार, अग्निवीर आदि के सवालों की बौछार कर दी। राहुल गांधी जब बोल रहे थे तब वह थमने का नाम नहीं लिए, लेकिन जब वह बोले कि मोदी, भाजपा और संघ तीनों हिंदुत्व के ठेकेदार नहीं हैं, और वह हिंदू भी नहीं हैं बल्कि देश में 110 करोड़ से अधिक लोग हिंदू हैं।
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इस दौरान उन्होंने अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद को सामने करके वहां के लोगों के तोड़े गए घरों का मुआवजा न मिलने से जनाक्रोश को दर्शाया।सदन में राहुल गांधी के सवालों पर मोदी, शाह समेत किसी भी मंत्री तक के बोल नहीं फूटे। संघ के हिंदुत्व के सवाल का जवाब वहां देने वाला भी कोई नहीं था, अन्यथा वह कहता कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ संघ का यह स्लोगन उसकी सोच की थीम को विस्तार देता है। संघ सूत्रों के मुताबिक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व का बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं।
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वह राजधर्म का पालन करने को अपराधियों, भ्रस्टाचारियों के प्रति सख्त हैं लेकिन वह विशुद्ध अहिंसक हैं। हर धर्म का सम्मान करते हैं लेकिन तुष्टिकरण नहीं, इसका प्रमाण देखना हो तो गोरक्षपीठ में दिखेगा, जहां गाय पालने वाले और तमाम दुकानदार मुस्लिम व विभिन्न जाति, समुदाय के हैं।
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राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि एक जुलाई 2024 में पूरी तरह हाई कमान से मुक्त सत्ता योगी आदित्यनाथ ने चलानी शुरू की। इसके पूर्व सात साल से यूपी की नौकरशाही, भाजपा संगठन, यहां तक कि कैबिनेट भी उनके नियंत्रण में नहीं था। वह केन्द्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री सरीखे काम करते रहे। यदि भाजपा हाई कमान उन्हें हटाने या कमजोर करने से बाज नहीं आया तो 2027 में इस प्रदेश के भी हाथ से निकलने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
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इस बार लोकसभा के चुनाव में एक बात साफ दिखी कि भाजपा मुस्लिमों के ध्रुवीकरण के साथ पिछड़ों, अति पिछड़ों एवं कुछ दलितों और सवर्णों को भी रोकने में फेल हो गई। जबकि, विपक्षी गठबन्धन में कांग्रेस ही मुस्लिमों की पसन्द बन चुकी थी, उनके हीरो बने राहुल गांधी, क्योंकि सड़क पर वही संघर्ष करते उन्हें दिखे।
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लेकिन यूपी में कांग्रेस से गठबंधन के चलते सपा को फायदा मिला। पिछड़े, अति पिछड़े, दलित सीधे तौर पर ‘हम जातीय’ प्रत्याशियों को महत्व दिये, जबकि दलित व कुछ सवर्ण संविधान बचाओ के नारे और गैर भाजपाई प्रत्याशियों से पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं की तरह क्षुब्ध होकर पाला बदले। योगी आदित्यनाथ मिशन 2027 के तहत इसी बिंदु पर काम करने में लगे हैं।