संजय जोशी व वसुंधरा राजे में से एक को मिलेगी भाजपा अध्यक्ष दूसरे को संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी
# राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ द्वारा दिए गए तीन में से दो नामों संजय जोशी और वसुंधरा राजे में ही भाजपा हाईकमान के दोनों शीर्ष नेताओं की अलग-अलग सहमति से बढ़ी उलझन का संघ ने निकाल लिया है तोड़, आठ अक्टूबर के बाद घोषणा होनी तय।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
नागपुर/लखनऊ। 
तहलका 24×7 विशेष
                     केरल के पलक्कड़ में दो सितम्बर को समाप्त हुई संघ की तीन दिवसीय बैठक से ही निकले नए भाजपा अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के पूर्व संगठन महामंत्री संजय जोशी का नाम सुर्खियों में आ गया, लेकिन पार्टी हाईकमान के दोनों शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी और अमित शाह कश्मकश में दिखे तो संघ ने दो और नाम का विकल्प दे दिया।

दोनों विकल्प वाले नाम में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और नितिन गडकरी के रहे। संघ में आंतरिक रुप से तमाम सलाह मशविरे के बाद अब दो नामों संजय जोशी और वसुंधरा राजे में से एक नाम अध्यक्ष और दूसरे को संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी देने पर फैसला लिया गया है। इसकी घोषणा आठ अक्टूबर के बाद किसी भी दिन हो जाएगी।

आरएसएस के सूत्र बताते हैं कि   फाइनल हुए दो नामों में से एक पर मोदी और दूसरे पर अमित शाह की सहमति से बढ़ी उलझन को संघ के प्रमुख पदाधिकारियों ने सुलझा लिया है। इन नामों की घोषणा से अब भाजपा व संघ के कार्यकर्ताओं और इनसे जुड़े लोगों को इसलिए हैरत नहीं होगी क्योंकि दोनों पूर्ण संघनिष्ठ हैं। संजय जोशी ने तो एक दशक पूर्व भाजपा के संगठन महामंत्री का पद सम्भालने संघ से ही आये थे।

उनके भाजपा की राजनीति में हासिए पर जाने का कारण बना था मध्यप्रदेश का एक फर्जी सेक्स सीडी कांड। उस मामले के विवरण में जाने की बजाय यह जानना जरूरी है कि संघ उन्हें भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी क्यों देना चाहता है? तो इसका एक ही जवाब है कि वह संघनिष्ठ होने के साथ बेहतरीन संगठन संचालन करने की क्षमता वाली योग्यता रखते हैं।

इसी तरह वसुंधरा राजे का नाम संघ को तब लाना पड़ा जब संजय जोशी के नाम पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सहमति नहीं दे पाया। राजमाता विजया राजे सिंधिया का समूचा जीवन संघ के लिए समर्पित रहा। संघ की नजर में उनकी बेटी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बिना कम से कम उस प्रदेश में भाजपा को सत्ता में बनाए रखना कठिन है। इस बीच उनमें संघनिष्ठ होने के साथ संगठन पर बेहतरीन पकड़ रखने की क्षमता का भी प्रदर्शन नज़र आया है, साथ में वह जनाधार वाली नेता भी हैं।

सूत्र बताते हैं की संघ प्रमुख से हुई उनकी बातचीत में उन्होंने कह दिया है कि संघ का हर निर्देश उनके लिए सिर माथे पर होगा।दोनों नाम को लेकर संघ निर्णय हो चुका है। किसी एक को अध्यक्ष और दूसरे को संगठन महामन्त्री की जिम्मेदारी मिलने की संभावना प्रबल मानी जा रही है। अब नाम की घोषणा आठ अक्टूबर के बाद तय है।

                                    






