सत्य और भाव-भक्ति से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव: पं. अखिलेश चन्द्र
खेतासराय, जौनपुर।
डॉ. सुरेश कुमार
तहलका 24×7
श्रीराम जानकी मन्दिर ठाकुरद्वारा के वार्षिकोत्सव पर भारती विद्यापीठ में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के तृतीय दिवस पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। कथा व्यास पं. अखिलेश चन्द्र मिश्र ने भागवत के गूढ़ तत्वों का भावपूर्ण व्याख्या कर श्रोताओं को आध्यात्मिक रस से सराबोर कर दिया।

कथा के तृतीय दिन मंगलाचरण में “सत्यं परं धीमहि” की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सत्य के मार्ग पर चलकर ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है। असत्य भाषण से बड़ा कोई अधर्म नहीं और सत्य भाषण से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इसी भाव को स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत के मंगलाचरण में किसी देवी-देवता की नहीं, बल्कि सत्य की ही वंदना की गई है।

उन्होंने राजा परीक्षित के जन्म प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन करते हुए एक आदर्श राजा के प्रजा के प्रति कर्तव्यों पर प्रकाश डाला, कहा संसार में लोग केवल सुख के साथी होते हैं, जबकि दुःख में केवल गोविंद ही सहारा बनते हैं। इसी कारण माता कुन्ती ने भगवान से दुःख का वरदान मांगा था, क्योंकि दुःख में प्रभु का स्मरण बना रहता है और सुख में मानव उन्हें भूल जाता है।

विदुर चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने कहा कि भगवान भाव के ही भूखे हैं। उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के छप्पन भोग को त्यागकर विदुर जी के यहां प्रेमपूर्वक परोसे गए साग और केले के छिलके तक ग्रहण कर लिए, क्योंकि विदुर के मन में भाव था और दुर्योधन के मन में अभिमान।

इसके पश्चात भगवान कपिल के अवतार प्रसंग के माध्यम से सांख्य योग का प्रतिपादन करते हुए उन्होंने प्राणिमात्र की सेवा को ही सच्ची भक्ति बताया।ध्रुव चरित्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि भगवत्स्मरण के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। मात्र पांच वर्ष की अवस्था में ध्रुव ने कठोर तप कर भगवान का सान्निध्य प्राप्त किया।

कथा के मुख्य आयोजक, विद्यालय प्रबंधक अनिल उपाध्याय ने पूजन-अर्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ कराया। यजमान के रुप में प्राचार्य विनय कुमार सिंह ने पूजन किया। इस अवसर पर सुनीता मिश्रा, विभा पाण्डेय, विजय पाण्डेय, राज नारायण दूबे, कृष्ण मुरारी मौर्य, मनीष गुप्ता समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।








