बांग्लादेश: तलवार की धार पर खड़े इस देश में फिर कथित छात्र आंदोलन, अबकी निशाने पर राष्ट्रपति
# दुनिया का पहला ऐसा देश है ‘बांग्लादेश’ जिसे बगैर प्रधानमंत्री के चला रही है मुख्य सलाहकार मो. युनुस की टीम, हर मेंबर के पास है मन्त्रालयों का पोर्ट फोलियो, उनकी हालत ट्रेन के उस मुसाफिर सरीखी हो गई है जो बगैर टिकट के सवार हो गए।
# बीते पांच अगस्त को अपदस्थ प्रधानमन्त्री शेख हसीना भारत आ गईं, तब वहां के राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन कुछ नहीं बोले, अब अपने संवैधानिक अधिकार को लेकर मीडिया के जरिये मुखर हुए तो मुख्य सलाहकार मो. युनुस हो गए बेहोश।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
नई दिल्ली/कोलकाता।
तहलका 24×7 विशेष
आगामी पांच नवम्बर को बांग्लादेश में तख्ता पलट को तीन महीने हो जाएंगे। यानी पांच अगस्त को वहां की प्रधानमन्त्री शेख हसीना एयरफोर्स के विमान से भारत के हिँडन एयरपोर्ट पर उतरीं, इसके कुछ दिनों बाद से वह दिल्ली के सुरक्षित इलाके में सख्त सुरक्षा में रह रहीं हैं, लेकिन बांग्लादेश में तख्ता पलट में लगे कथित छात्रों में से कुछ वहां की सलाहकार टीम में हैं फिर भी वहां ऐसे ही कथित छात्र दोबारा आंदोलनरत हैं। अबकी उनके निशाने वहां के राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन हैं।

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वह अपने संवैधानिक अधिकार के प्रति जागृत ही नहीं, बल्कि मीडिया के सामने मुखर हुए तो वहां के मुख्य सलाहकार मो. युनुस गश खाकर बेहोश हो गए। बांग्लादेश के लिए पांच नवम्बर 2024 की तारीख इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका में इसी तारीख को नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव जो है। विदित हो कि मो. युनुस को अमेरिका की खुफिया एजेंसी के जरिये बांग्लादेश का चीफ एडवाइजर बनवाये जाने की बात सामने आई थी।

बीते पांच अगस्त को जब शेख हसीना को आर्मी चीफ द्वारा देश छोड़ने के लिए 45 मिनट का समय दिया गया तो उनके मित्र भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की ताकत, खुफिया एजेंसियों की सतर्क तत्परता और सेना के कौशल का एक साथ दुनियाभर के सामने प्रदर्शन नजर आया। मोदी ने इंदिरा गांधी के समय में होने वाली चूक इस बार नहीं होने दी, अन्यथा शेख हसीना अपने पिता शेख मुजीबुर्रहमान की तरह कत्ल कर दी जातीं। उन्हें दुनिया के किसी देश ने शरण नहीं दी, खासकर 57 मुस्लिम देश भी चुप्पी साधे रहे।

लेकिन भारत ने अमेरिका की नाराजगी की परवाह किए बगैर उन्हें सम्मान और सुरक्षा प्रदान की है। अब सवाल यह कौंध रहा है कि बांग्लादेश में फिर क्यों छात्र आंदोलन हो रहा है? तो एक ही जवाब मिल रहा है कि वहां आंदोलनरत छात्र नहीं बल्कि उनके मुखौटे में वही जमायते इस्लामी और आतंकी गिरोहों से संपर्क रखने वाले पाकिस्तान परस्त लोग हैं, जिनकी नजर में वहां के राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन तब चढ़ गए जब उन्होंने शेख हसीना के कथित इस्तीफे की जानकारी अपने देश के पीएमओ और सचिवालय से संवैधानिक तरीके से मांगी। 

इसके अलावा उन्होंने एक मीडिया चैनल से बातचीत में खुलकर स्वीकार किया कि शेख हसीना का न तो इस्तीफा हुआ और न ही उसकी कॉपी उन्हें मिली है, उनके पास ऐसी कोई जानकारी भी नहीं है। शेख हसीना चुनी हुई प्रधानमन्त्री हैं और वह इन दिनों भारत प्रवास में हैं। बस इसी के बाद राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन ने अपने लिए आफत मोल ले ली और चीफ एडवाइजर मो. युनुस गंभीर रुप से बीमार होकर अस्पताल की गहन चिकित्सा निगरानी में चले गए। इसी दौरान से कथित बहुरुपिए छात्र आंदोलन करने और उन्हें हटाने की मांग करने लगे। 

दूसरी तरफ अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के चलते वहां की अपनी व्यस्तता होने से बांग्लादेश की एडवाइजरी टीम बिना टिकट की ट्रेन यात्री जैसी हो गई है, राष्ट्रपति शहाबुद्दीन संवैधानिक तौर पर निर्वाचित हैं, वह यदि शेख हसीना के इस्तीफे से इनकार कर रहे हैं तो उसी से जाहिर होता है कि सलाहकार टीम और उसके मुखिया असंवैधानिक तरीके से पदों पर बैठे हैं और देश बगैर प्रधानमन्त्री के चलाया जा रहा है। हालांकि उन्होंने शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद कहा था कि श्रीमती हसीना ने इस्तीफ़ा दिया है! बाद में राष्ट्रपति और आर्मी चीफ एक-दूसरे से शेख हसीना के इस्तीफे की जानकारी लेते रहे। इस तरह बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना के इस्तीफे की बात सभी मानते रहे लेकिन किसी ने देखा नहीं, यह भी हैरतअंगेज है।

# बांग्लादेश में आतताईयों के निशाने पर फिर आये हिन्दू व अल्पसंख्यक: स्वामी चिन्मयानंद
शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम में हुई तहलका से बातचीत में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मन्त्री स्वामी चिन्मयानंद ने साफ तौर पर माना कि एक बार फिर बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दू, विभिन्न समुदायों से जुड़े बंगाली परिवारों पर फिर जान और इज्जत पर संकट आ गया है। खालिदा जिया के शासनकाल के दौरान बांग्लादेश में एक महीने तक प्रवास पर रहे स्वामी चिन्मयानंद ने वहां किए गए ‘मनोभावों और रहन सहन’ के अनुभव के हवाले से जिक्र किया कि वहां के बंगाली मुस्लिम भी जो ‘गाय’ का मांस नहीं खाते वह भी पाकिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान परस्त लोगों की क्रूरता के शिकार हिंदुओं की तरह होते हैं।

स्वामी चिन्मयानंद ने बांग्लादेश में फिर तेज हो रहे उपद्रव के मद्देनजर सभी अल्पसंख्यकों को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि शेख हसीना का जीवन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के चलते सुरक्षित हुआ। जिस तरह मोदी राष्ट्रवादी विचारधारा को लेकर चल रहे हैं उसी तरह शेख हसीना भी अपने देश हित पर राष्ट्रवादी विचारधारा में अग्रणी और अडिग हैं, तभी तो उन्होंने अमेरिकी की मांग ‘सेंट मार्टिन द्वीप’ को देने से ठुकरा दिया। यह बात उहोंने भारत में रहते हुए अपने बयान में कही है जो सच है। हिंदुओं के हो रहे नरसंहार पर अमेरिका चुप्पी साधे चल रहा है। देश में मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के रहते यहां के हिन्दू तो सुरक्षित हैं लेकिन बांग्लादेश के बाशिंदे हिन्दू अब खुद को फिर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मन्त्री ने कहा, बांग्लादेश में तख्ता पलट के दौरान हमारे देश के विपक्षी दलों के कुछ कथित नेताओं ने वैसी ही स्थिति भारत में आने की संभावना जताई थी। बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर दोबारा हो रहे खेल से एक बार फिर हिंदुओं की जान सांसत में पड़ गई है। भारत वहां के राष्ट्रपति की बगैर सहमति के सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, क्योंकि संवैधानिक तरीके से चुने गए वहां के राष्ट्रपति ही बचे हैं।








