जुमे की नमाज में पहुंचा यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध
लखनऊ।
तहलका 24×7
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर शुक्रवार को जुमा की नमाज के खुतबे में यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करने की अपील की गई। उलमा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ की बुनियाद कुरआन और हदीस को बताते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव किसी मनुष्य के बस में नहीं है।
दरअसल, ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तमाम मस्जिदों के इमामों से ये अपील की थी कि जुमे के खुत्बे में मुसलमानों को पर्सनल लॉ के महत्व से अवगत करायें और यूसीसी के विरूद्ध लॉ कमीशन ऑफ इण्डिया को अपनी राय भेजें। ऐशबाग ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में जुमा की नमाज से पहले ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस्लाम ने जो आदेश दिये हैं उसको स्वीकार करना और उस पर अमल करना हर मुसलमान के लिये अनिवार्य है।
निकाह व तलाक से सम्बन्धित आदेश कुरआन की पांच सूरत और विरासत के आदेश सूरह निसा में विस्तार से बयान हुए हैं। मौलाना फरंगी महली ने कहा कि जो लोग अपने धार्मिक मामले पर अमल करने के लिये तैयार नहीं हैं उनके लिये पहले से स्पेशल मैरिज एक्ट और दूसरे बहुत सारे कानून मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश को विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान ने इस देश में रहने वाले हर नागरिक के अधिकार की रक्षा की जिम्मेदारी ली है, उसमें हर नागरिक को अपने धर्म और अपने अपने कल्चर पर अमल करने की पूरी आजादी मिली है।
उन्होंने कहा कि आजादी से पहले से हमेशा मुल्क के सियासतदां मुस्लिम पर्सनल लॉ की रक्षा और उसमें हस्तक्षेप न करने का आश्वासन दिलाते रहे। महात्मा गांधी ने स्वयं गोल मेज कान्फ्रेंस लन्दन में 1931 में कहा था “मुस्लिम पर्सनल लॉ को किसी भी कानून के द्वारा नहीं छेड़ा जायेगा। मौलाना ने कहा कि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने युनिफार्म सिविल कोड को सिरे से नकार दिया है और बोर्ड ने ये निर्णय लिया है कि उसके विरूद्ध सड़क पर कोई प्रदर्शन नहीं किया जायेगा।
बोर्ड ने देश के हित में आम लोगों से भी इसका विरोध करने की अपील की है। मौलाना ने कहा कि बोर्ड ने अपने विरोध पर आधारित दस्तावेज लॉ कमीशन को भेज दिये हैं। नमाज के बाद अन्त में मौलाना ने देश में अमन व शान्ति कायम रहने की दुआ की।