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Tuesday, September 16, 2025

अरुणाचल को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चला रहे हैं सीएम, सुप्रीम कोर्ट में वकील की दलील

अरुणाचल को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चला रहे हैं सीएम, सुप्रीम कोर्ट में वकील की दलील

नई दिल्ली।
तहलका 24×7
             सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू द्वारा अपने परिवार के सदस्यों को ठेके दिए जाने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर तीन हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री प्रदेश को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चला रहे हैं।मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
पीठ गैर सरकारी संगठनों सेव मोन रीजन फेडरेशन और वॉलंटरी अरुणाचल सेना द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य में सभी सरकारी ठेके मुख्यमंत्री के करीबी पारिवारिक सदस्यों को दिए जा रहे हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मार्च 2025 के आदेश के संदर्भ में राज्य सरकार ने हलफनामा दायर किया है।
पीठ को बताया गया कि राज्य सरकार ने अनुबंधों का विवरण दे दिया है, लेकिन केंद्र, यानी गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ने अभी तक विवरण नहीं दिया है।भूषण ने पीठ के समक्ष कहा कि अरुणाचल प्रदेश को मुख्यमंत्री अपनी निजी लिमिटेड कंपनी की तरह चला रहे हैं। राज्य के हलफनामे में सैकड़ों ठेके दिए जाने की बात कही गई है। भूषण की दलीलों का अरुणाचल प्रदेश सरकार के वकील ने कड़ा विरोध किया। राज्य के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता अलमारी से कंकाल निकाल रहा है, जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका को प्रायोजित मुकदमा बताया।
भूषण ने कहा कि केंद्र ने अभी तक हलफनामा दाखिल नहीं किया है। केंद्र को राज्य द्वारा दाखिल हलफनामे के साथ भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर भी अपना जवाब दाखिल करना चाहिए।केंद्र के वकील ने दलील दी कि वित्त मंत्रालय इस मामले में पक्षकार नहीं है और उसे जवाब दाखिल करने के लिए पक्षकार बनाया जाना चाहिए।पीठ ने कहा, इस अदालत ने आपको निर्देश दिया है, हलफनामा दाखिल करें, हमें ये सारी तकनीकी बातें न बताएं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका एक विशिष्ट निर्देश है कि भारत संघ, यानी गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय भी एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करें। पीठ ने कहा आपके लिए हलफनामा दाखिल करना ही काफी है। इसमें पक्षकार बनने की कोई ज़रूरत नहीं है। मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
पेमा खांडू इस जनहित याचिका में पक्षकार हैं, पेमा खांडू के पिता दोरजी खांडू उनकी दूसरी पत्नी रिनचिन ड्रेमा और उनके भतीजे त्सेरिंग ताशी को भी इस मामले में पक्षकार बनाया गया है। दोरजी खांडू 2007 से अप्रैल 2011 तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी।

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