संघ ने ठाना : संजय जोशी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष है बनाना
# आरएसएस की केरल के पलक्कड़ में हुई तीन दिवसीय दिवसीय बैठक में ही भाजपा अध्यक्ष पद के लिए संजय जोशी के नाम की होनी थी घोषणा, पर पार्टी हाई कमान ने मांग लिया था हरियाणा समेत विभिन्न प्रांतों के विस चुनाव तक का समय।
# दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन की एक विंग है भाजपा, पलक्कड़ में हुई बैठक में शामिल हुए तीन सौ लोग संघ के 32 अनुसांगिक संगठनों से आये थे, उन्हीं में भाजपा की ओर से जेपी नड्डा भी हुए थे शामिल।
कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
लखनऊ/नागपुर।
तहलका 24×7 विशेष
दुनिया में सबसे बड़े सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन में शीर्ष पर कायम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दर्जनों अनुसांगिक विंग हैं, जो देश के निचले पायदान पर रहते हुए जंगलों में खतरनाक जीव-जंतुओं के बीच रहकर जीवन-यापन कर रहे हैं। उनके तक पहुंच रखते हुए संगठन के विभिन्न विंग के लोग राष्ट्र सेवा के तहत ऐसे लोगों को सभ्य समाज से जोड़ने का काम बगैर प्रचार के करते हैं। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से उसकी महत्ता बताकर जोड़ते हैं।

यानी हर क्षेत्र के लिए बनी अलग विंग अपने पैसे लगाकर लोगों तक पहुंच रखती है।केरल के पलक्कड़ में हुई तीन दिवसीय बैठक में संघ के 32 अनुसांगिक संगठनों से जुड़े तीन सौ पदाधिकारी शामिल हुए जिसमें भाजपा भी रही। इसी नाते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे और एक दिन संघ का फोकस रहा उनके द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए बयान! “अब भाजपा खुद में सक्षम हो चुकी है, उसे संघ के सहयोग की जरूरत नहीं है” हालांकि संघ और भाजपा में 2019 की केन्द्र सरकार के शुरु हुए कार्यकाल से ही गतिरोध शुरु हो गया था।

लेकिन श्री नड्डा के बयान से यह गतिरोध सतह पर आ गया। परिणाम स्वरुप स्वयं सेवकों ने लोकसभा चुनाव से दूरी बना ली और भाजपा को 63 सीटों का झटका लगा। इधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने की अफवाह परवाज करने लगी, उसको और बल तब मिल गया जब प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम योगी का खुला विरोध करने लगे। यही वह समय था जब संघ योगी आदित्यनाथ के साथ खड़ा नज़र आया।

इसके बाद सरकार चलाने में योगी पर लगा अंकुश खत्म हो गया और पार्टी के आंतरिक विरोधी भी ठंडे पड़ गए। अब यूपी की 10 विधान सभा सीटों पर हो रहे उप चुनाव में भाजपा के साथ स्वयं सेवक भी जीत के लिए समूची ताकत से लगे हैं।

दरअसल एक दशक से केन्द्र समेत तमाम प्रांतों में निष्कंटक शासन में रहने के चलते किसी भी दल अहंकार होना उसी तरह स्वाभाविक है जैसे यूपी में पहली बार सपा को 37 सीटें मिलने के बाद अखिलेश यादव सातवें आसमान पर हैं। वह देश और प्रदेश की राजनीति में दखल रखते हुए दो नाव पर अकेले सवारी कर रहे हैं।जेपी नड्डा के बयान से संघ को लगने लगा कि अब भाजपा के पंख बढ़ गए हैं और मौका मिला यूपी में सीएम के बदलने को लेकर, क्योंकि विभिन्न राज्यों में हुए ऐसे बदलावों का हश्र संघ देख रहा था।

संघ और भाजपा के मध्य गतिरोध केरल के पलक्कड़ में समाप्त हुआ और तय हुआ कि भाजपा संगठन से जुड़े किसी भी फैसले को तभी लागू करेगी जब संघ की सहमति मिलेगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए तमाम नाम रेस में हैं लेकिन संजय जोशी का नाम शीर्ष पर है और यह नाम संघ ने तय किया है। इस नाम की घोषणा उसी बैठक में होनी थी लेकिन भाजपा हाई कमान ने विभिन्न राज्यों के चुनाव होने तक का समय मांग लिया था। संघ के सूत्र बताते हैं कि अक्टूबर के दूसरे हफ़्ते में नाम की घोषणा होगी!








