एआई व मशीन लर्निंग नई दवा को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण : डॉ. रजनीश
जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर डिजाइन विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला के छठवें दिन एआई एवं मशीन लर्निग आधारित दवा के खोज पर पर व्याख्यान और प्रशिक्षण दिया।
फार्मेसी विभाग, आईआईटी, बीएचयू के डॉ. रजनीश कुमार ने एआई एवं मशीन लर्निग पर आधारित दवाओं की खोज पर व्याख्यान और प्रशिक्षण दिया। डॉ. रजनीश ने बताया की एआई एवं मशीन लर्निग मदद से पहले से उपलब्ध डाटा का प्रयोग करके नई दवाओं को कम लागत पर विकसित किया जा सकता है। कंप्यूटर एडेड ड्रग डिस्कवरी के विभिन्न तरीकों के विषय में बताया। उन्होंने ट्यूटोरियल के माध्यम से मॉलिक्युलर रिकॉग्निटशन के बारे में जानकारी दी।
डॉ. रजनीश ने बताया की नई विकसित दवा का क्लेनिकल ट्रायल करने से पहले एआई की मदद से दवा के ट्रायल में सफल होने की संभावना का पता लगाया जा सकता है। इससे दवा को विकसित करने के खर्च को कम किया जा सकता है। सार्स कोविड के प्रोटीन पर बाइंडिंग एवं डॉकिंग को समझाया। वीना और जीनीना सॉफ्टवेयर की मदद से प्रतिभागियों को डॉकिंग करना सिखाया। उन्होंने गूगल क्लाउड कम्प्यूटिंग के कोलेब की मदद से भी डॉकिंग करना सिखाया।
डॉ. अजीत सिंह ने नये अणुओं का तैयार करने व विकसित करने में कंप्यूटेशनल केमेस्ट्री के प्रयोग की भूमिका पर चर्चा की। डॉ. सिंह ने कार्बनिक सुपर बेस से CO2 को अवशेषित करने में प्रयोग के बारे में बताया साथ ही साथ उत्प्रेरक विकसित करने में कंप्यूटेशनल केमेस्ट्री की चर्चा की।
डॉ सिंह ने बताया कि विभिन्न प्रयोग को प्रयोगशाला में करने से पहले हम कंप्यूटर के माध्यम से विभिन्न तरीकों से उनके बारे में अध्ययन कर सटीक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।इस अवसर डॉ. मिथिलेश यादव, डॉ. नितेश जायसवाल, डॉ. आलोक दास व प्रतिभागी उपस्थित रहे।