भाजपा के नये अध्यक्ष का फैसला राम नवमी तक तय!
# राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में संघ और भाजपा हाई कमान के बीच ‘विचार’ और सांगठनिक क्षमता को जातीय संतुलन के तराजू पर तौलने की कोशिश शुरू।
# उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण, पिछड़ा और दलित के बीच से आधा दर्जन चेहरे अध्यक्ष पद की रेस में, यहां भी भाजपा हाई कमान के कथित चाणक्य अपना मोहरा बैठाने की जुगत में लगे।
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/दिल्ली।
तहलका 24×7
अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और साथ ही प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो होली बाद राम नवमी तक नामों की घोषणा हो जाएगी। पार्टी के दिल्ली की गद्दी पर ब्राह्मण व पिछड़ा और लखनऊ के लिए ब्राह्मण, पिछड़ा के अलावा दलित चेहरों की तलाश हो रही है।

विदित हो कि लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाया गया था, लेकिन चुनाव के दौरान ही श्री नड्डा का मीडिया में आया बयान कि ‘भाजपा अब अकेले दम पर चुनाव जीतने में सक्षम है’ यह शब्द राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दिल में सीधे उतर गया। संघ ने साइलेंट होकर अपना हाथ खींच लिया। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ का बढ़ता कद दिल्ली को नागवार लगा तो उसने यूपी में अपने मोहरों को सक्रिय कर दिया। इसके बाद देश और प्रदेश की राजधानी में अघोषित जंग ऐसी छिड़ी कि पार्टी की आंतरिक कलह सतह पर आ गई।

नतीजा चार जून 2024 को सामने आया तो संघ और योगी भारी पड़ गए।इस बीच केरल में संघ के सभी अनुषांगिक संगठनों की हुई तीन दिवसीय बैठक में संजय जोशी का नाम उभरकर सामने आया तो भाजपा हाई कमान के पसीने छूटने लगे। हाई कमान ने चार प्रांतीय विधानसभा चुनाव तक का मौका ले लिया, इसी दौरान यूपी की दस विधान सभा सीटों के भी उप चुनाव होने थे, लिहाजा योगी आदित्यनाथ को भी खुली जिम्मेदारी दे दी गई।भाजपा ने हरियाणा की कड़ी परीक्षा पास करते ही अन्य राज्यों के साथ दिल्ली भी जीत ली, इधर यूपी में योगी आदित्यनाथ ने झंडा फहरा दिया।

इन सभी चुनावों में संघ के स्वयं सेवकों ने घर-घर अपनी पहुंच से संगठन की ताकत का एहसास करा दिया। ऐसा तब संभव हुआ जब चुनावों से पूर्व भाजपा और संघ के बीच का गतिरोध दूर हो चुका था।इस बीच गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का झंडा बुलन्द कर दिया। प्रयागराज के महाकुंभ में उमड़े जन प्रवाह ने उन्हें शीर्ष पर पहुंचा दिया। पार्टी के कथित चाणक्य को आज भी अपने पिटे मोहरों की टीस साल रही है। अब उन्हें इसकी कसर पूरी करने का मौका प्रदेश अध्यक्ष के चयन में मिला है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक संघ और भाजपा के बीच दूर हो चुके गतिरोध के बावजूद भाजपा हाई कमान को ‘एस मैन’ चाहिए और संघ को सांगठनिक क्षमता वाला चेहरा जो ‘संघनिष्ठ’ हो। फिलहाल नामों की लिस्ट भाजपा की तरफ से जाएगी, जिसपर मुहर संघ की लगेगी वही बनेगा अध्यक्ष। यदि संघ ने बीटो लगाया तो संजय जोशी का नाम शीर्ष पर होगा। इसी तरह उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण, पिछड़ा और दलित में से आधा दर्जन चेहरे रेस में हैं। इनमें दलित चेहरों के जो दो नाम चर्चा में हैं उनमें जौनपुर के पूर्व सांसद व एमएलसी विद्यासागर सोनकर और कौशांबी के विनोद सोनकर सुर्खियों में चल रहे हैं।








