सुल्तानपुर : सामाजिक मर्यादा बनाने हेतु धार्मिक होना आवश्यक- बाबा बजरंगदास
# साहित्यकार जटायु ने अवधी खंडकाव्य अहल्या व्यासपीठ को किया समर्पित
# नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा का दूसरा दिन
कादीपुर।
मुन्नू बरनवाल
तहलका 24×7
“जिस परिवार में पूजापाठ बंद हो जायेगा उस परिवार से संस्कार खत्म हो जायेगा। बुजुर्गों की सेवा सम्मान होता रहे और सामाजिक मर्यादा बनी रहे इसके लिए धार्मिक होना आवश्यक है” उक्त बातें प्रख्यात कथावाचक बाबा बजरंगदास ने कहीं। वे जूनियर हाईस्कूल मैदान में चल रही नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि भगवान शंकर एक बार सती को कथा सुना रहे थे। अचानक उठ खड़े हुए सती ने पूछा तो कहे कि अब तक मैं कथा सुना रहा था अब सुनने जा रहा हूं। सती ने कहा कि कथावाचक कौन है? शिव ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरा शिष्य। सती की शंका पर शिव ने कहा कि कथा श्रेष्ठ होती है कथाकार नहीं। भगवान की कथा से पावन कुछ भी नहीं है। मेरे शिष्य ऋषि अगस्त्य लोकहितकारी कथा कहते हैं।यह सुनकर सती भी साथ चल दीं। इससे पूर्व बालव्यास सम्पूर्णानंद ने कहा कि सत्संग जीवन को सुधारता है। सत्संग से मनुष्य की सभी समस्याएं हल हो सकती हैं इसकी महिमा बहुत बड़ी है।

इस अवसर पर कथा संचालक वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने अपना नवीनतम अवधी खंडकाव्य अहल्या व्यासपीठ को समर्पित किया। आलोक दूबे, आशुतोष सिंह व परमानंद आदि की टीम ने संगीतमय भजन प्रस्तुत कर लोगों को भावविभोर कर दिया। संयोजक सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि रामकथा बाईस अक्टूबर तक चलेगी।








