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Tuesday, November 4, 2025

हरियाणा में भाजपा की जीत से फिर बदलेगी राष्ट्रीय राजनीति

हरियाणा में भाजपा की जीत से फिर बदलेगी राष्ट्रीय राजनीति

# इंडिया गठबंधन के दो मुद्दे ‘किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना से जवानों की नाराजगी’ हुए ध्वस्त। योगेंद्र यादव की भविष्यवाणी कि हरियाणा में चल रही है कांग्रेस की सुनामी और राहुल गांधी की जलेबी के फैक्ट्री के नेरेटिव की भी निकली हवा। 

# पीएम मोदी ब्रांड ने पकड़ी रफ्तार, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का सनातन संस्कृति के संदर्भ में दिया गया बयान बंटोगे तो कटोगे का करिश्मा हरियाणा में जादुई काम कर गया। देशभर के सुस्त पड़े भाजपा कार्यकर्ताओं में हुआ ऊर्जा का संचार। 

कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
नई दिल्ली/गुरुग्राम/लखनऊ।
तहलका 24×7 विशेष 
                    झूठ और फरेब से चाहे जितना ऊंचा महल बना लिया जाए लेकिन वह आखिरकार ‘बालू की भीत’ ही साबित होता है। इसको साबित किया है हरियाणा के मतदाताओं ने भाजपा को जीत दिलाकर। पांच माह पूर्व आये लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जिस तरह भाजपा के खिलाफ़ देशभर में विमर्श (नेरेटिव) को बदलकर रख दिया था, ठीक उसी तरह हरियाणा के नतीजे ने फिर भाजपा को ताकत दे दी है। इसका असर इसी साल होने वाले महाराष्ट्र और झारखंड के विधान सभा चुनाव ही नहीं, बल्कि 2025 में होने वाले दिल्ली और बिहार विधान सभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा।
विगत चार जून को लोकसभा चुनाव के आये परिणाम से खत्म होते दिखे मोदी ब्रांड और उनके पिट गए मुद्दे पर जिस तरह इंडिया गठबंधन का विमर्श भारी पड़ा था, ठीक उसी तरह पांच माह बाद आये हरियाणा के नतीजे ने कांग्रेस के विमर्श को एनडीए के पाले में खड़ा कर दिया। यहां मोदी-योगी का ब्रांड एक साथ फिर हिट हुआ। तब भाजपा में आंतरिक कलह थी इसके बावजूद पार्टी हाई कमान सातवें आसमान पर थे, अबकी हरियाणा के चुनाव में प्रदेश कांग्रेस में आंतरिक कलह सतह पर दिखी और इस पार्टी के हाई कमान सातवें आसमान से धरातल पर आ गए।
कांग्रेस के पक्ष में बिन बुलाए मेहमान योगेंद्र यादव की राजनीतिक भविष्यवाणी ‘हरियाणा में चल रही है कांग्रेस की सुनामी’  राहुल गांधी के जलेबी की फैक्ट्री के मुद्दे समेत पिट गई।हरियाणा में हुड्डा परिवार की फिर संभावित सरकार को जनता ने नकार दिया, अन्यथा समान्य तौर पर राजनीतिक विश्लेषक भी यहां ‘हंग एसेम्बली’ का अनुमान लगाए बैठे थे। इस चुनाव से पूर्व भाजपा का सीएम बदलने का ‘दांव’ भी कारगर सिद्ध हुआ। रास्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के बीच खत्म हुए गतिरोध के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ स्वयं सेवकों की जुगलबन्दी ने भी अपनी बढ़ी ऊर्जा का एहसास कराया।
सनातन संस्कृति और हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में उभरे योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी का असर भी भरपूर दिखा।राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि छह माह में होने वाले चार राज्यों महाराष्ट्र, झारखण्ड और दिल्ली, बिहार के विधानसभा चुनाव में हरियाणा के नतीजे से दिखने वाले बदलाव का असर राष्ट्रीय फलक पर भी नजर आएगा। संघ सूत्रों के मुताबिक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर होने वाले चयन में चेहरा भी बदल सकता है।

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